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सात दशक बाद भी नहीं सुलझा आदिवासी समाज के दो पक्ष का जमीन विवाद, अनहोनी की आशंका से सहमा प्रशासन - झारखंड न्यूज

गिरिडीह में पीरटांड़ के एक गांव का जमीन विवाद गंभीर रूप लेता जा रहा है. न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रशासन इस मामले को सुलझा नहीं सका है. अब परिवार के सदस्य हक की आवाज को बुलंद करने लगे तो अनहोनी की आशंका से अधिकारी भी सहम गए हैं.

Land dispute between two sides of tribal society in Giridih
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Published : Aug 3, 2023, 9:01 AM IST

Updated : Aug 3, 2023, 4:57 PM IST

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गिरिडीहः जमीन विवाद का निपटारा सही समय पर नहीं होता है तो मामला खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाता है. कुछ ऐसी ही स्थिति जमीन के बड़े भूभाग को लेकर पीरटांड़ के कानाडीह में तैयार हो रही है. यहां जमीन के लिए दो पक्ष आमने सामने हैं, ये विवाद 7 दशक से चल रहा है.

इसे भी पढ़ें- Fight in Latehar: जमीन विवाद में मारपीट में 11 लोग घायल, पीड़ितों ने किया सड़क जाम

एक पक्ष के पास जमीन बंटवारा की डिग्री भी है, इसके बावजूद वह जमीन पर काबिज नहीं हो पा रहा हैं. जमीन पर कब्जा दिलवाने को लेकर बबलू मरांडी व उसके साथ के लोगों द्वारा लगातार अधिकारियों के पास गुहार लगाई जा रही है लेकिन इसका हल नहीं निकल सका हैं. वहीं दूसरे पक्ष द्वारा जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया जा रहा हैं. दूसरे पक्ष का कहना है कि जमीन वे लोग जोतते हैं तो हक उनका हुआ.

अंचल कार्यालय का बंद किया दरवाजाः जमीन पर कब्जा दिलवाने की गुहार लगा रहे बबलू मरांडी व अन्य के द्वारा लगातार अनुमंडल कार्यालय, अंचल कार्यालय का चक्कर लगाया जा रहा हैं. धान की खेती के दौरान भी जब इनकी समस्या का हल नहीं निकला तो इनके द्वारा पीरटांड अंचल कार्यालय का दरवाजा ही बंद कर दिया गया. घंटों तक कर्मियों व अधिकारियों को अंदर ही बंद रखा गया. बाद में पीरटांड थाना प्रभारी दिलशन बिरुआ और मधुबन थाना प्रभारी राजू मुंडा पहुंचे. यहां पर लोगों को समझाने का प्रयास किया गया. इस दौरान गुहार लगा रहे लोगों का कहना था कि उनकी समस्या का हल निकाला नहीं जा रहा हैं. अधिकारी फिर से कोर्ट जाने को कहते हैं. वे लोग डरे हैं और सिर्फ इंसाफ मांग रहे हैं. यहां पुलिस पदाधिकारी ने लोगों को समझाया और आवश्यक कार्यवाई का भरोसा दिया जिसके बाद लोग शांत हुए.

जमीन पर लगेगी निषेधाज्ञा: सीओः दूसरी तरफ पीरटांड़ अंचलाधिकारी विनय प्रकाश तिग्गा कहते हैं कि यह बात सही हैं कि बबलू मरांडी के पक्ष में न्यायालय द्वारा डिग्री दी गई है. डिग्री वर्ष 1941 में ही दी गई है लेकिन दूसरा पक्ष इस फैसले को मान ही नहीं रहा है. इस मामले का हल निकालने का कई दफा प्रयास हुआ पर असफलता ही हाथ लगी. इसे लेकर एसडीएम के द्वारा भी दिशा निर्देश दिया गया लेकिन दूसरा पक्ष कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. चूंकि मामला काफी गंभीर हो चुका है और संघर्ष नहीं हो ऐसे में उक्त भूमि पर निषेधाज्ञा लगा दी जाएगी. इसके अलावा उपायुक्त और एसपी को भी उचित दिशा निर्देश के लिए पत्र लिखा जा रहा है.

