गढ़वा: पुरखों के धर्म से बिछड़ने का दर्द रविवार को अपने मूल धर्म में वापस लौटते ही खुशियों में तब्दील हो गया. ईसाई बने 33 परिवार के 181 लोगों ने फिर से सरना धर्म में वापस लौट गए हैं. सरना समाज ने अपने लोगों के वापस लौटने की खुशी में नाच-गाकर उनका स्वागत किया.
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प्रकृति की पूजा से की गई कार्यक्रम की शुरुआत
गढ़वा जिले के भंडरिया प्रखंड के सराईडीह गांव में धर्म जागरण और जनजातीय सुरक्षा मंच के तत्वावधान में जनजातीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विश्रामपुर गोरैयाबखार गांव के 18 परिवार के 104, खूंटी टोला करचाली गांव के 7 परिवार के 42 लोग और महंगाई गांव के 8 परिवार के 35 लोग सहित कुल 181 लोग ईसाई धर्म छोड़कर सरना धर्म में वापस लौट आए. इन लोगों के लिए घर वापसी कार्यक्रम की शुरुआत प्रकृति की पूजा से की गई.
पूर्वजों ने चुना था ईसाई धर्म
महिलाओं के मंगल गीत के साथ एक दर्जन से ज्यादा बैगा पाहनों ने विधिवत पूजा की. अतिथियों ने वापस लौटे लोगों के पैर धोए उसके बाद वापस लौटी महिलाओं को महिला कार्यकर्ताओं ने सिंदूर लगाया, पुरुष, बच्चे-बच्चियों को चंदन-रोड़ी का टिका लगाया. सभी के गले में भगवान का लॉकेट पहनाया गया. सरना धर्म में वापस लौटने वाले लोगों ने अपनी मन की बाते कही. उन्होंने बताया कि कैसे उनके पूर्वज ईसाई बन गए. उन्हें जब अपने पुरखों के छल से धर्म बदलवाने का ज्ञान हुआ तब वे अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय ले लिया.