गिरिडीहः पहले मनरेगा में मार्च लूट की गई. मनरेगा आयुक्त से लेकर डीडीसी के निर्देश की अवहेलना कर सदर प्रखंड ने निर्धारित राशि से आठ गुणा अधिक रकम निकाल ली. राशि निकालने में मजदूरों को हितों को दरकिनार करते हुए मेटेरियल सप्लायर को सीधा लाभ दिलवाया गया. जब यह मामला प्रकाश में आया और ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रकाशित किया तो डीसी नमन प्रियेश लकड़ा सख्त हए और त्वरित करवाई करते हुए न सिर्फ जांच शुरू करवाई, बल्कि कई बीपीओ का ट्रांसफर भी कर दिया. इस ट्रांसफर लिस्ट में सदर प्रखंड के बीपीओ भिखदेव पासवान व हेमलता को भी शामिल किया है. इस ट्रांसफर के बाद भी जांच चल रही है.
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चूंकि मनरेगा में मुखिया स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक सबसे बड़ी गड़बड़ी योजना के चयन में की गई. मनरेगा मजदूरों को रोजगार की गारंटी देता है, ऐसे में यहां पक्का कार्य जैसे पशु शेड, मुर्गी शेड को तय सीमा तक ही करना है लेकिन इस नियम को भी यहां दरकिनार किया गया. एक एक पंचायत में पांच की जगह दर्जनों पशु शेड व मुर्गी शेड दे दिया गया. इतना ही नहीं ज्यादातर योजना का काम पूर्ण भी नहीं हुआ और वेंडर को भुगतान कर दिया गया. अब भुगतान हो चुका है और डीसी ने जांच का सख्त निर्देश दिया है ऐसे में गर्दन फंसने के डर जैसे तैसे कार्य को पूर्ण करने का प्रयास चल रहा है. यह स्थिति कई पंचायतों की है.
किसी को पैसा तो किसी को मेटेरियलः गर्दन बचाने के चक्कर में युद्ध स्तर पर चल रहे इन कार्यों का जायजा ईटीवी भारत की टीम ने पंचायत पहुंच कर लिया. सिकदारडीह पंचायत में काफी संख्या में पक्का वर्क से जुड़ी योजना का न सिर्फ चयन किया गया बल्कि ज्यादातर योजना की राशि का भुगतान भी हो चुका. इस पंचायत में ग्रामीणों ने मनरेगा में गड़बड़ी की लिखित शिकायत भी पदाधिकारी से की है. ऐसे में इस पंचायत के लाभुकों से मुलाकात की गई. यहां पता चला कि कई पशु शेड का ज्यादातर कार्य पूरा हुआ ही नहीं है. यहां पर लाभुकों से बात की गई तो किसी ने बताया कि उन्हें कुछ पैसा दिया गया है तो किसी ने बताया कि उन्हें मेटेरियल दिया गया है. इस तरह का मामला कई पंचायत से सामने आ रहा है.
पंचायत प्रतिनिधि का अपना ही तर्कः इस विषय पर मुखियाओं का अपना ही तर्क है. इनका कहना है कि जो सक्षम थे उन्होंने अपना कार्य पूरा किया. जो कमजोर थे वे कार्य पूरा नहीं कर सके हैं. इनसे जब पूछा गया कि कार्य पूर्ण होने से पहले वेंडर को भुगतना कैसे किया गया और 60:40 का ख्याल क्यूं नहीं रखा गया तो स्पष्ठ जवाब नहीं दिया गया. सिकदारडीह के मुखिया प्रतिनिधि मेहताब मिर्जा कहते हैं वे तो खुद ही काम को पूर्ण करवाने में लगे हैं. कुछ लोग मुखिया को बदनाम करने के लिए आरोप लगाते रहते हैं.
इन बिंदुओं की भी जांच होनी चाहिएः इधर मनरेगा के तहत बन रहे मुर्गी शेड, बकरी शेड, गाय शेड निर्माण में कई तरह की गड़बड़ी होने की भी शिकायत सामने आ रही है. शिकायत के अनुसार जिसके पास गाय-बकरी-मुर्गी नहीं है उन्हें भी शेड दिया गया है. कई शेड पुराने दीवार पर ही खड़ा कर दिया जा रहा है. कार्य जब पूरा नहीं हुआ तो एमबी बुक कैसे हुआ और वेंडर को भुगतान का आदेश किसने दिया.