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मकर संक्रांति में पीठा की मिठास, पकवान में परंपरा की महक

मकर संक्रांति, हिंदू धर्मावलंबियों का ऐसा पर्व, जो उल्लास, स्नान, दान और खानपान से जुड़ा है. इस दिन से सूर्य उत्तरायन होते हैं और इस अवसर पर कई शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है. मकर संक्रांति में तिल और गुड़ के लड्डू दान करने और दही-चूड़ा और खिचड़ी खाने की पुरानी परंपरा है. झारखंड में भी ऐसे ही एक पकवान का प्रचलन है, जिसका नाम पीठा है. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में जानिए, क्या है पीठा और इसे कैसे बनाया जाता है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
मकर संक्रांति पर झारखंड आदिवासी समाज की मिठाई पीठा
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Published : Jan 13, 2023, 2:23 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जमशेदपुरः झारखंड में आदिवासी समाज में मकर संक्रांति पर्व को खास अंदाज मनाता है. जिसके लिए महीनों पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है. इस खास पर्व में मिठास घोलने के लिए तरह तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं, इनमें सबसे खास चावल का पीठा होता है. आज के आधुनिक युग में आदिवासी समाज अपनी पुरानी पद्दति के अनुसार इसे बनाया जाता है.

इसे भी पढ़ें- Makar Sankranti: मकर संक्रांति को लेकर साहिबगंज में बढ़ी दूध और दही की डिमांड

झारखंड में मकर पर्व को टुसु पर्व भी कहते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति और टुसू पर्व का नजारा देखते ही बनता है. घर की साफ-सफाई रंग रोगन कर अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. इस मौके पर घर-घर पीठा बनाया जाता है. घर की महिलाओं द्वारा तीन तरह का पीठा बनाया जाता है, इनमें गुड़ पीठा, चीनी पीठा और मांसाहार पीठा शामिल है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
मकर संक्रांति में पीठा


इस आधुनिक युग में सुख सुविधा के लिए कई तरह के यंत्र और उपकरण मौजूद हैं. खाना बनाने के लिए भी कई साज-ओ-सामान मौजूद हैं, जो हर गृहिणी का काम आसान कर देता है. लेकिन पर्व त्योहार को ध्यान में रखते हुए, ऐसे खास मौकों पर खास पकवान बनाने के लिए आज भी पारंपरिक विधि का ही इस्तेमाल किया जाता है. इसी तरह आधुनिकता की दौड़ में शामिल आदिवासी समाज भी मकर संक्रांति पर अपनी आदि परंपरा को निभाते हुए लकड़ी से बनी ढेकी से चावल पीसकर उससे बने आटे का पीठा बनाती हैं.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
ढेकी से चावल कूटती महिलाएं


जमशेदपुर शहर से सटे ग्रामीण इलाके की महिलाएं बताती हैं कि कोरोना काल के दो साल बाद इस साल मकर संक्रांति मनाने के लिए वो उत्साहित हैं. इस पर्व में पीठा का काफी महत्व है. पीठा बनाने की विधि बताते हुए वो कहती हैं कि पहले चावल को पानी में भीगाकर उसे लकड़ी से बना ढेकी में कूटा जाता है. ढेकी की बड़े लकड़ी को एक तरफ पैर से दबाया जाता है और दूसरे छोर पर जमीन में बने गड्ढे चावल को डाला जाता है. इसी ढेकी से कूटकर चावल का बुरादा बनाया जाता है. इसके बाद आंगन में चूल्हा बनाया जाता है, जिसमें लकड़ी की आग पर पीठा बनाया जाता है. ऐसे पीठा बनाने से इसमें एक अलग सी सोंधी खूश्बू आती है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
मिट्टी के बर्तन में पीठा बनाते घर के लोग


ग्रामीण महिला ने बताया कि मिट्टी के बड़े बर्तन में मात्रा के अनुसार गुड़ पकाया जाता है. जिसमें चावल के बुरादे को मिलाया जाता है और मिलाने के लिए लकड़ी से बना करछी से गुड़ की चाशनी में चावल को मिलाया जाता है. इसके बाद इसे घी या रिफाइन तेल में पीठा को पकाया जाता है. जिसके पकने के बाद उसे टोकरी में रखा जाता है, जिससे उसके स्वाद में कोई बदलाव नहीं होता है. वो बताती हैं कि पीठा से शरीर को कोई नुकसान नहीं है और इसे लंबे समय तक रखा जाता है और यह खराब नहीं होता है. मकर संक्रांति के दिन इसे एक दूसरे के बीच बांटा जाता है ताकि पीठा की तरह हमारे जीवन में भाई चारा और आपसी संबंधों में मिठास कायम रहे.

