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सावन की तीसरी सोमवारीः बगोदर के हरिहर धाम में उमड़े शिव भक्त - third Monday of Sawan

सावन की तीसरी सोमवारी के पावन अवसर पर गिरिडीह के शिवालयों में भक्तों की भीड़ (devotees gathered in Shiva temple) उमड़ रही है. बगोदर प्रखंड के प्रसिद्ध शिव मंदिर हरिहर धाम (Harihar Dham of Bagodar) लोगों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, क्या है मंदिर की खासियत?

devotees gathered in Shiva temple Harihar Dham of Bagodar in Giridih
गिरिडीह
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Published : Aug 1, 2022, 12:38 PM IST

बगोदर,गिरिडीह: जिला के प्रसिद्ध शिव मंदिर हरिहर धाम मंदिर में भक्तों का तांता (Harihar Dham of Bagodar) लगा है. इस धाम के अलावा बगोदरडीह शिवालय, बगोदर थाना परिसर स्थित शिव मंदिर, दोंदलो शिव मंदिर, अटका शिव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ (devotees gathered in Shiva temple) उमड़ रही है.


इसे भी पढ़ें- Video: तीसरी सोमवारी पर गेरुआ रंग से पटा बाबा नगरी देवघर, मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़



गिरिडीह जिला के बगोदर प्रखंड में स्थित है, भारत का अनोखा शिव मंदिर. इस मंदिर का नाम हरिहरधाम है. मंदिर की ऊंचाई 65 फीट है जो जिसका आकार शिव लिंगा जैसा है. इस मंदिर का निर्माण पश्चिम बंगाल निवासी अमरनाथ मुखोपाध्याय द्वारा कराई गयी है. मंदिर की बनावट शिव लिंग जैसा होने के कारण यह मंदिर अनोखा है. इसके अलावा मंदिर की ऊंचाई भी 65 फीट है, जो दूर से ही नजर देती है.

देखें पूरी खबर

इस मंदिर का इतिहास पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है. पश्चिम बंगाल निवासी अमरनाथ मुखोपाध्याय के द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया है. बताया जाता है कि वो काफी विद्धान थे और बंगाल में जज के पद पर नियुक्त थे. सांसारिक मोहमाया का त्याग करते हुए उन्होंने चारों धाम की यात्रा के लिए पदयात्रा करने निकले थे. इस दौरान वो बगोदर में रूके थे और उन्हें यह स्थान पसंद आ गया था जहां मंदिर बनाया गया है. इसके बाद लोगों के सहयोग से उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया. कलाकार कितना पारखी होता है यह बात भी इस मंदिर की बनावट से पता चलता है. 1988 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गयी. इसके तीन वर्ष बाद ही मंदिर के संस्थापक अमरनाथ मुखोपाध्याय ने 1991 को प्राण त्याग दिए.

शिव मंदिर हरिहर धाम जिस स्थान पर स्थित है, यह स्थान मंदिर बनने के पूर्व सुनसान रहता था. आसपास श्मशान घाट व झाड़ियां होने के कारण लोग दिन में भी वहां जाने से डरते और कतराते थे. लेकिन जब मंदिर बनना शुरू हुआ तब से दिनों दिन इस जगह की अहमियत बढ़ती गई और आज यहां की अहमियत किसी से छुपी हुई नहीं है. सिर्फ सावन माह ही नहीं सालों भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लेकिन सावन मास में इस मंदिर में अप्रत्याशित भीड़ होती है.


मंदिर से सैकड़ों परिवार का होता है जीविकोपार्जनः शिव मंदिर हरिहरधाम परिसर सालों भर गुलजार रहता है. यहां पूजा-अर्चना के लिए सालों भर श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहता है. शादी ब्याह के मुहूर्तों में तो भीड़ उमड़ती ही है. इसके अलावा वाहन पूजन, सगाई, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य के लिए भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. सावन महीने की करें तो यहां पूरे महीने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. बाबाधाम जाने वाले गेरूआ वस्त्र धारी शिव भक्तों की भी यहां भीड़ उमड़ती है. सावन की सोमवारी और सावन पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की भीड़ काफी बढ़ जाती है. मंदिर के आसपास दर्जनों की संख्या में विवाह भवन व विभिन्न प्रकार की दुकानें संचालित हैं, जिससे इन सैकड़ों परिवार का जीविकोपार्जन होता है.


