जमशेदपुरः लौहनगरी की पहचान मिनी भारत के रूप में की जाती है. नवरात्र के समय में सब लोग अलग-अलग ढंग से मां दुर्गा की आराधना करते हैं. उन्हीं में से शहर के रहने वाले ओड़िया भाषी दुर्गा पूजा अपनी विधि विधान से संपन्न करते हैं. महाअष्टमी के दिन मिलने वाला प्रसाद की काफी मांग रहती है. इस प्रसाद के लोग एक माह पहले से ही कूपन कटा लेते हैं.
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ओडिशा से आते हैं पंडित
जमशेदपुर के साकची स्थित उत्कल एसोसिएशन के परिसर में ओड़िया भाषियों के द्वारा धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. यहां पर पूजा करने के लिए ओडिशा से पंडित लाए जाते हैं. इस जगह शहर के सारे ओड़िया समुदाय के लोगों का जुटान होता है. उत्कल एसोसिएशन में महाअष्टमी के दिन मिलने वाला भोग का काफी महत्व है. आम तौर पर प्रसाद के रूप मे खिचड़ी दी जाती है, लेकिन यहां मिलने वाले भोग को कर्निका कहा जाता है जिसे साधारण भाषा में पुलाव कहते हैं. इस प्रसाद में दिया जाने वाला पीठा ओडीशा से मंगाया जाता है. इसके अलावा प्रसाद में और कई तरह के व्यंजन रहते हैं. इस प्रसाद की इतनी मांग रहती है कि हर साल 200 से 300 हांडी प्रसाद बढ़ा दिया जाता है.