पुरानी परंपरा को निभा रही नई पीढ़ीः आज की नई पीढ़ी भी पीठा बनाने को लेकर उत्त्साहित रहती है. पीठा बनाने में घर की बेटियों का भी भरपूर सहयोग रहता है. कॉलेज की छात्रा लक्ष्मी का कहना है कि हमारी आज की पीढ़ी को इस परंपरा को समझने की जरूरत है, मशीन से बना पीठा और ढेकी के चावल से बना पीठा के स्वाद में कितना अंतर होता है. पीठा बनाने में समय लगता है लेकिन ऐसे मौके पर परिवार के साथ समय बिताना अच्छा लगता है, कुछ सीखने को मिलता है. इसके अलावा हमें अपनी आदि परंपरा से जुड़ने का सीधा मौका मिलता है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
पीठा बनाती युवतियां

इसे भी पढ़ें- मकर संक्राति 2023ः तिलकुट से सजा बाजार, तिल की सोंधि खुशबू से सुगंधित हुआ राजधानी

क्या है पीठाः भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी क्षेत्रों में पीठा एक प्रकार का चावल का केक है. जिसमें बांग्लादेश है और भारत शामिल है. भारत के राज्यों में ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर क्षेत्र के पूर्वी राज्यों में मकर संक्रांति के मौके पर पीठा बनाया जाता है. पीठा पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड का प्रसिद्ध व्यंजन है. पीठा आम तौर पर चावल का आटा से बनाया जाता है. वहीं कहीं कहीं इसमें गेहूं के आटे का भी इस्तेमाल किया जाता है. ये मीठा और नमकीन दोनों तरह का बनता है. मीठे वाले पीठा में इसके अंदर तिल और गुड़ का मिश्रण भर जाता है, साथ ही खोया, पोस्ता, नारियल का भी इस्तेमाल होता है. वहीं नमकीन पीठा बनाने के लिए इसमें चना, उरद की दाल और आलू भरकर तैयार किया जाता है.

मकर संक्रांति में विशेष पकवानः देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. उत्तर भारत में मकर संक्रांति, वहीं तमिलनाडु में पोंगल, कई राज्यों में खिचड़ी पर्व, गुड्डी (Kite) तो कई राज्यों में तिला संक्रांति कहा जाता है. विविधताओं से भरे होने के कारण इन अलग-अलग हिस्सों में इस मौके पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. आइए, जानते हैं मकर संक्रांति के मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों में बनने वाले पकवान के बारे में.

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मकर संक्रांति में भारत के 10 प्रचलित पकवान और व्यंजन

तिल का लड्डू या तिलवाः बिहार और झारखंड समेत कुछ राज्यों में मकर संक्रांति पर तिल का लड्डू या तिलवा खाने की परंपरा है. इस दिन तिल खाना काफी शुभ माना जाता है. सफेद या काले तिल को भून कर और फिर इसमें गुड़ या चीनी मिलाई जाती है. फिर इसके छोटे या बड़े आकार के लड्डू बनाए जाते हैं.

खिचड़ी खाने की परंपराः मकर संक्रांति के दिन देश के कई हिस्सों में खिचड़ी खाने की पुरानी परंपरा आज तक चली आ रही है. बिहार और उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाई जाती है, इसलिए इन राज्यों में इस त्योहार को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. इस दिन तैयार होने वाली खिचड़ी में दाल-चावल के साथ-साथ मौसमी सब्जियां भी डाली जाती हैं.

स्नान-पूजा के बाद दही-चूड़ा खाने का विधानः बिहार में मकर संक्रांति के दिन सुबह सुबह स्नान, ध्यान, दान, पूजा पाठ आदि की जाती है. इस अवसर यहां हर घर में दही-चूड़ा खूब खाया जाता है. बिहार-झारखंड के लोग संक्रांति के दिन दही-चूड़ा जरूर खाते हैं. चूड़ा, दही उसमें गुड़ या चीनी डाल कर इस दिन खाया जाता है.

मसौढ़ी के रामदाना के लड्डूः संक्रांति के दिन बिहार में रामदाने के लड्डू भी काफी प्रचलन में हैं. राज्य की राजधानी पटना, मसौढ़ी और नालंदा समेत कई जिलों में ये परंपरा आज भी चली आ रही है. इसे पके हुए रामदाना या राजगिरा से बनाया जाता है. इसमें काजू, किशमिश और बारीक की हुई हरी इलायची मिलायी जाती है और पिघले हुए गुड़ या चीनी की चाशनी के साथ इसके लड्डू बनाए जाते हैं.