सावन में सुरक्षा का खास प्रबंध नहींः वैसे सावन के पूरे महीने में श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था का यहां कोई प्रबंध नहीं रहता है. सावन पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं. उस दिन यहां पुलिस की भी तैनाती रहती है एवं महिला और पुरुष के लिए मंदिर प्रवेश के अलग-अलग द्वारा बनाए जाते हैं. साथ ही स्थानीय युवक भी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहते हैं. इस संबंध में मंदिर के प्रबंधक भीम यादव ने कहा है कि सावन के अंतिम दो सोमवारी और सावन पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. मंदिर प्रबंधन के द्वारा महिलाओं और पुरुषों के मंदिर प्रवेश के लिए अलग-अलग द्वार बनाए जाते हैं.

बगोदर,गिरिडीह: जिला के प्रसिद्ध शिव मंदिर हरिहर धाम मंदिर में भक्तों का तांता (Harihar Dham of Bagodar) लगा है. इस धाम के अलावा बगोदरडीह शिवालय, बगोदर थाना परिसर स्थित शिव मंदिर, दोंदलो शिव मंदिर, अटका शिव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ (devotees gathered in Shiva temple) उमड़ रही है.


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गिरिडीह जिला के बगोदर प्रखंड में स्थित है, भारत का अनोखा शिव मंदिर. इस मंदिर का नाम हरिहरधाम है. मंदिर की ऊंचाई 65 फीट है जो जिसका आकार शिव लिंगा जैसा है. इस मंदिर का निर्माण पश्चिम बंगाल निवासी अमरनाथ मुखोपाध्याय द्वारा कराई गयी है. मंदिर की बनावट शिव लिंग जैसा होने के कारण यह मंदिर अनोखा है. इसके अलावा मंदिर की ऊंचाई भी 65 फीट है, जो दूर से ही नजर देती है.

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इस मंदिर का इतिहास पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है. पश्चिम बंगाल निवासी अमरनाथ मुखोपाध्याय के द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया है. बताया जाता है कि वो काफी विद्धान थे और बंगाल में जज के पद पर नियुक्त थे. सांसारिक मोहमाया का त्याग करते हुए उन्होंने चारों धाम की यात्रा के लिए पदयात्रा करने निकले थे. इस दौरान वो बगोदर में रूके थे और उन्हें यह स्थान पसंद आ गया था जहां मंदिर बनाया गया है. इसके बाद लोगों के सहयोग से उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया. कलाकार कितना पारखी होता है यह बात भी इस मंदिर की बनावट से पता चलता है. 1988 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गयी. इसके तीन वर्ष बाद ही मंदिर के संस्थापक अमरनाथ मुखोपाध्याय ने 1991 को प्राण त्याग दिए.

शिव मंदिर हरिहर धाम जिस स्थान पर स्थित है, यह स्थान मंदिर बनने के पूर्व सुनसान रहता था. आसपास श्मशान घाट व झाड़ियां होने के कारण लोग दिन में भी वहां जाने से डरते और कतराते थे. लेकिन जब मंदिर बनना शुरू हुआ तब से दिनों दिन इस जगह की अहमियत बढ़ती गई और आज यहां की अहमियत किसी से छुपी हुई नहीं है. सिर्फ सावन माह ही नहीं सालों भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लेकिन सावन मास में इस मंदिर में अप्रत्याशित भीड़ होती है.


मंदिर से सैकड़ों परिवार का होता है जीविकोपार्जनः शिव मंदिर हरिहरधाम परिसर सालों भर गुलजार रहता है. यहां पूजा-अर्चना के लिए सालों भर श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहता है. शादी ब्याह के मुहूर्तों में तो भीड़ उमड़ती ही है. इसके अलावा वाहन पूजन, सगाई, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य के लिए भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. सावन महीने की करें तो यहां पूरे महीने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. बाबाधाम जाने वाले गेरूआ वस्त्र धारी शिव भक्तों की भी यहां भीड़ उमड़ती है. सावन की सोमवारी और सावन पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की भीड़ काफी बढ़ जाती है. मंदिर के आसपास दर्जनों की संख्या में विवाह भवन व विभिन्न प्रकार की दुकानें संचालित हैं, जिससे इन सैकड़ों परिवार का जीविकोपार्जन होता है.


सावन में सुरक्षा का खास प्रबंध नहींः वैसे सावन के पूरे महीने में श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था का यहां कोई प्रबंध नहीं रहता है. सावन पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं. उस दिन यहां पुलिस की भी तैनाती रहती है एवं महिला और पुरुष के लिए मंदिर प्रवेश के अलग-अलग द्वारा बनाए जाते हैं. साथ ही स्थानीय युवक भी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहते हैं. इस संबंध में मंदिर के प्रबंधक भीम यादव ने कहा है कि सावन के अंतिम दो सोमवारी और सावन पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. मंदिर प्रबंधन के द्वारा महिलाओं और पुरुषों के मंदिर प्रवेश के लिए अलग-अलग द्वार बनाए जाते हैं.

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