ऐसे ही विवाद के कारण हुआ था खूनी संघर्षः बता दें कि तीन वर्ष पूर्व पीरटांड़ के पिपराटांड़ में जमीन विवाद में दोहरा हत्याकांड हुआ था. इस घटना के बाद काफी हो हंगामा हुआ था. कई परिवार को कई दिन पुलिस की सुरक्षा के बीच गांव के बाहर रहना पड़ा था. इस घटना के दौरान भी सवाल प्रशासन पर ही उठा था. अब कानाडीह के विवाद के बाद प्रशासन अलर्ट है.

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गिरिडीहः जमीन विवाद का निपटारा सही समय पर नहीं होता है तो मामला खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाता है. कुछ ऐसी ही स्थिति जमीन के बड़े भूभाग को लेकर पीरटांड़ के कानाडीह में तैयार हो रही है. यहां जमीन के लिए दो पक्ष आमने सामने हैं, ये विवाद 7 दशक से चल रहा है.

इसे भी पढ़ें- Fight in Latehar: जमीन विवाद में मारपीट में 11 लोग घायल, पीड़ितों ने किया सड़क जाम

एक पक्ष के पास जमीन बंटवारा की डिग्री भी है, इसके बावजूद वह जमीन पर काबिज नहीं हो पा रहा हैं. जमीन पर कब्जा दिलवाने को लेकर बबलू मरांडी व उसके साथ के लोगों द्वारा लगातार अधिकारियों के पास गुहार लगाई जा रही है लेकिन इसका हल नहीं निकल सका हैं. वहीं दूसरे पक्ष द्वारा जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया जा रहा हैं. दूसरे पक्ष का कहना है कि जमीन वे लोग जोतते हैं तो हक उनका हुआ.

अंचल कार्यालय का बंद किया दरवाजाः जमीन पर कब्जा दिलवाने की गुहार लगा रहे बबलू मरांडी व अन्य के द्वारा लगातार अनुमंडल कार्यालय, अंचल कार्यालय का चक्कर लगाया जा रहा हैं. धान की खेती के दौरान भी जब इनकी समस्या का हल नहीं निकला तो इनके द्वारा पीरटांड अंचल कार्यालय का दरवाजा ही बंद कर दिया गया. घंटों तक कर्मियों व अधिकारियों को अंदर ही बंद रखा गया. बाद में पीरटांड थाना प्रभारी दिलशन बिरुआ और मधुबन थाना प्रभारी राजू मुंडा पहुंचे. यहां पर लोगों को समझाने का प्रयास किया गया. इस दौरान गुहार लगा रहे लोगों का कहना था कि उनकी समस्या का हल निकाला नहीं जा रहा हैं. अधिकारी फिर से कोर्ट जाने को कहते हैं. वे लोग डरे हैं और सिर्फ इंसाफ मांग रहे हैं. यहां पुलिस पदाधिकारी ने लोगों को समझाया और आवश्यक कार्यवाई का भरोसा दिया जिसके बाद लोग शांत हुए.

जमीन पर लगेगी निषेधाज्ञा: सीओः दूसरी तरफ पीरटांड़ अंचलाधिकारी विनय प्रकाश तिग्गा कहते हैं कि यह बात सही हैं कि बबलू मरांडी के पक्ष में न्यायालय द्वारा डिग्री दी गई है. डिग्री वर्ष 1941 में ही दी गई है लेकिन दूसरा पक्ष इस फैसले को मान ही नहीं रहा है. इस मामले का हल निकालने का कई दफा प्रयास हुआ पर असफलता ही हाथ लगी. इसे लेकर एसडीएम के द्वारा भी दिशा निर्देश दिया गया लेकिन दूसरा पक्ष कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. चूंकि मामला काफी गंभीर हो चुका है और संघर्ष नहीं हो ऐसे में उक्त भूमि पर निषेधाज्ञा लगा दी जाएगी. इसके अलावा उपायुक्त और एसपी को भी उचित दिशा निर्देश के लिए पत्र लिखा जा रहा है.

ऐसे ही विवाद के कारण हुआ था खूनी संघर्षः बता दें कि तीन वर्ष पूर्व पीरटांड़ के पिपराटांड़ में जमीन विवाद में दोहरा हत्याकांड हुआ था. इस घटना के बाद काफी हो हंगामा हुआ था. कई परिवार को कई दिन पुलिस की सुरक्षा के बीच गांव के बाहर रहना पड़ा था. इस घटना के दौरान भी सवाल प्रशासन पर ही उठा था. अब कानाडीह के विवाद के बाद प्रशासन अलर्ट है.

Last Updated : Aug 3, 2023, 4:57 PM IST
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