जमशेदपुर: बारीडीह में कालू बागान के पास एक मजार है, जहां लोग विदेश में नौकरी पाने के लिए आवेदन के तौर पर पासपोर्ट बांधते हैं. जब उनकी मनोकामना स्वीकार हो जाती है तो वे अपने वादे के मुताबिक चीजें चढ़ाते हैं. वैसे यहां अन्य मन्नत भी मांगी जाती हैं. यह मजार मिश्किन बाबा मजार के नाम से मशहूर है. लेकिन पासपोर्ट बांधे जाने के कारण इस मजार को पासपोर्ट बाबा के नाम से भी जाना जाता है. इस मजार पर सबसे ज्यादा भीड़ गुरुवार को देखने को मिलती है. इस दिन यहां सभी धर्मों के अनुयायियों की कतार लगती है.
जमशेदपुर के बारीडीह के कालूबागान इलाके में स्थित सूफी संत हजरत मिश्किन शाह की मजार को पासपोर्ट वाले बाबा की मजार के नाम से जाना जाता है. लोगों का मानना है कि इस दरगाह में सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है, वह जरूर मिलता है. इसके लिए उन्हें कागज पर आवेदन लिखकर वहां लगाना होता है.
पासपोर्ट की फोटोकॉपी बांधते हैं श्रद्धालु: यहां लोगों का हर दिन आना-जाना होता है. लेकिन गुरुवार और शुक्रवार को भीड़ काफी बढ़ जाती है. पासपोर्ट बाबा की दरगाह पर पहुंचने वाले लोगों का मानना है कि इस रोज उन्हें कुछ भी मांगने पर मिल सकता है. खासकर विदेश में काम करने वाले लोगों को अपने पासपोर्ट की फोटोकॉपी लगानी पड़ती है. लोगों का मानना है कि बाबा की मजार पर आने के बाद कई लोगों को विदेश में नौकरी मिली है. यहां आने वाले लोगों में सबसे बड़ी संख्या उन लोगों की है जो नौकरी के लिए खाड़ी देशों या यूरोप जाना चाहते हैं. इतना ही नहीं, यहां टंगे पत्रों में भगवान के नाम संदेश भी होते हैं. नौकरियों के लिए सबसे ज्यादा आवेदन यहीं किए जाते हैं, लेकिन इन पत्रों में कुछ अन्य दुख-दर्द भी लिखे होते हैं.
बेहतर रिजल्ट के लिए पिता टांगते हैं एडमिट कार्ड: दरगाह के संरक्षक पीर मोहम्मद ने कहा है कि जिन लोगों को विदेश में नौकरी मिल गई है, उनके अलावा छात्र या उनके माता-पिता भी परीक्षा के एडमिट कार्ड की फोटो कॉपी पेड़ पर टांगने के लिए दरगाह पर आते हैं, ताकि रिजल्ट अच्छा आए. लोग नौकरियों के लिए विदेशी कंपनियों को भेजे गए आवेदनों की प्रतियां भी पेड़ों पर लटकाते हैं. उनका दावा है कि अब तक सैकड़ों युवाओं को इस पद्धति से विदेशों में अच्छी नौकरी मिल चुकी है. इसके अलावा लोग अपनी समस्याओं को लेकर भी यहां आवेदन करते हैं. लेकिन उनकी मनोकामना पूरी होती है.
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