ETV Bharat / state

100 साल पुराने श्माशान घाट पर जुटे तांत्रिक, पूरी रात होती रही साधना

जमशेदपुर में अमावश्या की रात श्मशान घाट में काली पूजा (Kali Puja at cremation ground) की गई. इस दौरान दर्जनों तांत्रिकों ने मां काली की साधना की. वहीं, स्थानीय लोग भी दीप जलाने पहुंचे.

Kali Puja at cremation ground
जमशेदपुर में अमावश्या की रात श्मशान घाट में काली पूजा
author img

By

Published : Oct 26, 2022, 11:37 AM IST

जमशेदपुरः कार्तिक माह के अमावश्या की रात मां लक्ष्मी की पूजा होती है और उसी रात मां काली की भी पूजा (Kali Puja at cremation ground) की जाती है. जमशेदपुर के सौ साल पुराने श्मशान घाट पर दर्जनों की संख्या में साधू और तांत्रिक जुटते हैं, जहां मां काली की पूजा की. वहीं, कई लोग श्मशान घाट में दीपक जलाने आते है.

यह भी पढ़ेंः रजरप्पा के छिन्नमस्तिके मंदिर में काली पूजा, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

श्मशान घाट में मां काली की पूजा विशेष की जाती है. अमावस में काली पूजा सिर्फ मंदिरों में नहीं होता है, बल्कि जगह-जगह पंडाल में मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है. श्मशान घाट पर आम दिनों में लोग जाने से परहेज करते हैं. लेकिन अमावस की रात दूर-दराज से लोग पूजा करने पहुंचते हैं. बिष्टुपर में खरकई नदी उत्तर से दक्षिण की दिशा में बहती है, जिसका अलग महत्व है.

क्या कहते हैं तांत्रिक और स्थानीय

श्मशान में जहां चिता जलाई जाती है, वहां काले वस्त्र में साधक तंत्र साधना करते हैं. कुछ तांत्रिक पेड़ के नीचे साधना करते हैं. वहीं, कुछ लोग परिवार के साथ दीपक जलाते पहुंचते हैं. इससे श्मशान घाट का रूप कुछ अलग होता है. तंत्र साधना करने वालों के लिए काली रात विशेष होती है. वहीं, साधक के आस पास लोग होते हैं, जो अपनी समस्या को बताते हैं और साधक उन्हें कुछ नियम पालन करने के साथ आशीर्वाद देता है.

तंत्र साधना करने वाले अघौरी ज्वाला बाबा कहते हैं कि दीपावली की रात शक्ति की रात है और मां काली की साधना कर लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं. साधक वरुण कंकाल कहते हैं कि सिर्फ शमशान में शांति है और साधना के लिए सबसे शक्तिशाली जगह श्मशाम होता है.


इधर, शहर में पंडाल बनाकर अलग-अलग जगहों में मां काली की मूर्ती की पूजा की जाती है. जबकि शमशान में अमावश्या की रात पूजा देखने दूर दराज से लोग आते हैं. चालीस साल से श्मशान में काली की पूजा करने वाले पंडित रंजन बाबा बताते हैं कि इस रात को कालरात्रि कहते हैं. तांत्रिक या साधक सभी मां काली की पूजा कर शक्ति प्राप्त करते हैं. मां की पूजा से कष्ट दूर होता है.

जमशेदपुरः कार्तिक माह के अमावश्या की रात मां लक्ष्मी की पूजा होती है और उसी रात मां काली की भी पूजा (Kali Puja at cremation ground) की जाती है. जमशेदपुर के सौ साल पुराने श्मशान घाट पर दर्जनों की संख्या में साधू और तांत्रिक जुटते हैं, जहां मां काली की पूजा की. वहीं, कई लोग श्मशान घाट में दीपक जलाने आते है.

यह भी पढ़ेंः रजरप्पा के छिन्नमस्तिके मंदिर में काली पूजा, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

श्मशान घाट में मां काली की पूजा विशेष की जाती है. अमावस में काली पूजा सिर्फ मंदिरों में नहीं होता है, बल्कि जगह-जगह पंडाल में मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है. श्मशान घाट पर आम दिनों में लोग जाने से परहेज करते हैं. लेकिन अमावस की रात दूर-दराज से लोग पूजा करने पहुंचते हैं. बिष्टुपर में खरकई नदी उत्तर से दक्षिण की दिशा में बहती है, जिसका अलग महत्व है.

क्या कहते हैं तांत्रिक और स्थानीय

श्मशान में जहां चिता जलाई जाती है, वहां काले वस्त्र में साधक तंत्र साधना करते हैं. कुछ तांत्रिक पेड़ के नीचे साधना करते हैं. वहीं, कुछ लोग परिवार के साथ दीपक जलाते पहुंचते हैं. इससे श्मशान घाट का रूप कुछ अलग होता है. तंत्र साधना करने वालों के लिए काली रात विशेष होती है. वहीं, साधक के आस पास लोग होते हैं, जो अपनी समस्या को बताते हैं और साधक उन्हें कुछ नियम पालन करने के साथ आशीर्वाद देता है.

तंत्र साधना करने वाले अघौरी ज्वाला बाबा कहते हैं कि दीपावली की रात शक्ति की रात है और मां काली की साधना कर लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं. साधक वरुण कंकाल कहते हैं कि सिर्फ शमशान में शांति है और साधना के लिए सबसे शक्तिशाली जगह श्मशाम होता है.


इधर, शहर में पंडाल बनाकर अलग-अलग जगहों में मां काली की मूर्ती की पूजा की जाती है. जबकि शमशान में अमावश्या की रात पूजा देखने दूर दराज से लोग आते हैं. चालीस साल से श्मशान में काली की पूजा करने वाले पंडित रंजन बाबा बताते हैं कि इस रात को कालरात्रि कहते हैं. तांत्रिक या साधक सभी मां काली की पूजा कर शक्ति प्राप्त करते हैं. मां की पूजा से कष्ट दूर होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.