जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला के बंगाल से सटे सीमावर्ती इलाके में 15 की संख्या में माओवादी का दस्ता संगठन को मजबूत करने के लिए घूम रहा है, इस बात का खुलासा नागरिक सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ने की है.
गौरतलब है कि झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद पूर्वी सिंहभूम जिला में लगातार नक्सली घटनाओं के घटने के बाद नक्सलियों से निपटने के लिए 2003 में तत्कालीन जमशेदपुर के एसपी अरुण उरांव ने नागरिक सुरक्षा समिति का गठन किया था. नासुस की मदद से पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ सफलता भी मिली थी. जिसमें कई नक्सली मारे गए थे और कई माओवादियों की गिरफ्तारी पुलिस ने की थी.
संगठन को मजबूत करने की हो रही कोशिश
नागरिक सुरक्षा समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र बास्के ने कहा कि पुरुलिया जेल से रिहा होने के बाद मास्टर माइंड श्याम सिंकू और उसकी पत्नी बेला सरकार अपने अन्य सदस्यों के साथ झाटीझरना एमजीएम थाना क्षेत्र और घाटशिला के गुड़ाबांधा दीघा डायन मारी क्षेत्र में घूम रहे हैं और ग्रामीणों को प्रलोभन देकर संगठन को मजबूत करने में लगे हुए है. जानकारी मिली है कि गुड़ाबांधा क्षेत्र के एक सबर युवक को अपने संघठन में 8 हजार महीना पर शामिल किया है, लेकिन नासुस उनके मंसूबे को कामयाब नहीं होने देंगे.
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पुलिस चला रही नक्सलियों के खिलाफ अभियान
इधर, नक्सली दस्ते के घूमने की जानकारी जिला पुलिस को है जिला के वरीय पुलिस अधीक्षक अनूप बिरथरे ने बताया कि पूर्वी सिंहभूम जिला में 10 थाना क्षेत्र नक्सल प्रभावित रहे हैं. जिनमें नक्सलियों का दस्ता सक्रिय था, लेकिन बंगाल पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त रूप से चलाए गए अभियान के कारण नक्सली गतिविधियों में कमी आई है.
कई इनामी नक्सली पुलिस की पहुंच से दूर
वर्तमान में बंगाल से सटे सीमावर्ती इलाके में जिला के पांच थाना एमजीएम बोड़ाम पटमदा घाटशिला और गालूडीह थाना क्षेत्र में 15 की संख्या में नक्सली घूम रहे है. जिनमे सचिन सपन, श्याम सिंकू, बेला सरकार, मदन महतो, आकाश और असीम मंडल के साथ अन्य साथी है. जिनमे कई नक्सली इनामी भी है, जो घने जंगलों और पहाड़ पर घूम रहे है.
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नक्सलियों की गिरफ्तारी के लिए चलाया जा रहा ऑपरेशन
जिनकी गिरफ्तारी के लिए बंगाल पुलिस के साथ संयुक्त रूप से ऑपरेशन चलाया जा रहा है. नक्सली ग्रामीणों को टीम में शामिल करने के प्रयास में है, लेकिन पुलिस की सक्रियता के कारण और वो विफल हो रहे है. ग्रामीण भी अब नक्सलियों की विचार धारा को समझ चुके है. जिसके कारण घटना में कमी आई है और 2019 में कोई भी नक्सली घटना नहीं घटी है.
बहरहाल, पिछले दिनों सरकार की सरेंडर नीति के तहत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पर्ण किया है, पुलिस को भरोसा है कि इस दस्ते की गिरफ्तारी होगी या पुलिस के दबिश में वो आत्मसमर्पर्ण करेंगें.