उत्तराखंड की परंपरा घुघुतीः उत्तराखंड में मकर संक्रांति के दिन घुघुती खास तौर पर बनाई जाती है. इसको बनाने के लिए आटा और गुड़ का मिश्रण तैयार करके बनाया जाता है. इसके बाद इसे सांचे में डालकर अलग अलग आकार दिया जाता है. फिर इनको घी में तलकर इनकी माला बनाई जाती है और इसे बच्चों को पहनाया जाता है. उत्तराखंड में लोग ये पकवान प्रवासी पक्षियों को भी खिलाते हैं.

महाराष्ट्र की पुरन पोलीः पुरन पोली, वैसे तो महाराष्ट्र के मुख्य खान पान में शामिल है. इसे मुख्यतः दोपहर के खाने में शामिल किया जाता है. लेकिन मकर संक्रांति के दिन भी महाराष्ट्र में पुरन पोली बनाने का रिवाज है. पुरन, चना दाल और गुड़ को मिलाकर तैयार किया जाता है. जिसे आटा में भरकर इसकी रोटी बनाई जाती है और फिर इसे घी के साथ परोसा जाता है.

राजस्थान की खासियत घीवरः घीवर, राजस्थान की खासियत है. यहां इसे हर खास मौकों पर बनाया जाता है. लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में मकर संक्रांति के मौके पर इसका प्रचलन बढ़ा है. आटा और दूध के घोल को गर्म घी में डालकर पकाया जाता है, फिर इसे चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है.

मकर संक्रांति में गजक खासः मकर संक्रांति में तिल से बनने वाले पकवान खाने की परंपरा है. ऐसे ही एक पकवान है तिल का गजक. ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मोरेना से हुई है. तिल को भूनकर और उसमें घी, चीनी या गुड़ और ड्राई फ्रूट्स डालकर बनाया जाता है.

ओडिशा का मकर चौलाः मकर चौला ओडिशा की परंपरा में शामिल है. मकर संक्रांति के अलावा इसे हर खास मौके पर बनाया जाता है. चावल के आटे को पीसकर, इसमें नारियल का बुरादा मिलाते हैं. इसमें गन्ने के छोटे टुकड़े, पका केला, दूध, चीनी, पनीर, घिसा हुआ अदरक और अनार भी मिलाया जाता है.

लोहड़ी में गन्ने के रस की खीरः मकर संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब प्रांत में लोहड़ी मनाई जाती है. इस दिन पंजाबी खान पान के साथ साथ, गन्ने के रस की खीर का भी खास महत्व है. गन्ने के रस से यह खीर दूध में मिलाकर तैयार की जाती है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

जमशेदपुरः झारखंड में आदिवासी समाज में मकर संक्रांति पर्व को खास अंदाज मनाता है. जिसके लिए महीनों पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है. इस खास पर्व में मिठास घोलने के लिए तरह तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं, इनमें सबसे खास चावल का पीठा होता है. आज के आधुनिक युग में आदिवासी समाज अपनी पुरानी पद्दति के अनुसार इसे बनाया जाता है.

इसे भी पढ़ें- Makar Sankranti: मकर संक्रांति को लेकर साहिबगंज में बढ़ी दूध और दही की डिमांड

झारखंड में मकर पर्व को टुसु पर्व भी कहते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति और टुसू पर्व का नजारा देखते ही बनता है. घर की साफ-सफाई रंग रोगन कर अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. इस मौके पर घर-घर पीठा बनाया जाता है. घर की महिलाओं द्वारा तीन तरह का पीठा बनाया जाता है, इनमें गुड़ पीठा, चीनी पीठा और मांसाहार पीठा शामिल है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
मकर संक्रांति में पीठा


इस आधुनिक युग में सुख सुविधा के लिए कई तरह के यंत्र और उपकरण मौजूद हैं. खाना बनाने के लिए भी कई साज-ओ-सामान मौजूद हैं, जो हर गृहिणी का काम आसान कर देता है. लेकिन पर्व त्योहार को ध्यान में रखते हुए, ऐसे खास मौकों पर खास पकवान बनाने के लिए आज भी पारंपरिक विधि का ही इस्तेमाल किया जाता है. इसी तरह आधुनिकता की दौड़ में शामिल आदिवासी समाज भी मकर संक्रांति पर अपनी आदि परंपरा को निभाते हुए लकड़ी से बनी ढेकी से चावल पीसकर उससे बने आटे का पीठा बनाती हैं.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
ढेकी से चावल कूटती महिलाएं


