गिरिडीहः जैन समाज का आंदोलन समाप्त होने के बाद पारसनाथ को लेकर आदिवासी व मूलवासियों ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया है. आदिवासी समाज अपने हक व अधिकारी के लिए मधुबन में महजुटान कर रहे हैं. मंगलवार को मधुबन स्थित मेला मैदान में यह कार्यक्रम हो रहा (Giridih tribal leaders Conference) है.
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गिरिडीह में आदिवासियों का सम्मेलन (tribal leaders Conference In Giridih) हो रहा है, इसको लेकर प्रदेश के कई आदिवासी व मूलवासी नेता पहुंचने लगे हैं. यहां मुख्य कार्यक्रम मैदान में होगा जिसके बाद एक रैली भी निकाले जाने की बात कही जा रही है. कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुटेगी. मरांग बुरु पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले यह कार्यक्रम हो रहा है. कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे मरांग बुरु सावंता सुसार बैसी के जिला सचिव सिकंदर हेंब्रम ने बताया कि इस कार्यक्रम में बोरियो से झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम के अलावा पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, सालखन मुर्मू, सूर्य सिंह बेसरा, झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक जयराम महतो समेत कई नेता पहुंच रहे हैं. इनके अलावा कई नेता पहुंच चुके हैं.
आदिवासियों का आंदोलनः पारसनाथ बचाने व सरकारी नोटिफिकेशन में मरांग बुरु का जिक्र करवाने के लिए आंदोलन की रूप रेखा तैयार की गई है. इस महजुटान कार्यक्रम के बाद इस मुद्दे को लेकर 30 जनवरी को खूंटी के उलिहातू में भूख हड़ताल किया जाएगा जबकि 2 फरवरी को भोगनाडीह में महजुटान होगा. सिकंदर के अलावा बुधन हेंब्रम, साहिबगंज से आये पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रामकृष्ण सोरेन, स्थानीय नेता अमर तुरी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत को जैनियों का मोक्ष स्थल बताया जा रहा है जिसमें मरांग बुरु का कहीं जिक्र नहीं है. जबकि इस पारसनाथ पर्वत को आदिवासी समाज मरांग बुरु कहते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में मरांग बुरु का जिक्र नहीं किया जाएगा तब तक आंदोलन चलेगा.
महाजुटान को लेकर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ताः मधुबन में आदिवासी नेताओं का सम्मेलन हो रहा (tribal leaders Conference at Madhuban) है, जिसमें काफी भीड़ जुटने के आसार हैं. इस कार्यक्रम में भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क है. दंडाधिकारी, पुलिस अधिकारी के साथ जवानों को तैनात किया गया है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी अमित रेणू पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं. यहां पर एएसपी हारिश बिन जमां, एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार के अलावा कई अधिकारी यहां पर डटे हैं. मधुबन में जगह जगह बेरिकेटिंग की गई है. थाना प्रभारी मृत्युंजय सिंह ने बताया कि सुरक्षा की व्यवस्था पुख्ता है.
क्या है विवादः आदिवासी समाज पारसनाथ को मरांग बुरु हैं. इस इसी पर्वत पर इनका मरांग बुरु जुग जाहेरथान एवं मरांग बुरु मांझी थान है. वहीं जैन समाज के लिए यह स्थान सम्मेद शिखर है, जहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था. पिछले दिनों सरकार ने इस स्थान को इको टूरिज्म बनाने का निर्णय लिया था, जिसका विरोध जैन समाज ने किया और इसके बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ईको टूरिज्म की गतिविधियों पर केंद्रीय स्तर से रोक लगा दी. इसके बाद जैन धर्म के लोगों ने आंदोलन समाप्त कर दिया. हालांकि इसके बाद आदिवासी समाज नाराज हो गया है. आदिवासी समाज के लोग मंत्रालय व राज्य सरकार द्वारा जारी पत्र में मरांग बुरु का जिक्र नहीं करने व जरूरत से ज्यादा बाध्यता लगाने से नाराज हैं.
आदिवासियों का भी पवित्र स्थल है पारसनाथः जैन धर्म की आस्था सम्मेद शिखरजी (पारसनाथ) के प्रति है, उसी तरह आदिवासी समाज भी इस पर्वत पर अपनी अगाध आस्था रखता है. आदिवासी समाज के लोग पारसनाथ को मरांग बुरु कहते हैं. इसी पर्वत पर इन आदिवासियों के पुजनीय मरांग बुरु जुग जाहेरथान (jug jaherthan) और मरांग बुरु मांझी थान है. मरांग बुरु यानी पारसनाथ पर्वत में आदिवासी संथाल समुदाय के पूर्वज पिलचु आयो-पिलचु बाबा द्वारा स्थापित एक मात्र धर्मस्थल है, जो मरांग बुरु जुग जाहेरथान और मरांग बुरू मांझी थान के नाम से प्रसिद्ध है. संथाल समाज का पारंपरिक पर्व बाहा (सरहुल), लौ-बीर सेंदरा पर्व के अवसर पर संथाल समाज और शोधार्थियों का आगमन देश विदेश से होता है. मरांग बुरु (पारसनाथ पर्वत) पर स्थित जुग जाहेरथान है. यह एक विश्व प्रसिद्ध जुग जाहेरथान होने के नाते झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दो बार इस पावन भूमि जाहेरथान में आ चुकी हैं.