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कोरोना काल में रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं लोग, महिलाएं अपना रही खेती-बारी

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Published : Aug 25, 2020, 5:01 PM IST

पूरे देश में कोरोना संक्रमण की वजह से आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है. कोरोना संक्रमण का आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ने से बेरोजगारी बढ़ी है. मजदूर वर्ग के लोग काम के लिए भटक रहे हैं. जमशेदपुर के पोटका विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण खेती के अलावा ठेका मजदूरी का काम करते थे. लेकिन कोरोना के कारण आज उन्हें ठेका मजदूरी में भी काम नहीं मिल रहा है. वो काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं.

कोरोना काल में रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं लोग
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जमशेदपुर: चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना संक्रमण से विश्व के कई देश प्रभावित हुए हैं. इससे भारत भी अछूता नहीं हैं. कोरोना से भारत में आम जनजीवन के साथ-साथ आर्थिक व्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं, कोरोना की वजह से पूरे देश सहित जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों की जिंदगी पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा है. अब उनकी जिंदगी समझौते से चल रही है.

देखें स्पेशल खबर

काम की तलाश में भटक रहे हैं लोग

पूरे देश में कोरोना संक्रमण की वजह से आम जन जीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है. कोरोना संक्रमण का आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ने से बेरोजगारी बढ़ी है. शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना का असर बुरी तरह से पड़ा है. मजदूर वर्ग के लोग काम के लिए भटक रहे हैं. कई ग्रामीण वर्तमान हालात को देखते हुए समझौते के साथ अपनी जिंदगी चलाने को मजबूर हैं. जमशेदपुर के पोटका विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण खेती के अलावा ठेका मजदूरी में काम करते थे. लेकिन कोरोना के कारण आज उन्हें ठेका मजदूरी में भी काम नहीं मिल रहा है. वो काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं.

लोगों की आर्थिक स्थिति खराब

ठेका मजदूर सनातन मांझी बताते हैं कि काम मांगने जाने पर अब उन्हें कहा जा रहा है कि कोरोना के खत्म होने के बाद ही काम मिल सकता है. ऐसे में सनातन किसी दूसरे किसान के खेत में काम करने को मजबूर हैं, लेकिन वहां भी स्थिति दयनीय बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी घर से बाहर निकल कर काम करती थी और अपना परिवार चलाती थी. लेकिन कोरोना काल में हुए लॉकडाउन में अब उन्हें भी रोजगार नहीं मिल रहा है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और परिवार चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें-गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स ने जताया विरोध, सड़क पर चलाए कागज की नाव, रोपे धान

संक्रमण के डर से लोग घरों में कैद

धर्मटोला गांव की छिता मांझी के पति का हाथ कटा हुआ है. बच्चों के साथ अपने पति की परवरिश वो काम करके पूरा करती थी लेकिन आज उसके पास काम नहीं है. साइकिल से वह दूर-दूर जाती है और काम की तलाश में करती हैं. लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है, छिता मांझी बताती है कि कोरोना के कारण उसे काम नहीं मिल रहा है. कोरोना संक्रमण फैलने के डर से लोग उसे अपने घर में काम नहीं दे रहे हैं, जिससे अब भगवान भरोसे ही उसका घर चल रहा है.

कोरोना काल में समय का सदुपयोग

इधर, कोरोना काल में गांव की महिलाओं ने समय का सदुपयोग किया है. गांव की एक महिला ने अपने घर के सामने खाली जमीन पर सब्जी उगाना शुरू कर दिया है, जिससे परिवार को थोड़ी बहुत राहत मिल रही है. उसने बताया कि टाटा मोटर्स में वह ठेका पर काम करती थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उसका काम छीन गया. उसके बाद परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. लेकिन अब सब्जी बेचकर कुछ पैसे कमा लेती है, जिससे परिवार को आर्थिक परेशानियों से थोड़ी राहत मिल रही है.