जमशेदपुर शहर से सटे ग्रामीण इलाके की महिलाएं बताती हैं कि कोरोना काल के दो साल बाद इस साल मकर संक्रांति मनाने के लिए वो उत्साहित हैं. इस पर्व में पीठा का काफी महत्व है. पीठा बनाने की विधि बताते हुए वो कहती हैं कि पहले चावल को पानी में भीगाकर उसे लकड़ी से बना ढेकी में कूटा जाता है. ढेकी की बड़े लकड़ी को एक तरफ पैर से दबाया जाता है और दूसरे छोर पर जमीन में बने गड्ढे चावल को डाला जाता है. इसी ढेकी से कूटकर चावल का बुरादा बनाया जाता है. इसके बाद आंगन में चूल्हा बनाया जाता है, जिसमें लकड़ी की आग पर पीठा बनाया जाता है. ऐसे पीठा बनाने से इसमें एक अलग सी सोंधी खूश्बू आती है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
मिट्टी के बर्तन में पीठा बनाते घर के लोग


ग्रामीण महिला ने बताया कि मिट्टी के बड़े बर्तन में मात्रा के अनुसार गुड़ पकाया जाता है. जिसमें चावल के बुरादे को मिलाया जाता है और मिलाने के लिए लकड़ी से बना करछी से गुड़ की चाशनी में चावल को मिलाया जाता है. इसके बाद इसे घी या रिफाइन तेल में पीठा को पकाया जाता है. जिसके पकने के बाद उसे टोकरी में रखा जाता है, जिससे उसके स्वाद में कोई बदलाव नहीं होता है. वो बताती हैं कि पीठा से शरीर को कोई नुकसान नहीं है और इसे लंबे समय तक रखा जाता है और यह खराब नहीं होता है. मकर संक्रांति के दिन इसे एक दूसरे के बीच बांटा जाता है ताकि पीठा की तरह हमारे जीवन में भाई चारा और आपसी संबंधों में मिठास कायम रहे.

पुरानी परंपरा को निभा रही नई पीढ़ीः आज की नई पीढ़ी भी पीठा बनाने को लेकर उत्त्साहित रहती है. पीठा बनाने में घर की बेटियों का भी भरपूर सहयोग रहता है. कॉलेज की छात्रा लक्ष्मी का कहना है कि हमारी आज की पीढ़ी को इस परंपरा को समझने की जरूरत है, मशीन से बना पीठा और ढेकी के चावल से बना पीठा के स्वाद में कितना अंतर होता है. पीठा बनाने में समय लगता है लेकिन ऐसे मौके पर परिवार के साथ समय बिताना अच्छा लगता है, कुछ सीखने को मिलता है. इसके अलावा हमें अपनी आदि परंपरा से जुड़ने का सीधा मौका मिलता है.

Jharkhand Tribal Society sweet dish Pitha for Makar Sankranti
पीठा बनाती युवतियां

इसे भी पढ़ें- मकर संक्राति 2023ः तिलकुट से सजा बाजार, तिल की सोंधि खुशबू से सुगंधित हुआ राजधानी

क्या है पीठाः भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी क्षेत्रों में पीठा एक प्रकार का चावल का केक है. जिसमें बांग्लादेश है और भारत शामिल है. भारत के राज्यों में ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर क्षेत्र के पूर्वी राज्यों में मकर संक्रांति के मौके पर पीठा बनाया जाता है. पीठा पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड का प्रसिद्ध व्यंजन है. पीठा आम तौर पर चावल का आटा से बनाया जाता है. वहीं कहीं कहीं इसमें गेहूं के आटे का भी इस्तेमाल किया जाता है. ये मीठा और नमकीन दोनों तरह का बनता है. मीठे वाले पीठा में इसके अंदर तिल और गुड़ का मिश्रण भर जाता है, साथ ही खोया, पोस्ता, नारियल का भी इस्तेमाल होता है. वहीं नमकीन पीठा बनाने के लिए इसमें चना, उरद की दाल और आलू भरकर तैयार किया जाता है.

मकर संक्रांति में विशेष पकवानः देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. उत्तर भारत में मकर संक्रांति, वहीं तमिलनाडु में पोंगल, कई राज्यों में खिचड़ी पर्व, गुड्डी (Kite) तो कई राज्यों में तिला संक्रांति कहा जाता है. विविधताओं से भरे होने के कारण इन अलग-अलग हिस्सों में इस मौके पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. आइए, जानते हैं मकर संक्रांति के मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों में बनने वाले पकवान के बारे में.

