गिरिडीह: मनरेगा में मार्च लूट करते हुए मेटेरियल सप्लायर को सीधा लाभ पहुंचाने के मामले में जिले के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कार्यवाई की है. डीसी ने सदर प्रखंड में पदस्थापित बीपीओ भिखदेव पासवान व हेमलता का तबादला गावां व गांडेय कर दिया है. वहीं अब यह भी जांच की जा रही है कि सदर प्रखंड के किन किन पंचायतों ने अत्यधिक राशि निकालते हुए किस किस वेंडर को भुगतान किया था.
गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने सदर प्रखंड के बीपीओ भीखदेव पासवान, हेमलता कुमारी के अवाला गांवा के बीपीओ दीपक कुमार को बेंगाबाद, बेगबाद के निकेश कुमार को गिरिडीह, गांडेय की मेरी प्रियंका मरांडी को गिरिडीह, सरिया के परमेंद्र कुमार राय को बगोदर, बगोदर के अजय कुमार राय को सरिया स्थानांतरित कर दिया है. इसे लेकर पत्र जारी किया गया है.
निकाल ली गई 8 गुणा अधिक राशि: यहां बता दें कि गिरिडीह जिले के 13 प्रखंडों के लिए 30 मार्च को 13.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इस राशि को गिरिडीह डीडीसी के द्वारा प्रखंड के विभिन्न प्रखंडों को आवंटित किया गया था. इसमें गिरिडीह सदर ब्लॉक के हिस्से 95 लाख रुपये आया था. परंतु डीडीसी के निर्देशों के बाद भी गिरिडीह सदर ब्लॉक ने अपने निर्धारित कोटा से आठ गुणा अधिक लगभग 788 लाख रुपए की निकासी कर ली थी. इससे जिले के दूसरे प्रखंडों में सामाग्री मद में राशि का भुगतान प्रभावित हुआ है. इतना ही नहीं मनरेगा प्रावधान के अनुसार मनरेगा में मजदूरी और सामाग्री मद में खर्च का अनुपात क 60 : 40 का है. यहां पर इस अनुपात को भी ध्वस्त कर यहां 56 : 44 कर दिया गया.
30 मार्च को खबर की गई थी प्रकाशित: 30 मार्च को पूरा अध्ययन करने के बाद खबर को प्रकाशित की गई थी. शाम को खबर प्रकाशित होने के बाद जिले के डीडीसी शशिभूषण मेहरा ने जांच कर कार्यवाई का भरोसा दिया था. इस बीच डीसी नमन प्रियेश लकड़ा को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने त्वरित कार्यवाई करते हुए अलग अलग जांच कमिटी बनायी थी. जांच के प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद दोनों बीपीओ को हटा दिया गया.
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कई लोग जांच के दायरे में: इधर बताया जाता है इस मामले पर डीसी के रुख को देखते हुए जांच कमिटी सभी बिंदुओं पर पड़ताल कर रही है. यह देखा जा रहा है कि एक एक पंचायत ने कैसे इतनी मोटी रकम निकाल ली. रकम को किस किस मेटेरियल सप्लायर को भेजा गया. जिस जिस योजना के नाम पर रकम की निकासी की गई है उक्त योजना पूर्ण हुई या नहीं. इन योजनाओं के मजदूर व लाभुक कौन कौन थे. कहा जा रहा है जांच पूरी होने के बाद कइयों की गर्दन पर तलवार लटक सकती है.