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झारखंड के इस स्कूल के बच्चों को दौड़ लगाने पर मिलता है अंडा! जानिए क्या है पूरा माजरा

Egg challenge race in school of East Singhbhum. पूर्वी सिंहभूम के टांगराईन उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चों के बीच अंडा चैलेंज दौड़ प्रतियोगिता होती है. इस रेस में शामिल होने पर उन्हें इनाम में अंडा मिलता है. ऐसा क्यों और किसकी है ये पहल जानिए, ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट से.

Egg challenge race among children in Tangrain Upgraded Middle School of East Singhbhum district
पूर्वी सिंहभूम के टांगराईन उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चों के बीच अंडा चैलेंज दौड़
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 11, 2023, 7:00 PM IST

Updated : Dec 11, 2023, 9:54 PM IST

झारखंड के इस स्कूल में अंडा चैलैंज

पूर्वी सिंहभूमः झारखंड में पूर्वी सिंहभूम जिला के पोटका प्रखंड के टांगराईन उत्क्रमित मध्य विद्यालय एक बार राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद कुमार तिवारी ने अपने स्कूल के बच्चों को दौड़ के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से अंडा चैलेंज प्रतियोगिता की शुरूआत की है. इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले बच्चों को लगातार 7 दिन 6 किलोमीटर दौड़ लगाने पर इनाम के रूप में आठवें दिन 7 अंडा दिया जाता है. इसमें सबसे हैरानी की बात ये है कि इसका सारा खर्च शिक्षक अरविंद तिवारी स्वयं उठाते हैं.

हर रोज सुबह-सुबह सड़कों पर दौड़ लगाने इन बच्चों की तस्वीर यहां के लिए अब आम है. इस सर्दी में भी बच्चों की प्रबल इच्छाशक्ति, कुछ करने की चाहत ही है जो बच्चे हर रोज यहां दौड़ लगाने के लिए आ जाते हैं. ये सभी बच्चे पूर्वी सिंहभूम जिला के पोटका प्रखंड स्थित टांगराईन उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चे हैं. हर रोज ये सभी अपने स्कूल से तीन किलोमीटर दूर दौड़कर जाते हैं और फिर वापस स्कूल की तरफ लौट आते हैं. इन बच्चों को लगातार 7 दिन तक दौड़ लगाने पर उन्हें 7 अंडा दिया जाता है.

इस सबंध में शिक्षक अरविंद तिवारी ने बताया कि बच्चों में प्रतिदिन जल्दी उठने, एथलेटिक क्षमता के विकास और उनके पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंडा चैलेंज शुरू किया गया है. जिसमें बच्चों को प्रतिदिन 6 किलोमीटर दौड़ना होता है. लगातार सात दिन दौड़ने वाले बच्चों को आठवें दिन 7 अंडे पुरस्कार स्वरूप दिए जाते हैं. इसके लिए शर्त ये है कि एक दिन भी अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को एक भी अंडा नहीं दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता में पिछले माह 1 से 7 नवंबर तक चला, जिसमें नवंबर माह में 32 बच्चों ने यह पुरस्कार हासिल किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में नियमित रूप से दौड़ने की आदत और उनकी पोषण आवश्यकताओं को पूरा करना है.

इस अंडा चैलेंज प्रतियोगिता में इस माह भी कई बच्चे भाग ले रहे हैं. ऐसा नहीं है कि बड़े बच्चे ही इस दौड़ में भाग लेते हैं. इस रेस में भाग लेने छोटे बच्चे भी शामिल होने में पीछे नहीं हटते हैं. इस चैलेंज में शामिल होने वाले बच्चों का कहना है कि जब से दौड़ना शुरू किया है तब से उनके शरीर काफी तंदुरुस्त रहता है. खेल हो या पढ़ाई उन्हें सबमें मन लगता है और ऐसा करने में उन्हें आलस भी नहीं आता.

इसके अलावा इस स्कूल मे बच्चों में सृजनात्मक क्षमता और रचनात्मक विकास के लिए विद्यालय में मासिक दीवार पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया है. इस पत्रिका का नाम दीया रखा गया है. इसके अलावा शिक्षक अरविंद तिवारी अपने विद्यार्थियों को प्रत्येक दिन एक पेज अंग्रेजी और एक पेज हिंदी लिखने के लिए प्रेरित करते हैं. बच्चों की कॉपी खत्म होने पर उन्हें नई कॉपी दी जाती है.

वही पोषण वाटिका और न्यूट्रीशन हीरो विद्यालय में पोषण वाटिका का निर्माण किया गया है. जिसकी देखरेख विद्यालय के विद्यार्थी ही करते हैं. पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहजन और पपीता के पौधे लगाने के लिए बच्चों को प्रेरित किया जाता है. जिन बच्चों ने अपने अपने घरों में पोषण वाटिका का निर्माण किया है, उन्हें न्यूट्रीशन हीरो का खिताब देते हुए पुरस्कृत किया जाता है. शिक्षक की ये पहल धीरे-धीरे रंग ला रही है, बच्चे प्रेरित हो रहे हैं और उनके पोषण के साथ साथ बौद्धिक विकास भी हो रहा है. इसके साथ ही इन रचनात्मक कार्यों से सामाजिक दायित्व का बोध भी उनमें विकसित हो रहा है.

