गढ़वा: महाशिवरात्रि पर्व में गढ़वा के सभी शिवालयों में भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े रहे. इस मौके पर आयोजित विशेष पूजा और मेला में भक्तों की भीड़ उमड़ती रही. मेला में पूजा पाठ के समान के साथ-साथ खाने-पीने के लिए तरह-तरह के व्यंजन के स्टॉल लगे हुए थे. भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो साथ ही शिवालयों में दर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो, इसे लेकर पुलिस की व्यापक व्यवस्था की गई थी.
शिव ढोंढा मंदिर
यह मंदिर जिला मुख्यालय के सोनपुरवा मोहल्ले में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास आदिवासी समाज से जुड़ा हुआ है. आज भी इस मंदिर में महाशिवरात्रि की प्रथम पूजा आदिवासी समाज के लोग ही करते हैं. उसके बाद आम लोगों की पूजा शुरू होती है.
राजा पहाड़ी शिव मंदिर
वंशीधर अनुमंडल मुख्यालय में लगभग एक हजार फीट ऊपर पहाड़ पर स्थित शिव मंदिर में आज झारखंड के अलावे बिहार और यूपी के भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं. यहां भी भव्य मेला का आयोजन किया जाता है.
जोगिया बाबा शिव मंदिर
यह शिव मंदिर जिले के डंडई प्रखंड के टोरी गांव पहाड़ के ऊपर स्थित है. जमीन से लगभग दो हजार फीट ऊपर स्थित शिव मंदिर पर भव्य पूजा और मेला का आयोजन किया गया. शिव मंदिर बनने के बाद लगभग 200 एकड़ में फैले इस पहाड़ को पर्यावरण की दृष्टि से विकसित किया गया है. पहले इसे बंडा पहाड़ कहा जाता था क्योंकि यहां कोई हरियाली नहीं थी.
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खोंहरनाथ शिव मंदिर
गढ़वा प्रखंड के बेलहरा गांव में स्थित इस मंदिर में भगवान भोले शंकर पानी मे डूबे रहते हैं. सघन ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां महाशिवरात्रि के दिन अप्रत्याशित भीड़ होती है. इसी तरह जिले के कई शिवालयों और मंदिरों में महाशिवरात्रि की भव्य पूजा की गई.
रामलला मंदिर के संरक्षक बाबा श्यामनंद पांडेय के कहा कि जगत के कल्याण के लिए आज के दिन ही तीनों लोक के स्वामी और आदि शक्ति का मिलन हुआ था. भगवान शंकर को विवाह का मुहूर्त प्राप्त हुआ था और पार्वती के साथ विवाह किया था. महाशिवरात्रि शंकर-पार्वती के विवाह का महोत्सव है, जिसे हिंदू समाज हर्षोल्लाष के साथ मनाता है.