जमशेदपुर: रविवार की शाम बारीडीह गुरुद्वारा साहिब में बंदी छोड़ दिवस और दिवाली का त्योहार श्रद्धापूर्वक मनाया गया. बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु गुरुद्वारा साहिब पहुंचे. श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेका और फिर गुरुद्वारे में दीपक और मोमबत्तियां जलाईं. इसके बाद गुरु घर में मीठा प्रसाद चढ़ाया गया और कीर्तन सुना गया.
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बाबा निरंजन सिंह जी ने संगत को बंदी छोड़ दिवस की कथा सुनाई. सिख इतिहास के अनुसार, एक साजिश के तहत छठे गुरु हरगोबिंद जी को ग्वालियर किले में कैद कर दिया गया था और गुरु जी वहां जहांगीर की सलामती और उनकी बीमारी से उबरने के लिए प्रार्थना कर रहे थे. जहांगीर ठीक हो गया और जब साईं मियां मीर ने बादशाह को घटना की जानकारी दी तो बादशाह ने सम्मानपूर्वक उन्हें किले से रिहा करने का आदेश जारी किया. गुरु जी ने कहा कि उनके साथ किले में कैद 52 राजाओं को भी रिहा कर दिया जाये.
राजा ने कहा कि जितने राजा अपने वस्त्र पकड़कर उतार सकें, वे बाहर निकल जाएं. सिखों ने एक विशेष चोला तैयार किया, जिसमें 52 लड़ियां थीं और उन लड़ियों को पकड़कर सभी राजाओं को कैद से मुक्त कर दिया गया. गुरुजी दिवाली पर अमृतसर लौटे और सिख इस दिन को मनाने के लिए बंदी छोड़ दिवस मनाते हैं. प्रधान कुलविंदर सिंह के मुताबिक परंपरा है कि गुरुद्वारा साहिब में दीपक जलाने के बाद ही घर में रोशनी की जाती है. इस मौके पर गुरुद्वारा साहिब के अध्यक्ष करतार सिंह, सुखबिंदर सिंह, बलविंदर सिंह, जसवंत सिंह, राजेंद्र सिंह तरसिक्का, अवतार सिंह सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मत्था टेका.