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गौरीकुंज संग्रहालय में सुरक्षित है उपन्यासकार बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय की यादें, पर्यटकों को करती हैं आकर्षित

घाटशिला में पश्चिम बंगाल के प्रख्यात उपन्यासकार बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय की यादों को गौरीकुंज संग्रहालय में सहेजकर रखा गया है. गौरीकुंज घाटशिला के पर्यटन स्थलों में से एक है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

Gaurikunj Museum at Ghatshila east singbhum
गौरीकुंज संग्रहालय
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Published : Feb 18, 2020, 2:01 PM IST

घाटशिला: जिले के दाहीगोड़ा में स्थित गौरी कुंज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. गौरीकुंज पश्चिम बंगाल के प्रख्यात उपन्यासकार बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय का आवास है, जिसको अब बिभुतिभूषण से जुड़ी चीजों का संग्रहालय बनाकर सहेजा गया है. गौरीकुंज में रह कर ही उन्होंने बुरूडैम और धारागिरी झरना की प्राकृतिक छंटा से प्रेरणा लेकर चांदेर पहाड़, वने जंगले और देव जान नामक उपन्यास की रचना की जिनमें सबसे पद चर्चित उपन्यास पाथेर पंचाली है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-बकोरिया मुठभेड़ की जांच करने CBI की टीम पंहुची सतबरवा, झारखंड पुलिस के वरीय अधिकारियों से भी होगी पूछताछ

पर्यटकों का आकर्षण केंद्र बने इस आवास का नाम बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय की पत्नी गौरी के नाम पर रखा गया. यहां बिभुतिभूषण की एक पारिवारिक फोटो है. इसके साथ ही इस संग्रहालय में बिभुतिभूषण के वस्त्र, मेडल और कोट भी रखे हुए हैं. इस महान उपन्यासकार के यादों को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक गौरीकुंज आते हैं और उनके रखे उपन्यासों को भी लोग यहां आकर पढ़ते हैं और उनकी पुरानी वस्तुओं को देखते हैं.

घाटशिला का स्वर्ग 'बुरूडीह डैम'

घाटशिला के फुलडुंगरी स्थित एनएच 18 से करीब आठ किमी उत्तर बुरूडीह डैम स्थित है. यहां से डैम तक जाने के लिए अब पक्की सड़क बन गयी है. यह डैम तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम और उत्तर में साल के घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. इस डैम को घाटशिला का स्वर्ग कहा जाता है. हालांकि डैम के पास पर्यटकों की सुविधाओं का अभाव भी है. पेयजल और यात्री विश्रामागार की व्यवस्था नहीं है. इस कारण पर्यटक यहां रूकते नहीं.

बिभुतिभूषण की पाथेर पांचाली का धारागिरी झरना प्रेरणास्त्रोत रहा है. झरना धारागिरी से सालों भर जल की धारा बहती है. यह झरना बुरूडीह डैम से लगभग तीन किमी दूर बसे बासाडेरा गांव से एक किमी दूर स्थित है. चारों दिशाओं में पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा धारागिरी झरना काफी आकर्षक है. पहाड़ की ऊंचाई से सालों भर अनवरत पानी गिरता रहता है. इस झरने का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि प्रख्यात लेखक बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय ने धारागिरी के झरने के पास ही बैठ कर पथेर पांचाली लिखा था. बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय जी प्रकृति प्रेमी थे इसीलिए उन्होंने कोलकाता छोड़ घाटशिला में प्रकृति की गोद में बैठ कर अनेकों उपन्यास लिखा. उन्होंने अंतिम सांस भी अपने आवास गौरी कुंज में ली थी.

एक समय ऐसा आया जब बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय का घाटशिला स्थित घर गौरीकुंज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका था. इतना ही नहीं, उस पर अवैध कब्जा कर लिया गया. महान बांग्ला उपन्यासकार बिभुतिभूषण के नाम पर पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश से पर्यटक घाटशिला आते थे, लेकिन गौरी कुंज जर्जर हालत देखकर काफी निराश होते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होता घाटशिला के एक छोटे से टूरिस्ट गाइड तापस चटर्जी ने बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय के घर को गौरीकुंज संग्रहालय का रूप दिया.

घाटशिला: जिले के दाहीगोड़ा में स्थित गौरी कुंज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. गौरीकुंज पश्चिम बंगाल के प्रख्यात उपन्यासकार बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय का आवास है, जिसको अब बिभुतिभूषण से जुड़ी चीजों का संग्रहालय बनाकर सहेजा गया है. गौरीकुंज में रह कर ही उन्होंने बुरूडैम और धारागिरी झरना की प्राकृतिक छंटा से प्रेरणा लेकर चांदेर पहाड़, वने जंगले और देव जान नामक उपन्यास की रचना की जिनमें सबसे पद चर्चित उपन्यास पाथेर पंचाली है.

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घाटशिला का स्वर्ग 'बुरूडीह डैम'

घाटशिला के फुलडुंगरी स्थित एनएच 18 से करीब आठ किमी उत्तर बुरूडीह डैम स्थित है. यहां से डैम तक जाने के लिए अब पक्की सड़क बन गयी है. यह डैम तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम और उत्तर में साल के घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. इस डैम को घाटशिला का स्वर्ग कहा जाता है. हालांकि डैम के पास पर्यटकों की सुविधाओं का अभाव भी है. पेयजल और यात्री विश्रामागार की व्यवस्था नहीं है. इस कारण पर्यटक यहां रूकते नहीं.

बिभुतिभूषण की पाथेर पांचाली का धारागिरी झरना प्रेरणास्त्रोत रहा है. झरना धारागिरी से सालों भर जल की धारा बहती है. यह झरना बुरूडीह डैम से लगभग तीन किमी दूर बसे बासाडेरा गांव से एक किमी दूर स्थित है. चारों दिशाओं में पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा धारागिरी झरना काफी आकर्षक है. पहाड़ की ऊंचाई से सालों भर अनवरत पानी गिरता रहता है. इस झरने का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि प्रख्यात लेखक बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय ने धारागिरी के झरने के पास ही बैठ कर पथेर पांचाली लिखा था. बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय जी प्रकृति प्रेमी थे इसीलिए उन्होंने कोलकाता छोड़ घाटशिला में प्रकृति की गोद में बैठ कर अनेकों उपन्यास लिखा. उन्होंने अंतिम सांस भी अपने आवास गौरी कुंज में ली थी.

एक समय ऐसा आया जब बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय का घाटशिला स्थित घर गौरीकुंज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका था. इतना ही नहीं, उस पर अवैध कब्जा कर लिया गया. महान बांग्ला उपन्यासकार बिभुतिभूषण के नाम पर पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश से पर्यटक घाटशिला आते थे, लेकिन गौरी कुंज जर्जर हालत देखकर काफी निराश होते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होता घाटशिला के एक छोटे से टूरिस्ट गाइड तापस चटर्जी ने बिभुतिभूषण बंदोपाध्याय के घर को गौरीकुंज संग्रहालय का रूप दिया.

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