जमशेदपुर: राज्य सरकार की नई नीति के तहत बालू ढुलाई सिर्फ ट्रैक्टरों द्वारा किए जाने का हाइवा और टिपर मालिकों ने विरोध किया है. उनका कहना है कि इसके कारण एक बार फिर 10 हजार से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गए है. वहीं दूसरी ओर टिपर मालिक सरकार के इस फैसले के खिलाफ हड़ताल पर चले गए हैं. वाहन मालिकों के अनुसार लॉकडाउन के कारण बीते 3 महीने से व्यवसाय पूरी तरह से ठप है, जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. सरकार की ओर से लॉकडाउन के मद्देनजर लिए गए फैसले से उनका कारोबार बंद होने की कगार पर है.
इस मामले को लेकर कोल्हान टिपर हाइवा एसोसिएशन के चेयरमैन सतवीर सिंह सोमू का कहना है कि लाॅकडाउन के कारण पहले ही कमाई बंद है. फिर भी वाहन मालिकों को लोन की राशि, टैक्स समेत अन्य राशि का भुगतान करना पड़ रहा है. व्यवसाय ठप होने के बाद उनकी जमा पूंजी खत्म हो चुकी है. अब सरकार के इसे फैसले ने उनके कारोबार को बंदी की कगार पर पहुंचा दिया है. सरकार के इस आदेश के बाद लौहनगरी के वाहन मालिक अपने हाइवा, डंपर और टिपर का परिचालन बंद कर पिछले 3 दिनों से सोनारी के निकट दोमुहानी में आंदोलन कर रहे हैं.
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जमशेदपुर से स्वर्णरेखा नदी और खरकाई नदी से बालू का उठाव होता है, लेकिन ज्यादातर बालू पड़ोसी राज्य ओडिशा और बंगाल से आती है और इनकी दूरियां लगभग 100 से 125 किलोमीटर के लगभग है. उनके अनुसार ट्रैक्टर से इतनी दूर से बालू लाना संभव नहीं है. अगर ट्रैक्टर से बालू आती भी है तो उसके मूल्य में बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा. वहीं इन वाहन में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि लाॅकडाउन के कारण वह घरों में बैठे हैं. जैसे-तैसे उन लोगों ने समय बिताया है. अब जब काम मिला तो पता चला कि सरकार डंपर चलाने की अनुमति नहीं दे रही है. एक बार फिर वे लोग बेरोजगार हो गए हैं.
बालू उठाव के लिए दे अनुमति
वहीं, वाहन मालिक इस मामले को लेकर सभी का दरवाजा खटखटा रहे हैं. हालांकि उन्हें सभी जगह से सिर्फ आश्वासन ही मिला है. जमशेदपुर के सांसद भी उनकी मांगों का समर्थन कर रहे हैं. सांसद विद्युत वरण महतो का कहना है कि सरकार इस मामले में पहल करे और उनकी मांगों पर पुनः विचार करते हुए फिर से बालू उठाव के लिए अनुमति दे.