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पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से की बात, MBBS की सीट बढ़ाने की मांग की - रघुवर दास ने शिक्षा मंत्री से की बात

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बारीडीह स्थित मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया. मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में दाखिले पर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एएमई) ने रोक लगा दी है. इसे लेकर उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बात की.

Former CM Raghubar Das spoke to Union Education Minister in jamshedpur
रघुवर दास ने शिक्षा मंत्री से की बात
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Published : Nov 18, 2020, 5:40 PM IST

जमशेदपुर: मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में दाखिले पर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एएमई) ने रोक लगा दी है. रोक हटाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बात की है, जिसके बाद शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे एक सप्ताह के अंदर इस मामले का समाधान करेंगे. इस सिलसिले में मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के शीर्ष प्रबंधन को तुरंत उनसे मुलाकात करने के लिए कहा है.

बुधवार को बारीडीह स्थित मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज का रघुवर दास ने निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने कॉलेज की आधारभूत संरचनाओं की सराहना करते हुए कहा कि इस कॉलेज की स्थापना अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर की गयी है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आह्वान पर प्राइवेट पब्लिक मोड पर मेडिकल शिक्षा के लिए देश में जिन दो संस्थानों का चयन किया गया था, उनमें जमशेदपुर के मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज शामिल है, हालांकि तकनीकी कारणों से महाराष्ट्र स्थित पीपी मोड के मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने होल्ड कर दिया था और इसी गलतफहमी में जमशेदपुर का मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के नामांकन पर भी रोक लग गयी है.

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रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण ही मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए छात्रों का दाखिला नहीं हो सका, राज्य सरकार चाहती तो केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क कर इस कॉलेज के होल्ड को खत्म करा सकती थी. उन्होंने कहा कि मेडिकल की एमबीबीएस की पढ़ाई के क्षेत्र में झारखंड 2014 के पहले काफी पिछड़ा रहा है, 2014 के पहले झारखंड में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए महज तीन कॉलेज थे, जिसमें रांची का रिम्स में 180 सीट, धनबाद के पीएमसीएच में 50 और जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 100 छात्रों का नामांकन होता था. उन्होंने बताया है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की पहल पर देवघर में एम्स की स्थापना हुई है, जहां 100 सीटों पर पढ़ाई जारी है. उन्होंने अपने कार्यकाल में झारखंड में शिक्षा और मेडिकल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पहल से टाटा घराना ने रांची में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए सहमति दी है और इस दिशा में काम चल रहा है, आज पलामू, हजारीबाग और दुमका में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए भवन बनकर तैयार है, इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटों पर दाखिला के लिए कुछ शर्त के साथ मेडिकल काउंसिल ने अनुमति प्रदान की थी, वर्तमान राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इन तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला पर मेडिकल काउंसिंग ने रोक लगा दी है. उन्होंने कहा कि तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला के लिए लगी रोक को हटाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान प्राद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से बात की जाएगी.

जमशेदपुर: मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में दाखिले पर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एएमई) ने रोक लगा दी है. रोक हटाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बात की है, जिसके बाद शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे एक सप्ताह के अंदर इस मामले का समाधान करेंगे. इस सिलसिले में मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के शीर्ष प्रबंधन को तुरंत उनसे मुलाकात करने के लिए कहा है.

बुधवार को बारीडीह स्थित मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज का रघुवर दास ने निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने कॉलेज की आधारभूत संरचनाओं की सराहना करते हुए कहा कि इस कॉलेज की स्थापना अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर की गयी है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आह्वान पर प्राइवेट पब्लिक मोड पर मेडिकल शिक्षा के लिए देश में जिन दो संस्थानों का चयन किया गया था, उनमें जमशेदपुर के मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज शामिल है, हालांकि तकनीकी कारणों से महाराष्ट्र स्थित पीपी मोड के मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने होल्ड कर दिया था और इसी गलतफहमी में जमशेदपुर का मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के नामांकन पर भी रोक लग गयी है.

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रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण ही मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए छात्रों का दाखिला नहीं हो सका, राज्य सरकार चाहती तो केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क कर इस कॉलेज के होल्ड को खत्म करा सकती थी. उन्होंने कहा कि मेडिकल की एमबीबीएस की पढ़ाई के क्षेत्र में झारखंड 2014 के पहले काफी पिछड़ा रहा है, 2014 के पहले झारखंड में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए महज तीन कॉलेज थे, जिसमें रांची का रिम्स में 180 सीट, धनबाद के पीएमसीएच में 50 और जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 100 छात्रों का नामांकन होता था. उन्होंने बताया है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की पहल पर देवघर में एम्स की स्थापना हुई है, जहां 100 सीटों पर पढ़ाई जारी है. उन्होंने अपने कार्यकाल में झारखंड में शिक्षा और मेडिकल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पहल से टाटा घराना ने रांची में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए सहमति दी है और इस दिशा में काम चल रहा है, आज पलामू, हजारीबाग और दुमका में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए भवन बनकर तैयार है, इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटों पर दाखिला के लिए कुछ शर्त के साथ मेडिकल काउंसिल ने अनुमति प्रदान की थी, वर्तमान राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इन तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला पर मेडिकल काउंसिंग ने रोक लगा दी है. उन्होंने कहा कि तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला के लिए लगी रोक को हटाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान प्राद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से बात की जाएगी.

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