घाटशिला: पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला में झारखंड राज्य का पहला कुपोषण उपचार केंद्र 2007 में खोला गया था. इस कुपोषण उपचार केंद्र के खुलने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में काफी खुशी थी कि अब उन्हें निजी नर्सिंग होम की तरफ नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन यह खुशियां ज्यादा दिन तक नहीं रही.
दरअसल, 2014 से घाटशिला कुपोषण उपचार केंद्र में विशेषज्ञ नहीं हैं. बिना विशेषज्ञ डॉक्टर के ही कुपोषण बच्चे का इलाज किया जाता है. इलाज का पूरा भार अनुबंध पर बहाल किए हुए चार एएनएम पर है. ड्यूटी पर तैनात एएनएम ने बताया कि कुपोषित बच्चे का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टर के द्वारा ही किया जाना चाहिए, लेकिन पिछले कई सालों से यह कार्य वह कर रहीं हैं. एएनएम ने कहा कि घाटशिला अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी डॉ. शंकर टुडू भी कुपोषित बच्चे का इलाज करते हैं. वहीं, आम लोगों का कहना है कि झारखंड का पहला कुपोषण उपचार केंद्र से उन्हें काफी उम्मीदें थी, लेकिन इसमें डॉक्टर नहीं होने के कारण ग्रामीणों का विश्वास कुपोषण उपचार केंद्र से घटते जा रहा है.
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घाटशिला अनुमंडल चिकित्सा प्रभारी शंकर टुडू का कहना है कि डॉक्टरों को तो पदस्थापित किया जाता है, लेकिन योगदान देने डॉक्टर अस्पताल नहीं आते हैं. इस बार भी एक डॉक्टर का पदस्थापन किया गया है, लेकिन अभी तक योगदान देने नहीं आए.