जमशेदपुरः झारखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर बिष्टुपुर के गोपाल मैदान में ट्राइबल कॉन्क्लेव संवाद का आयोजन (Tribal Conclave organized in Jamshedpur) हो रहा. इसकी जानकारी देते हुए टाटा स्टील फाउंडेशन सीइओ सौरव राय ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों के जनजातियों के प्रतिनिधि के अलावा विदेशी प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
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शहर के बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में राज्य के स्थापना दिवस 15 नवंबर की शाम ट्राइबल कांक्लेव संवाद का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देश भर की 186 जनजातियों के 25सौ से ज्यादा की संख्या में प्रतिनिधि शिरकत करेंगे. कोरोना काल के 2 साल बाद इस तरह का आयोजन किया जा रहा है. जमशेदपुर के सोनारी स्थित ट्राइबल कल्चर सेंटर में जानकारी देते हुए टाटा स्टील फाउंडेशन सीइओ ने बताया कि यह आयोजन 15 नवंबर 2022 से 19 नवंबर 2022 तक जमशेदपुर के गोपाल मैदान में होगा. संवाद 2022 में 200 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 2 हजार से अधिक लोग जुटेंगे. इनमें 23 राज्यों एवं 4 केंद्र शासित प्रदेशों से 27 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह शामिल हैं. साथ ही झारखंड की 31 जनजातियों के 501 नगाड़ों की आवाज गूंजेगी.
जनजातीय गौरव दिवस (Jan Jatiya Gaurav Divas 2022) के मौके पर इस मंच में जरिये पूरे देश के आदिवासी समुदाय आदिवासी संस्कृति का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं. विकास एवं औद्योगीकरण के समय में आदिवासी समुदायों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं. भारत में आदिवासीवाद पर सबसे बड़े मंचों में से एक है, जहां आदिवासी कलाकारों, बुनकरों और कारीगरों, संगीतकारों, देसी तरीके से चिकित्सा करनेवाले चिकित्सकों, घरेलू रसोइयों, विद्वानों, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों का जमघट होगा. जो संवाद में अपना योगदान देने के साथ ही आदिवासी संस्कृति का जश्न भी मनाएंगे.
संवाद 2022 में आदिवासी समदाय से पद्मश्री दुर्गाबाई व्याम और सुभाष व्याम, जपानी श्याम, डॉ सोनम वांगचुक समेत कई अग्रणी लोगों की भागीदारी होगी, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभवों को व्यक्त करेंगे. आदिवासी कला और हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री स्टालों के माध्यम से 41 से अधिक कला रूपों का प्रतिनिधित्व किया जाएगा. जिनमें संथाल कठपुतली, वारली कला, और बोडो बुनाई जैसे कला रूपों के जीवंत प्रदर्शन होगा. यहां आगंतुक कलाकारों के साथ से सीधे संवाद भी कर सकेंगे. इन समुदायों के स्वादिष्ट जायके को प्रोत्साहित करने के लिए 112 घरेलू रसोइयों द्वारा तैयार 101 से अधिक आदिवासी व्यंजनों को परोसा जाएगा.