ये भी पढ़ें-लातेहार में बांस की खेती से किसान बन रहे सबल, हो रही साल में 50-60 हजार की आमदनी

समझौते के साथ जीवन जीने को मजबूर लोग

ओडिशा की रहने वाली जोबा रानी किस्कू पिछले चार महीने से अपने प्रदेश लौटने के इंतजार में है. वो बताती हैं कि संशाधन का अभाव और प्राइवेट वाहन में अधिक किराया के कारण वो जाने में असमर्थ है. यहां अब उसे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना काल में संकट पूरे देश में गहराया हुआ है, जिसे दूर होने में वक्त लगेगा. ऐसे में अधिकांश जिंदगी परेशानी का सामना करते हुए समझौते के साथ चल रहे हैं, जिससे उम्मीद है आने वाला दिन बेहतर होगा.

जमशेदपुर: चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना संक्रमण से विश्व के कई देश प्रभावित हुए हैं. इससे भारत भी अछूता नहीं हैं. कोरोना से भारत में आम जनजीवन के साथ-साथ आर्थिक व्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं, कोरोना की वजह से पूरे देश सहित जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों की जिंदगी पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा है. अब उनकी जिंदगी समझौते से चल रही है.

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काम की तलाश में भटक रहे हैं लोग

पूरे देश में कोरोना संक्रमण की वजह से आम जन जीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है. कोरोना संक्रमण का आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ने से बेरोजगारी बढ़ी है. शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना का असर बुरी तरह से पड़ा है. मजदूर वर्ग के लोग काम के लिए भटक रहे हैं. कई ग्रामीण वर्तमान हालात को देखते हुए समझौते के साथ अपनी जिंदगी चलाने को मजबूर हैं. जमशेदपुर के पोटका विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण खेती के अलावा ठेका मजदूरी में काम करते थे. लेकिन कोरोना के कारण आज उन्हें ठेका मजदूरी में भी काम नहीं मिल रहा है. वो काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं.

लोगों की आर्थिक स्थिति खराब

ठेका मजदूर सनातन मांझी बताते हैं कि काम मांगने जाने पर अब उन्हें कहा जा रहा है कि कोरोना के खत्म होने के बाद ही काम मिल सकता है. ऐसे में सनातन किसी दूसरे किसान के खेत में काम करने को मजबूर हैं, लेकिन वहां भी स्थिति दयनीय बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी घर से बाहर निकल कर काम करती थी और अपना परिवार चलाती थी. लेकिन कोरोना काल में हुए लॉकडाउन में अब उन्हें भी रोजगार नहीं मिल रहा है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और परिवार चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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संक्रमण के डर से लोग घरों में कैद

धर्मटोला गांव की छिता मांझी के पति का हाथ कटा हुआ है. बच्चों के साथ अपने पति की परवरिश वो काम करके पूरा करती थी लेकिन आज उसके पास काम नहीं है. साइकिल से वह दूर-दूर जाती है और काम की तलाश में करती हैं. लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है, छिता मांझी बताती है कि कोरोना के कारण उसे काम नहीं मिल रहा है. कोरोना संक्रमण फैलने के डर से लोग उसे अपने घर में काम नहीं दे रहे हैं, जिससे अब भगवान भरोसे ही उसका घर चल रहा है.

कोरोना काल में समय का सदुपयोग

इधर, कोरोना काल में गांव की महिलाओं ने समय का सदुपयोग किया है. गांव की एक महिला ने अपने घर के सामने खाली जमीन पर सब्जी उगाना शुरू कर दिया है, जिससे परिवार को थोड़ी बहुत राहत मिल रही है. उसने बताया कि टाटा मोटर्स में वह ठेका पर काम करती थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उसका काम छीन गया. उसके बाद परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. लेकिन अब सब्जी बेचकर कुछ पैसे कमा लेती है, जिससे परिवार को आर्थिक परेशानियों से थोड़ी राहत मिल रही है.

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समझौते के साथ जीवन जीने को मजबूर लोग

ओडिशा की रहने वाली जोबा रानी किस्कू पिछले चार महीने से अपने प्रदेश लौटने के इंतजार में है. वो बताती हैं कि संशाधन का अभाव और प्राइवेट वाहन में अधिक किराया के कारण वो जाने में असमर्थ है. यहां अब उसे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना काल में संकट पूरे देश में गहराया हुआ है, जिसे दूर होने में वक्त लगेगा. ऐसे में अधिकांश जिंदगी परेशानी का सामना करते हुए समझौते के साथ चल रहे हैं, जिससे उम्मीद है आने वाला दिन बेहतर होगा.

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