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झारखंड के इस स्कूल में अंडा चैलैंज

पूर्वी सिंहभूमः झारखंड में पूर्वी सिंहभूम जिला के पोटका प्रखंड के टांगराईन उत्क्रमित मध्य विद्यालय एक बार राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद कुमार तिवारी ने अपने स्कूल के बच्चों को दौड़ के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से अंडा चैलेंज प्रतियोगिता की शुरूआत की है. इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले बच्चों को लगातार 7 दिन 6 किलोमीटर दौड़ लगाने पर इनाम के रूप में आठवें दिन 7 अंडा दिया जाता है. इसमें सबसे हैरानी की बात ये है कि इसका सारा खर्च शिक्षक अरविंद तिवारी स्वयं उठाते हैं.

हर रोज सुबह-सुबह सड़कों पर दौड़ लगाने इन बच्चों की तस्वीर यहां के लिए अब आम है. इस सर्दी में भी बच्चों की प्रबल इच्छाशक्ति, कुछ करने की चाहत ही है जो बच्चे हर रोज यहां दौड़ लगाने के लिए आ जाते हैं. ये सभी बच्चे पूर्वी सिंहभूम जिला के पोटका प्रखंड स्थित टांगराईन उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चे हैं. हर रोज ये सभी अपने स्कूल से तीन किलोमीटर दूर दौड़कर जाते हैं और फिर वापस स्कूल की तरफ लौट आते हैं. इन बच्चों को लगातार 7 दिन तक दौड़ लगाने पर उन्हें 7 अंडा दिया जाता है.

इस सबंध में शिक्षक अरविंद तिवारी ने बताया कि बच्चों में प्रतिदिन जल्दी उठने, एथलेटिक क्षमता के विकास और उनके पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंडा चैलेंज शुरू किया गया है. जिसमें बच्चों को प्रतिदिन 6 किलोमीटर दौड़ना होता है. लगातार सात दिन दौड़ने वाले बच्चों को आठवें दिन 7 अंडे पुरस्कार स्वरूप दिए जाते हैं. इसके लिए शर्त ये है कि एक दिन भी अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को एक भी अंडा नहीं दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता में पिछले माह 1 से 7 नवंबर तक चला, जिसमें नवंबर माह में 32 बच्चों ने यह पुरस्कार हासिल किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में नियमित रूप से दौड़ने की आदत और उनकी पोषण आवश्यकताओं को पूरा करना है.

इस अंडा चैलेंज प्रतियोगिता में इस माह भी कई बच्चे भाग ले रहे हैं. ऐसा नहीं है कि बड़े बच्चे ही इस दौड़ में भाग लेते हैं. इस रेस में भाग लेने छोटे बच्चे भी शामिल होने में पीछे नहीं हटते हैं. इस चैलेंज में शामिल होने वाले बच्चों का कहना है कि जब से दौड़ना शुरू किया है तब से उनके शरीर काफी तंदुरुस्त रहता है. खेल हो या पढ़ाई उन्हें सबमें मन लगता है और ऐसा करने में उन्हें आलस भी नहीं आता.

इसके अलावा इस स्कूल मे बच्चों में सृजनात्मक क्षमता और रचनात्मक विकास के लिए विद्यालय में मासिक दीवार पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया है. इस पत्रिका का नाम दीया रखा गया है. इसके अलावा शिक्षक अरविंद तिवारी अपने विद्यार्थियों को प्रत्येक दिन एक पेज अंग्रेजी और एक पेज हिंदी लिखने के लिए प्रेरित करते हैं. बच्चों की कॉपी खत्म होने पर उन्हें नई कॉपी दी जाती है.

वही पोषण वाटिका और न्यूट्रीशन हीरो विद्यालय में पोषण वाटिका का निर्माण किया गया है. जिसकी देखरेख विद्यालय के विद्यार्थी ही करते हैं. पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहजन और पपीता के पौधे लगाने के लिए बच्चों को प्रेरित किया जाता है. जिन बच्चों ने अपने अपने घरों में पोषण वाटिका का निर्माण किया है, उन्हें न्यूट्रीशन हीरो का खिताब देते हुए पुरस्कृत किया जाता है. शिक्षक की ये पहल धीरे-धीरे रंग ला रही है, बच्चे प्रेरित हो रहे हैं और उनके पोषण के साथ साथ बौद्धिक विकास भी हो रहा है. इसके साथ ही इन रचनात्मक कार्यों से सामाजिक दायित्व का बोध भी उनमें विकसित हो रहा है.

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Last Updated : Dec 11, 2023, 9:54 PM IST
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