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1984 के दंगे ने बदल दी गिरिडीह के शंकर यादव की जिंदगी, करवा दिया श्राद्ध और छिन गया पत्नी का साथ

आज (31अक्टूबर) इंडिरा गांधी की पुण्यतिथि है. 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद से पुरे देश में दंगा भड़क गया था. इस दंगे ने गिरिडीह के एक शख्स की जिंदगी में भूचाल ला दिया था, आइए जानते हैं क्या है वो कहानी, उसी शख्स की जुबानी. Shankar Yadav life ruined due to 1984 riots

Giridih Shankar Yadav life ruined due to 1984 riots
1984 riot victim Shankar Yadav
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 31, 2023, 10:26 AM IST

Updated : Oct 31, 2023, 11:56 AM IST

१९८४ दंगा पीड़ित शंकर यादव की कहानी

गिरिडीह: 31 अक्टूबर 1984 के दिन की घटना अभी भी कईयों की जहन में ताजा है. भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या को अंजाम किसी दूसरे ने नहीं बल्कि उनके ही अंगरक्षकों ने कर दी थी. इसके बाद पूरे देश में सिख दंगा भड़क गया था.

भयावह मंजर आज भी जहन में ताजा: इसी दंगे का शिकार हुए गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के शख्स शंकर यादव से जुड़ी एक कहानी आपको बताने जा रहे हैं. शंकर उस समय मुंबई में काम करते थे. सिख दंगे की आंच तब तक पूरे देश में तेजी से फैल गई थी. मुबंई उससे अछूता नहीं था. शंकर मुबंई में हुए दंगे के गवाह हैं. शंकर कहते हैं कि उन दिनों का भयावह मंजर आज भी उनके जहन में ताजा है. जिसे वे याद करके कांप जाते हैं.

परिवार वालों ने मरा समझकर श्राद्ध कर दिया: शंकर यादव बताते हैं कि दंगा के समय ही बगोदर से सटे बरांय पंचायत के इस्लामपुर के एक व्यक्ति मुंबई से भागकर गांव आया और उसने घर में कह दिया कि बगोदर का शंकर यादव सिख दंगे में मारा गया. इसके बाद परिवार वालों ने मरा समझकर श्राद्ध भी कर दिया. पत्नी भी घर छोड़कर चली गई थी.

पत्नी ने कर ली थी दूसरी शादी: शख्स की झूठी खबर से शंकर यादव का पूरा जीवन ही बदल गया. सदमे से शंकर की मां ने आंखों की रोशनी खो दी. इससे भी बड़ी ट्रेजडी ये हुई कि उनकी पत्नी को जब इस बात की जानकारी हुई तो घटना के बाद वे अपने घर चली गई. फिर किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर ली. दंगा जब शांत हुआ तो शंकर घर लौटे. उनके घर लौटने के बाद सभी हैरान थे. झूठी खबर से पूरे जीवन में उथल पुथल मच चुका था.

घटना के बाद दूसरी शादी नहीं की: शंकर ने बताया कि जब पत्नी को लाने ससुराल गया तब वहां भी देखकर ससुराल वाले हैरान हो गए थे. तब तक ससुराल वालों ने पत्नी की शादी किसी दूसरे के साथ कर दी थी. उन्होंने बताया कि घटना के बाद दूसरी शादी भी नहीं की. अब पूरा जीवन अकेले गुजारने को मजबूर हैं. स्थानीय स्तर पर मजदूरी कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं.

१९८४ दंगा पीड़ित शंकर यादव की कहानी

गिरिडीह: 31 अक्टूबर 1984 के दिन की घटना अभी भी कईयों की जहन में ताजा है. भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या को अंजाम किसी दूसरे ने नहीं बल्कि उनके ही अंगरक्षकों ने कर दी थी. इसके बाद पूरे देश में सिख दंगा भड़क गया था.

भयावह मंजर आज भी जहन में ताजा: इसी दंगे का शिकार हुए गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के शख्स शंकर यादव से जुड़ी एक कहानी आपको बताने जा रहे हैं. शंकर उस समय मुंबई में काम करते थे. सिख दंगे की आंच तब तक पूरे देश में तेजी से फैल गई थी. मुबंई उससे अछूता नहीं था. शंकर मुबंई में हुए दंगे के गवाह हैं. शंकर कहते हैं कि उन दिनों का भयावह मंजर आज भी उनके जहन में ताजा है. जिसे वे याद करके कांप जाते हैं.

परिवार वालों ने मरा समझकर श्राद्ध कर दिया: शंकर यादव बताते हैं कि दंगा के समय ही बगोदर से सटे बरांय पंचायत के इस्लामपुर के एक व्यक्ति मुंबई से भागकर गांव आया और उसने घर में कह दिया कि बगोदर का शंकर यादव सिख दंगे में मारा गया. इसके बाद परिवार वालों ने मरा समझकर श्राद्ध भी कर दिया. पत्नी भी घर छोड़कर चली गई थी.

पत्नी ने कर ली थी दूसरी शादी: शख्स की झूठी खबर से शंकर यादव का पूरा जीवन ही बदल गया. सदमे से शंकर की मां ने आंखों की रोशनी खो दी. इससे भी बड़ी ट्रेजडी ये हुई कि उनकी पत्नी को जब इस बात की जानकारी हुई तो घटना के बाद वे अपने घर चली गई. फिर किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर ली. दंगा जब शांत हुआ तो शंकर घर लौटे. उनके घर लौटने के बाद सभी हैरान थे. झूठी खबर से पूरे जीवन में उथल पुथल मच चुका था.

घटना के बाद दूसरी शादी नहीं की: शंकर ने बताया कि जब पत्नी को लाने ससुराल गया तब वहां भी देखकर ससुराल वाले हैरान हो गए थे. तब तक ससुराल वालों ने पत्नी की शादी किसी दूसरे के साथ कर दी थी. उन्होंने बताया कि घटना के बाद दूसरी शादी भी नहीं की. अब पूरा जीवन अकेले गुजारने को मजबूर हैं. स्थानीय स्तर पर मजदूरी कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं.

Last Updated : Oct 31, 2023, 11:56 AM IST
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