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कम उम्र में बेटियों की शादी करना सर्वाइकल कैंसर को दे रहा न्यौता, जागरूकता की जरूरत

18 वर्ष में ब्याही गई बेटियों में सर्वाइकल कैंसर जैसी बिमारियां पनपती है. पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला तीन जिलों को मिलाकर 18 से 23 वर्ष की उम्र के बीच में 66.66 फीसदी बेटियों में सर्वाइकल कैंसर पाया गया है. जिसका मुख्य कारण कम उम्र में बेटियों की शादी करना है.

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Published : Dec 29, 2020, 8:22 PM IST

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सर्वाइकल कैंसर

जमशेदपुरः कम उम्र में ब्याही गई बेटियों में सर्वाइकल कैंसर(गर्भाशय कैंसर) का खतरा सबसे ज्यादा होता है. देश में प्रति आठ मिनट में एक बेटी की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. प्रति वर्ष पांच लाख से ज्यादा महिलाएं गर्भाशय कैंसर से तिल-तिल कर मर रही हैं. देश में तीसरे नंबर की सबसे खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर मानी जाती है.

देखिए पूरी रिपोर्ट
ह्यूमन पैपिलोमा और एचआइवी इनफेक्शन
गर्भाशय के निचले हिस्से को सिविक्स कहा जाता है और सिविक्स में जो कैंसर पनपता है उसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है. सर्वाइकल कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा कम उम्र में ब्याही गई बेटियों में होता है. शोध के मुताबिक 18 वर्ष में ब्याही गई बेटियों में शारीरिक संबंध बनाने की शक्ति कमजोर होती है. इस दौरान बेटियां गर्भवती होने के लायक नहीं होती है. जिसके कारण सर्वाइकल कैंसर का असर सबसे ज्यादा होता है. कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाने के कारण भी सर्वाइकल कैंसर होता है. सर्वाइकल कैंसर के दो रिस्क फैक्टर मेडिकल साइंस की ओर से माने गए हैं. जिसे ह्यूमन पैपिलोमा और एचआईवी इनफेक्शन कहा जाता है. कम उम्र में ब्याही गई बेटियों में सेक्सुअल ट्रांसमिशन और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के इन्फेक्शन की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं.


महिलाओं में 18.51 फीसदी सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े
महात्मा गांधी मेडिकल मेमोरियल कॉलेज(एमजीएम) की डॉक्टर वनिता सहाय के शोध के मुताबिक 12 से 17 वर्ष की उम्र के बीच में 22.22 फीसदी बेटियां सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित पाई गई हैं. 18 से 23 वर्ष की उम्र के बीच में 66.66 फीसदी बेटियों में सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े सबसे ज्यादा पाए गए हैं. 24 से 29 वर्ष के बीच 3.7 फीसदी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े मिले. धूम्रपान और तंबाकू सेवन करने वाली महिलाओं में 18.51 फीसदी सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े मिले. यह शोध पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला तीन जिलों को मिलाकर किया गया है.


इसे भी पढ़ें- जेएमएम ने गिनवाई हेमंत सरकार की उपलब्धियां, पूर्व की रघुवर सरकार से बताया बेहतर

कम उम्र में बेटियों का विवाह
पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण सुदूरवर्ती स्थानों पर शोध के बाद पाया गया कि कम उम्र में बेटियों की शादी करने से बेटियों में सर्वाइकल कैंसर का असर सबसे ज्यादा होता है. इस दौरान शिक्षा का अभाव होना, धूम्रपान करना, ये सभी इसके मुख्य कारणों में से एक हैं. सर्वाइकल कैंसर होने पर बेटियों को तेज दर्द होता है. इस दौरान बेटियों को पीरियड्स के बाद शरीर से खून आते हैं. कई बेटियां अपने परिजनों से इस बात को छुपाती है. कुछ दिनों के बाद यह सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है.

सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए टीका
बेटियों को 9 वर्ष से लेकर 26 वर्ष में सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए टीका लगाया जा सकता है. इसमें ह्यूमन पेपिलोमा वायरस का इंफेक्शन कम हो जाता है. जिस वजह से कैंसर होने के खतरे भी बहुत कम हो जाते हैं. इस टीके की लागत बाजार में दस हजार रुपये होती है. आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाएं पैसों की कमी के कारण टीका नहीं लगावा पाती हैं. सर्वाइकल कैंसर के असर को कम करने के लिए बेटियों की शादी की उम्र 18 वर्ष की बजाय 21 वर्ष होनी चाहिए. इस दौरान बेटियां शारीरिक रूप से विकसित हो जाती हैं.

जमशेदपुरः कम उम्र में ब्याही गई बेटियों में सर्वाइकल कैंसर(गर्भाशय कैंसर) का खतरा सबसे ज्यादा होता है. देश में प्रति आठ मिनट में एक बेटी की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. प्रति वर्ष पांच लाख से ज्यादा महिलाएं गर्भाशय कैंसर से तिल-तिल कर मर रही हैं. देश में तीसरे नंबर की सबसे खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर मानी जाती है.

देखिए पूरी रिपोर्ट
ह्यूमन पैपिलोमा और एचआइवी इनफेक्शनगर्भाशय के निचले हिस्से को सिविक्स कहा जाता है और सिविक्स में जो कैंसर पनपता है उसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है. सर्वाइकल कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा कम उम्र में ब्याही गई बेटियों में होता है. शोध के मुताबिक 18 वर्ष में ब्याही गई बेटियों में शारीरिक संबंध बनाने की शक्ति कमजोर होती है. इस दौरान बेटियां गर्भवती होने के लायक नहीं होती है. जिसके कारण सर्वाइकल कैंसर का असर सबसे ज्यादा होता है. कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाने के कारण भी सर्वाइकल कैंसर होता है. सर्वाइकल कैंसर के दो रिस्क फैक्टर मेडिकल साइंस की ओर से माने गए हैं. जिसे ह्यूमन पैपिलोमा और एचआईवी इनफेक्शन कहा जाता है. कम उम्र में ब्याही गई बेटियों में सेक्सुअल ट्रांसमिशन और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के इन्फेक्शन की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं.


महिलाओं में 18.51 फीसदी सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े
महात्मा गांधी मेडिकल मेमोरियल कॉलेज(एमजीएम) की डॉक्टर वनिता सहाय के शोध के मुताबिक 12 से 17 वर्ष की उम्र के बीच में 22.22 फीसदी बेटियां सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित पाई गई हैं. 18 से 23 वर्ष की उम्र के बीच में 66.66 फीसदी बेटियों में सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े सबसे ज्यादा पाए गए हैं. 24 से 29 वर्ष के बीच 3.7 फीसदी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े मिले. धूम्रपान और तंबाकू सेवन करने वाली महिलाओं में 18.51 फीसदी सर्वाइकल कैंसर के आंकड़े मिले. यह शोध पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला तीन जिलों को मिलाकर किया गया है.


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कम उम्र में बेटियों का विवाह
पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण सुदूरवर्ती स्थानों पर शोध के बाद पाया गया कि कम उम्र में बेटियों की शादी करने से बेटियों में सर्वाइकल कैंसर का असर सबसे ज्यादा होता है. इस दौरान शिक्षा का अभाव होना, धूम्रपान करना, ये सभी इसके मुख्य कारणों में से एक हैं. सर्वाइकल कैंसर होने पर बेटियों को तेज दर्द होता है. इस दौरान बेटियों को पीरियड्स के बाद शरीर से खून आते हैं. कई बेटियां अपने परिजनों से इस बात को छुपाती है. कुछ दिनों के बाद यह सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है.

सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए टीका
बेटियों को 9 वर्ष से लेकर 26 वर्ष में सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए टीका लगाया जा सकता है. इसमें ह्यूमन पेपिलोमा वायरस का इंफेक्शन कम हो जाता है. जिस वजह से कैंसर होने के खतरे भी बहुत कम हो जाते हैं. इस टीके की लागत बाजार में दस हजार रुपये होती है. आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाएं पैसों की कमी के कारण टीका नहीं लगावा पाती हैं. सर्वाइकल कैंसर के असर को कम करने के लिए बेटियों की शादी की उम्र 18 वर्ष की बजाय 21 वर्ष होनी चाहिए. इस दौरान बेटियां शारीरिक रूप से विकसित हो जाती हैं.

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