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ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के मजदूर, मायूस परिजनों ने की घर वापसी की मांग

ताजिकिस्तान में झारखंड के मजदूरों के फंसे (Jharkhand workers trapped in Tajikistan) होने की सूचना से उनके परिजन परेशान हैं. मजदूर के परिजनों ने सरकार से घर वापसी की मांग की हैं. परिजनों ने कहा कि बकाया मजदूरी मिले या नहीं मिले. लेकिन उन्हें सकुशल वापस घर पहुंचा दें.

Jharkhand workers trapped in Tajikistan
ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के मजदूर
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Published : Dec 23, 2022, 12:01 PM IST

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गिरिडीह: ताजिकिस्तान में झारखंड के मजदूरों के फंसे (Jharkhand workers trapped in Tajikistan) होने की सूचना है. इस सूचना के बाद मजदूरों के परिजन काफी परेशान हैं. परिजनों ने राज्य सरकार से जल्द घर वापसी की मांग की है. इसके साथ ही परिजनों ने बकाया मजदूरी की भी मांग की हैं.

यह भी पढ़ेंः गिरिडीह: लॉकडाउन में पैदल ही घर जा रहे मजदूर, भूखे पेट कई किलोमीटर चलने को मजबूर

जिले के बगोदर, डुमरी, सरिया, बिष्णुगढ़ के बंदखारो सहित अन्य गांवों के मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हैं. ताजिकिस्तान में फंसे बंदखारो के मजदूरों में कृष्णा मंडल, विनय कुमार, दिलीप कुमार आदि के परिजनों का हाल बेहाल है. ईटीवी भारत की टीम ताजिकिस्तान में फंसे मजदूरों के परिजनों से बातचीत की. मजदूर दिलीप कुमार की पत्नी, विनय कुमार की पत्नी, कृष्णा मंडल की पत्नी ने कहा कि हमलोग अपने पति की जल्द वापसी चाहते हैं. प्रवासी मजदूरों के समर्थन में काम करने वाले सिकंदर अली ने ताजिकिस्तान में फंसे प्रवासी मजदूर के परिजनों से मुलाकात की और हालचाल जाना.


साल 2022 में प्रवासी मजदूरों को विदेशों में फंसे होने का मामला लगातार आ रहे हैं. नए साल की शुरुआत के साथ शुरु हुए यह मामला साल के अंतिम महीने तक जारी है. गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रवासी मजदूरों का विभिन्न देशों में फंसने के मामले ने उनके परिजनों की चिंता बढ़ा दिया था. अब गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के 44 मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हैं. मजदूरों ने सरकार से सहयोग की मांग की है.

रोजगार के अभाव में बगोदर प्रखंड के मजदूर सालों भर पलायन करने को मजबूर होते हैं. विदेशों एवं महानगरों में नौकरी करते हैं, ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके. लेकिन वहां फंस जाते हैं. बगोदर और आसपास के 44 प्रवासी मजदूर अब ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं.

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गिरिडीह: ताजिकिस्तान में झारखंड के मजदूरों के फंसे (Jharkhand workers trapped in Tajikistan) होने की सूचना है. इस सूचना के बाद मजदूरों के परिजन काफी परेशान हैं. परिजनों ने राज्य सरकार से जल्द घर वापसी की मांग की है. इसके साथ ही परिजनों ने बकाया मजदूरी की भी मांग की हैं.

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जिले के बगोदर, डुमरी, सरिया, बिष्णुगढ़ के बंदखारो सहित अन्य गांवों के मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हैं. ताजिकिस्तान में फंसे बंदखारो के मजदूरों में कृष्णा मंडल, विनय कुमार, दिलीप कुमार आदि के परिजनों का हाल बेहाल है. ईटीवी भारत की टीम ताजिकिस्तान में फंसे मजदूरों के परिजनों से बातचीत की. मजदूर दिलीप कुमार की पत्नी, विनय कुमार की पत्नी, कृष्णा मंडल की पत्नी ने कहा कि हमलोग अपने पति की जल्द वापसी चाहते हैं. प्रवासी मजदूरों के समर्थन में काम करने वाले सिकंदर अली ने ताजिकिस्तान में फंसे प्रवासी मजदूर के परिजनों से मुलाकात की और हालचाल जाना.


साल 2022 में प्रवासी मजदूरों को विदेशों में फंसे होने का मामला लगातार आ रहे हैं. नए साल की शुरुआत के साथ शुरु हुए यह मामला साल के अंतिम महीने तक जारी है. गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रवासी मजदूरों का विभिन्न देशों में फंसने के मामले ने उनके परिजनों की चिंता बढ़ा दिया था. अब गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के 44 मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हैं. मजदूरों ने सरकार से सहयोग की मांग की है.

रोजगार के अभाव में बगोदर प्रखंड के मजदूर सालों भर पलायन करने को मजबूर होते हैं. विदेशों एवं महानगरों में नौकरी करते हैं, ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके. लेकिन वहां फंस जाते हैं. बगोदर और आसपास के 44 प्रवासी मजदूर अब ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं.

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