जमशेदपुर: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मानकी मुंडा अधिकार मंच द्वारा निकाली गई 120 किलोमीटर लंबी रैली सुंदरनगर के नांदुप से जमशेदपुर जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंची. रैली में हजारों की संख्या में महिला-पुरुष शामिल हुए. पदयात्रा करनडीह, टाटानगर स्टेशन चौक, जुगसलाई गोलचक्कर, बिष्टुपुर, साकची गोलचक्कर पहुंची, जहां भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. रैली में शामिल हजारों आदिवासियों ने विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद मानकी मुंडा संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला उपायुक्त को सात सूत्री मांग पत्र सौंपा है.
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मानकी मुंडा अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष गणेश पिंगुवा ने कहा कि कोल्हान के अधिकांश मामले चाईबासा कोर्ट में लंबित हैं, जिसके कारण पीड़ितों को बार-बार कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. यह स्थिति मुंडा मानकी द्वारा चलाये जाने वाले स्वशासन व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है. स्वशासन व्यवस्था को सर्वोत्तम व्यवस्था कहा गया है, लेकिन जिला प्रशासन स्वशासन व्यवस्था को मानने को तैयार नहीं है. ग्राम सभा में लिए गए निर्णय को प्रशासन के लोग नहीं मानते. ऐसी स्थिति में स्वशासन व्यवस्था को कैसे मजबूत किया जा सकता है? राज्य और केंद्र सरकार को ग्राम सभा को दिये गये संवैधानिक अधिकारों का अविलंब क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए.
वन संरक्षण अधिनियम रद्द करने की मांग: गणेश पिंगुवा ने आगे कहा कि पूर्वी सिंहभूम के मानकी मुंडा, डाकुवा, घटवाल, सरदार, नायक, दिउरी, पाहन, लैया आदि को सम्मान राशि तुरंत दिया जाए. हो, मुंडारी, कुड़ुख, संथाली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाये. हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, कोल्हान विश्वविद्यालय और कॉलेज में जनजातीय विषयों के शिक्षकों की अविलंब नियुक्ति की जाये. राज्य में मुंडारी, भूमिज, कुडुख, संताली भाषा अकादमी का गठन किया जाये. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को वन संरक्षण अधिनियम 2023 को रद्द करना चाहिए. साथ ही राज्य सरकार को तुरंत पेसा अधिनियम 1996 और जनजातीय सलाहकार परिषद उपनियम बनाना चाहिए. अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा.