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गढ़वा में आदिम जनजाति के लोगों ने किया धर्म परिवर्तन, कोरवा परिवार ने किया सामाजिक बहिष्कार - गढ़वा में आदिम जनजाति ने किया धर्म परिवर्तन

गढ़वा जिला में आदिम जनजाति के लोगों को धर्म परिवर्तन कराने का मामला प्रकाश में आया है. जबकि कोरवा परिवार की तरफ से धर्म परिवर्तन करने वालों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है. वहीं बीडीओ इस मामले की जांच कर रहे हैं.

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ईसाई धर्म में कराया स्थानांतरण
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Published : Feb 3, 2021, 9:59 AM IST

गढ़वा: धर्म परिवर्तन के कड़े कानून के बाद भी प्रलोभन देकर विलुप्त होते आदिम जनजाति परिवार को ईसाई धर्म में शामिल कराने का मामला प्रकाश में आया है. ईसाई पास्टर के प्रलोभन में आकर धुरकी प्रखंड के खाला गांव के 30-40 परिवार ने अपने मूल धर्म छोड़कर ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया. उधर, कोरवा समुदाय ने धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. उनसे संपर्क रखने वाले लोगों को दंडित करने का निर्णय लिया है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है.

देखें पूरी खबर

कराया गया धर्म परिवर्तन
बात दें कि खाला गांव में विलुप्त होते आदिम जनजाति का 40 परिवार निवास करता है. गांव में अनुसूचित जाति के लोग भी निवास करते हैं. वे अत्यंत गरीब और शैक्षणिक रूप से काफी पिछड़े हैं. जंगली उत्पाद और मजदूरी पर उनकी जिंदगी टिकी हुई है. इसी का फायदा उठाकर ईसाई समुदाय के लोग वर्षों से उन्हें प्रलोभन देने में लगे हैं. इस कार्य को ईसाई पास्टर पीटर कई दिनों से कर रहे थे. उसने सबसे पहले गांव के सुकृत राम को ईसाई बनाया. उसके बाद सुकृत के घर में चंगाई सभा शुरू की. उसमें गांव के लोगों को बुलाकर यीशु के शरण मे आने और ईसाई धर्म स्वीकार करने पर आर्थिक लाभ देने, बच्चों की पढ़ाई कराने, रोजगार देने, संतान सुख प्रदान करने, रोग-दुख से मुक्त कराने का प्रलोभन दिया जाने लगा. इस कारण सुकृत राम के पांच भाइयों में से चार भाई का पूरा परिवार ईसाई बन गया. उनसे साथ गांव के अन्य कई परिवार भी ईसाई धर्म अपना लिए. उसके बाद पास्टर पीटर ने आदिम जनजाति के झरी कोरवा को निशाने पर लिया और उसे भी ईसाई बना दिया. झरी कोरवा ने हाल ही में गांव के सिकंदर कोरवा और नानू कोरवा को ईसाई धर्म में शामिल कर लिया. इन दोनों के ईसाई धर्म स्वीकार करने के बाद कोरवा समुदाय उद्वेलित हो गया.

इसे भी पढ़ें- धनबाद में चलाया गया सघन वाहन जांच अभियान, नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ हुई कार्रवाई


लिया सामाजिक बहिष्कार का निर्णय
कोरवा समुदाय के लोगों ने सभा कर अपना धर्म छोड़कर इसाई धर्म अपनाने वालों को समाज से बहिष्कृत कर दिया. उनसे अपना सारा नाता तोड़ने का एलान किया. साथ ही उनसे संबंध रखने पर 5100 रुपये का आर्थिक दंड और 50 लाठी की पिटाई का शारीरिक दंड देने का कठोर निर्णय लिया. इस मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. इसकी जानकारी मिलते ही नगर उंटारी एसडीओ जयवर्द्धन कुमार ने धुरकी बीडीओ रणजीत कुमार सिन्हा को जांच का निर्देश दिया. बीडीओ इस मामले की जांच कर रहे हैं.

गढ़वा: धर्म परिवर्तन के कड़े कानून के बाद भी प्रलोभन देकर विलुप्त होते आदिम जनजाति परिवार को ईसाई धर्म में शामिल कराने का मामला प्रकाश में आया है. ईसाई पास्टर के प्रलोभन में आकर धुरकी प्रखंड के खाला गांव के 30-40 परिवार ने अपने मूल धर्म छोड़कर ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया. उधर, कोरवा समुदाय ने धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. उनसे संपर्क रखने वाले लोगों को दंडित करने का निर्णय लिया है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है.

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कराया गया धर्म परिवर्तन
बात दें कि खाला गांव में विलुप्त होते आदिम जनजाति का 40 परिवार निवास करता है. गांव में अनुसूचित जाति के लोग भी निवास करते हैं. वे अत्यंत गरीब और शैक्षणिक रूप से काफी पिछड़े हैं. जंगली उत्पाद और मजदूरी पर उनकी जिंदगी टिकी हुई है. इसी का फायदा उठाकर ईसाई समुदाय के लोग वर्षों से उन्हें प्रलोभन देने में लगे हैं. इस कार्य को ईसाई पास्टर पीटर कई दिनों से कर रहे थे. उसने सबसे पहले गांव के सुकृत राम को ईसाई बनाया. उसके बाद सुकृत के घर में चंगाई सभा शुरू की. उसमें गांव के लोगों को बुलाकर यीशु के शरण मे आने और ईसाई धर्म स्वीकार करने पर आर्थिक लाभ देने, बच्चों की पढ़ाई कराने, रोजगार देने, संतान सुख प्रदान करने, रोग-दुख से मुक्त कराने का प्रलोभन दिया जाने लगा. इस कारण सुकृत राम के पांच भाइयों में से चार भाई का पूरा परिवार ईसाई बन गया. उनसे साथ गांव के अन्य कई परिवार भी ईसाई धर्म अपना लिए. उसके बाद पास्टर पीटर ने आदिम जनजाति के झरी कोरवा को निशाने पर लिया और उसे भी ईसाई बना दिया. झरी कोरवा ने हाल ही में गांव के सिकंदर कोरवा और नानू कोरवा को ईसाई धर्म में शामिल कर लिया. इन दोनों के ईसाई धर्म स्वीकार करने के बाद कोरवा समुदाय उद्वेलित हो गया.

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लिया सामाजिक बहिष्कार का निर्णय
कोरवा समुदाय के लोगों ने सभा कर अपना धर्म छोड़कर इसाई धर्म अपनाने वालों को समाज से बहिष्कृत कर दिया. उनसे अपना सारा नाता तोड़ने का एलान किया. साथ ही उनसे संबंध रखने पर 5100 रुपये का आर्थिक दंड और 50 लाठी की पिटाई का शारीरिक दंड देने का कठोर निर्णय लिया. इस मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. इसकी जानकारी मिलते ही नगर उंटारी एसडीओ जयवर्द्धन कुमार ने धुरकी बीडीओ रणजीत कुमार सिन्हा को जांच का निर्देश दिया. बीडीओ इस मामले की जांच कर रहे हैं.

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