गिरिडीहः लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बदनाम देवरी का स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर से संवेदनहीन दिखा. मामला देवरी प्रखंड के मारुडीह पंचायत के रानीडीह गांव से जुड़ा है. शुक्रवार को डायरिया पीड़ित मरीजों को अस्पताल के बाहर बने एक भवन में शिफ्ट कर दिया गया. अस्पताल के बाहर जिस भवन में डायरिया पीड़ितों को शिफ्ट किया गया, उसके बाहर बारिश का पानी कई दिनों से जमा हुआ है. भवन के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
गौरतलब है कि गंदगी और जलजमाव को नजरअंदाज करते हुए डायरिया पीड़ितों को अस्पताल के बाहर के भवन में शिफ्ट कर दिया गया. जहां पीड़ित रूबी देवी (35 वर्ष) सविता देवी (22 वर्ष), प्रिंस कुमार (10 वर्ष), छोटी कुमारी (9 वर्ष) और जिरिया देवी (40 वर्ष) का उपचार चल रहा है. जिन्हें अस्पताल भवन से बाहर बने एक भवन में शिफ्ट कर दिया गया. वहीं, अस्पताल के बाहर शिफ्ट किए गए डायरिया पीड़ितों को बेड पर चादर और मच्छरदानी भी उपलब्ध नहीं करवाया गया.
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इलाज के दौरान बिगड़ी तबियत
डायरिया पीड़ित होने के बाद देवरी सीएचसी में इलाजरत महिला हिरिया देवी (40 वर्ष) की तबीयत अचानक बिगड़ गई. महिला की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे बेहतर उपचार के लिए गिरिडीह भेज दिया गया. इधर डायरिया से पीड़ित मरीजों को अस्पताल से बाहर के भवन में शिफ्ट किए जाने की सूचना पर देवरी के सीओ अजय तिर्की, उप प्रमुख भीखन मंडल, पंचायत समिति सदस्य उदय कुमार सिंह मौके पर पहुंचकर मरीजों का हालचाल जाना. इस दौरान इलाजरत मरीजों के परिजनों ने बताया कि अस्पताल से बाहर शिफ्ट कर दिए जाने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, इस दौरान अंचलाधिकारी ने मरीजों के बेड पर चादर और मच्छरदानी उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया.
गांव में कैंप लगाकर पीड़ितों का उपचार
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुशलकांत की अगुवाई में गांव में कैंप लगाकर उपचार किया गया. इसे लेकर डॉ कुशलकांत ने बताया की रानीडीह गांव में डायरिया फैलने के बाद लगातार कैंप लगाकर पीड़ितों का उपचार किया जा रहा है. गांव में 7 लोगों का उपचार किया गया. वहीं, जलजमाव की जगह पर डीडीटी का छिड़काव करवाया गया. जलकूपों में ब्लीचिंग डलवाया गया. पीड़ित लोगों को ओआरएस घोल, मैट्रोन व जिंक टेबलेट उपलब्ध करवाया गया है.
बता दें कि अब तक कुल 26 लोग डायरिया से पीड़ित हो चुके हैं. अस्पताल प्रशासन ने जलजमाव स्थल पर मरीजों को शिफ्ट किए जाने को लेकर कहा कि अस्पताल में पानी की कमी के कारण डायरिया पीड़ित मरीजों को अलग रखा गया है. इस मामले को लेकर स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों ने नाराजगी जाहिर की है.