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मकर संक्रांति में भारत के 10 प्रचलित पकवान और व्यंजन

तिल का लड्डू या तिलवाः बिहार और झारखंड समेत कुछ राज्यों में मकर संक्रांति पर तिल का लड्डू या तिलवा खाने की परंपरा है. इस दिन तिल खाना काफी शुभ माना जाता है. सफेद या काले तिल को भून कर और फिर इसमें गुड़ या चीनी मिलाई जाती है. फिर इसके छोटे या बड़े आकार के लड्डू बनाए जाते हैं.

खिचड़ी खाने की परंपराः मकर संक्रांति के दिन देश के कई हिस्सों में खिचड़ी खाने की पुरानी परंपरा आज तक चली आ रही है. बिहार और उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाई जाती है, इसलिए इन राज्यों में इस त्योहार को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. इस दिन तैयार होने वाली खिचड़ी में दाल-चावल के साथ-साथ मौसमी सब्जियां भी डाली जाती हैं.

स्नान-पूजा के बाद दही-चूड़ा खाने का विधानः बिहार में मकर संक्रांति के दिन सुबह सुबह स्नान, ध्यान, दान, पूजा पाठ आदि की जाती है. इस अवसर यहां हर घर में दही-चूड़ा खूब खाया जाता है. बिहार-झारखंड के लोग संक्रांति के दिन दही-चूड़ा जरूर खाते हैं. चूड़ा, दही उसमें गुड़ या चीनी डाल कर इस दिन खाया जाता है.

मसौढ़ी के रामदाना के लड्डूः संक्रांति के दिन बिहार में रामदाने के लड्डू भी काफी प्रचलन में हैं. राज्य की राजधानी पटना, मसौढ़ी और नालंदा समेत कई जिलों में ये परंपरा आज भी चली आ रही है. इसे पके हुए रामदाना या राजगिरा से बनाया जाता है. इसमें काजू, किशमिश और बारीक की हुई हरी इलायची मिलायी जाती है और पिघले हुए गुड़ या चीनी की चाशनी के साथ इसके लड्डू बनाए जाते हैं.

उत्तराखंड की परंपरा घुघुतीः उत्तराखंड में मकर संक्रांति के दिन घुघुती खास तौर पर बनाई जाती है. इसको बनाने के लिए आटा और गुड़ का मिश्रण तैयार करके बनाया जाता है. इसके बाद इसे सांचे में डालकर अलग अलग आकार दिया जाता है. फिर इनको घी में तलकर इनकी माला बनाई जाती है और इसे बच्चों को पहनाया जाता है. उत्तराखंड में लोग ये पकवान प्रवासी पक्षियों को भी खिलाते हैं.

महाराष्ट्र की पुरन पोलीः पुरन पोली, वैसे तो महाराष्ट्र के मुख्य खान पान में शामिल है. इसे मुख्यतः दोपहर के खाने में शामिल किया जाता है. लेकिन मकर संक्रांति के दिन भी महाराष्ट्र में पुरन पोली बनाने का रिवाज है. पुरन, चना दाल और गुड़ को मिलाकर तैयार किया जाता है. जिसे आटा में भरकर इसकी रोटी बनाई जाती है और फिर इसे घी के साथ परोसा जाता है.

राजस्थान की खासियत घीवरः घीवर, राजस्थान की खासियत है. यहां इसे हर खास मौकों पर बनाया जाता है. लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में मकर संक्रांति के मौके पर इसका प्रचलन बढ़ा है. आटा और दूध के घोल को गर्म घी में डालकर पकाया जाता है, फिर इसे चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है.

मकर संक्रांति में गजक खासः मकर संक्रांति में तिल से बनने वाले पकवान खाने की परंपरा है. ऐसे ही एक पकवान है तिल का गजक. ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मोरेना से हुई है. तिल को भूनकर और उसमें घी, चीनी या गुड़ और ड्राई फ्रूट्स डालकर बनाया जाता है.

ओडिशा का मकर चौलाः मकर चौला ओडिशा की परंपरा में शामिल है. मकर संक्रांति के अलावा इसे हर खास मौके पर बनाया जाता है. चावल के आटे को पीसकर, इसमें नारियल का बुरादा मिलाते हैं. इसमें गन्ने के छोटे टुकड़े, पका केला, दूध, चीनी, पनीर, घिसा हुआ अदरक और अनार भी मिलाया जाता है.

लोहड़ी में गन्ने के रस की खीरः मकर संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब प्रांत में लोहड़ी मनाई जाती है. इस दिन पंजाबी खान पान के साथ साथ, गन्ने के रस की खीर का भी खास महत्व है. गन्ने के रस से यह खीर दूध में मिलाकर तैयार की जाती है.

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