घाटशिलाः साल 2007 में धालभूमगढ़ प्रखंड पर 100 बेड वाले आधुनिक अस्पताल का निर्माण किया गया था. जिसकी लागत करीब 4.5 करोड़ रुपए थी. इतनी लागत में भवन तो पूरा बन गया, लेकिन न तो अस्पताल में कोई सुविधा है और न ही इस अस्पताल के कर्मियों के लिए बनाए गए क्वार्टर में कोई रहता है.
ग्रामीणों के इलाज में होती है परेशानी
हालात ये है कि अस्पताल भवन अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है. अस्पताल में लगे दरवाजे, खिड़कियां, पंखे, बेड सब खराब हो चुके हैं. कुछ सामान तो चोरी भी हो गए हैं. अस्पताल के किनारे झाड़ियों का घेरा बन चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद इस क्षेत्र में 100 बेड वाले अस्पताल का निर्माण किया गया था, लेकिन लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. लोगों को अब भी बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर जाना पड़ता है. ऐसे में इस अस्पताल के निर्माण का कोई मतलब नहीं रहा.
अस्पताल निर्माण के नाम पर घूसखोरी
लोगों का कहना है कि यह भवन कमीशनखोरी के लिए ही बनाया गया है. जिस जगह पर अस्पताल भवन का निर्माण किया गया वहां पानी की कोई सुविधा नहीं है. यहां न तो कुआं है और न ही निर्माण किया जा सकता है. पानी का जल स्तर भी यहां बहुत कम है. ऐसे में इस जगह पर अस्पताल का निर्माण सिर्फ पैसे को पानी की तरह बहाना था.
विधायक प्रदीप कुमार का क्या है कहना
वहीं, पूर्व विधायक प्रदीप कुमार बालमुचू से लोगों ने पूछा कि अस्पताल भवन उनके कार्यकाल के समय ही बना, तो उन्होंने बात को घूमाते हुए कहा कि अगर हमारी सरकार रहती तो शायद यह अस्पताल आज चालू रहता है, लेकिन भाजपा सरकार धालभूमगढ़ में बने बनाए अस्पताल को भी चालू नहीं कर पाई तो वह क्या झारखंड का विकास कर पाएगी.
विधायक लक्ष्मण टुडू का क्या है कहना
दूसरी ओर जब वर्तमान विधायक लक्ष्मण टुडू से पूछा गया कि धालभूमगढ़ का यह अस्पताल अब तक चालू क्यों नहीं हो पाया तो उन्होंने कहा कि यह घोटाला कांग्रेस सरकार का कारनामा है. खाली कमीशन खोरी के लिए यह भवन बनाया गया था, लेकिन फिर भी हम अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री से भी इस मामले में हमने बात की है. हम अस्पताल को चालू करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.