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जमशेदपुरः अधर में लटकी आयुष्मान भारत योजना, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर लटका ताला - जमशेदपुर में आयुष्मान भारत योजना

आयुष्मान भारत योजना के तहत पूर्वी सिंहभूम जिले में खोले गए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ताला लटका हुआ है, जिसकी वजह से ग्रामीणों को चिकित्सक के लिए गांव से कोसों दूर जाना पड़ता है. अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाएं अधर में लटकी हुई है.

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पूर्वी सिंहभूम के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर लटका ताला
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Published : Feb 2, 2021, 4:29 PM IST

जमशेदपुरः झारखंड की धरती रांची से 23 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत देश भर में की गई थी. इसके साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिले में बने चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को 24 घंटे खोलने का दावा किया गया था. ग्रामीण सुदूरवर्ती इलाकों में चिकित्सक, दवाइयों की व्यवस्था करने की भी बात कही गई थी, लेकिन जिले में बने चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ताला लटका पड़ा हैं. ईटीवी भारत की टीम ने पूर्वी सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र पटमदा, बोड़ाम, पगदा, हुरलुंग बस्ती में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का दौरा किया. इस दौरान पाया गया कि यहां के ग्रामीणों को चिकित्सक व्यवस्था के लिए गांव से कोसों दूर जाना पड़ता है.

इलाज के लिए जाना पड़ता है कोसों दूर
पटमदा ब्लॉक स्थित झुंझका गांव में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में आसपास के तकरीबन तीन हजार से ज्यादा लोगों को मुफ्त में इलाज देना का वादा किया गया था, लेकिन यहां के ग्रामीणों और महिलाओं को छोटे से छोटे इलाज के लिए निजी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है. यहां की गर्भवती महिलाओं को प्रारंभिक चिकित्सा के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है. बोड़ाम ब्लॉक के पगदा में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में दो हजार से ज्यादा ग्रामीणों को स्वास्थ्य का लाभ मिलता, लेकिन इसके उद्घाटन के बाद से ही इसे बंद कर दिया गया है. बिरसानगर के हुरलुंग बस्ती में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में एमजीएम, डिमना के इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए थी, लेकिन यहां पर भी ताला लटका पड़ा है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड कांग्रेस में बड़े फेरबदल के संकेत, प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव दिल्ली तलब

मिलनी थी ये सुविधाएं
पूर्वी सिंहभूम जिले में बने चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में मुख्य रूप से नवजात शिशुओं के लिए व्यवस्था की जानी थी. दांत से संबंधित चिकित्सा की व्यवस्था, योग से सम्बंधित व्यवस्था, नाक, कान, गला, मानसिक स्थिति और गर्भ निरोधक व्यवस्था ये सारी सुविधाएं की जानी थी. वैलनेस सेंटर में आपातकाल के समय एम्बुलेंस की सुविधा दी जानी थी, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. जिला सर्विलांस पदाधिकारी कहते हैं कि जल्द से जल्द इन व्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है.

जमशेदपुरः झारखंड की धरती रांची से 23 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत देश भर में की गई थी. इसके साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिले में बने चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को 24 घंटे खोलने का दावा किया गया था. ग्रामीण सुदूरवर्ती इलाकों में चिकित्सक, दवाइयों की व्यवस्था करने की भी बात कही गई थी, लेकिन जिले में बने चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ताला लटका पड़ा हैं. ईटीवी भारत की टीम ने पूर्वी सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र पटमदा, बोड़ाम, पगदा, हुरलुंग बस्ती में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का दौरा किया. इस दौरान पाया गया कि यहां के ग्रामीणों को चिकित्सक व्यवस्था के लिए गांव से कोसों दूर जाना पड़ता है.

इलाज के लिए जाना पड़ता है कोसों दूर
पटमदा ब्लॉक स्थित झुंझका गांव में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में आसपास के तकरीबन तीन हजार से ज्यादा लोगों को मुफ्त में इलाज देना का वादा किया गया था, लेकिन यहां के ग्रामीणों और महिलाओं को छोटे से छोटे इलाज के लिए निजी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है. यहां की गर्भवती महिलाओं को प्रारंभिक चिकित्सा के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है. बोड़ाम ब्लॉक के पगदा में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में दो हजार से ज्यादा ग्रामीणों को स्वास्थ्य का लाभ मिलता, लेकिन इसके उद्घाटन के बाद से ही इसे बंद कर दिया गया है. बिरसानगर के हुरलुंग बस्ती में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में एमजीएम, डिमना के इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए थी, लेकिन यहां पर भी ताला लटका पड़ा है.

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मिलनी थी ये सुविधाएं
पूर्वी सिंहभूम जिले में बने चार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में मुख्य रूप से नवजात शिशुओं के लिए व्यवस्था की जानी थी. दांत से संबंधित चिकित्सा की व्यवस्था, योग से सम्बंधित व्यवस्था, नाक, कान, गला, मानसिक स्थिति और गर्भ निरोधक व्यवस्था ये सारी सुविधाएं की जानी थी. वैलनेस सेंटर में आपातकाल के समय एम्बुलेंस की सुविधा दी जानी थी, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. जिला सर्विलांस पदाधिकारी कहते हैं कि जल्द से जल्द इन व्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है.

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