गढ़वाः अमूनन यह देखा गया है कि चुनाव जीतने के बाद राजनेता जनता को भूल जाते हैं. अपने स्वार्थ और इच्छा की पूर्ति के लिए स्वयं नियम और कायदे कानून बना लेते हैं. लेकिन झारखंड में एक ऐसे भी राजनेता सह मंत्री हैं जो स्वयं अस्वस्थ होते हुए भी जनता पर मंडरा रहे कोरोना महामारी के जानलेवा खतरे से लड़ रहे हैं. राजनेता मिथिलेश कुमार ठाकुर अपनी जान की परवाह किए बिना गढ़वा से लेकर तेलंगाना तक लोगों की सुरक्षा की घंटी बजाने में जुटे हुए हैं.
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झामुमो के केंद्रीय महासचिव मिथिलेश कुमार ठाकुर जेएमएम की टिकट पर इस बार गढ़वा से विधायक चुने गए हैं और उनकी काबिलीयत को देखते हुए उन्हें झारखंड सरकार में पेयजल और स्वच्छता मंत्री का बागडोर थमाया गया है. फिलहाल, मंत्री स्पाइनलकोड की समस्या के कारण बीमार हैं. इलाज के बाद रांची स्थित अपने आवास एक माह से बेड रेस्ट पर हैं. इस दौरान विश्व के अन्य देशों के साथ भारत में भी कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू हो गया है. इस बीच मंत्री अपनी स्वास्थ्य की परवाह किये बिना अपने विधानसभा क्षेत्र के सभी प्रखंडों में प्रचार-प्रसार कराकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं.
वहीं, कई स्थानों पर मुख्यमंत्री ने दाल-भात योजना शुरू करायी है. चलंत भोजनालय शुरू कराया है. गांवों में सैनिटाइजर, गमछा, साबुन, मास्क का वितरण भी किया जा रहा है. अपने निजी फंड से बड़े प्रखंड के लिए एक-एक लाख और छोटे प्रखंडों के लिए 50-50 हजार रुपये उपलब्ध कराए हैं. मंत्री मिथिलेश का प्रयास यहीं नहीं रुका बल्कि उन्होंने दूसरे प्रदेशों में फंसे गढ़वा के लोगों की मदद के लिए मुख्यमंत्री से प्रयास करवाया. मिथिलेश ठाकुर ने स्वयं संबंधित प्रदेश के अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर उन्हें आवश्यक व्यवस्था उपलब्ध करायी.
वहीं, जिन प्रदेशों में व्यवस्था कायम नहीं हो सकी, वहां फंसे लोगों के खाते में राशि डालकर उन्हें जीने-खाने की वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान की. इन तमाम व्यवस्था करने और करवाने वाले मंत्री मिथिलेश ठाकुर की स्वास्थ्य इतनी खराब है कि वे ठीक से करवट भी नहीं ले पा रहे हैं. ऐसी हालत में भी जनता के लिए समर्पित मिथिलेश कुमार ठाकुर का स्वास्थ्य जानने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता स्वयं उनके घर पहुंचे और उनका हाल जाना. मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा कि जनता के प्रति वह पूरी तरह समर्पित और संवेदनशील हैं. उन्होंने कहा कि मरते दम तक वह इस कार्य में लगे रहेंगे.