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बिन पानी सब सून! दुमका के इस गांव में लोग डोभा का पानी पीने को मजबूर

दुमका जिला मुख्यालय(district headquarters) से लगभग 55 किलोमीटर दूर गोपीकांदर प्रखंड(Gopikander Block) के कोलाजोड़ा गांव के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. इस गांव के सभी चापाकल(hand pump) खराब हैं और लोग डोभा का पानी पीने को मजबूर हैं.

water scarcity in dumka's kolajoda village
बिन पानी सब सून! दुमका के इस गांव में लोग डोभा का पानी पीने को हैं मजबूर, जानिए क्या है मांग
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Published : Jun 16, 2021, 10:16 AM IST

दुमका: गोपीकांदर प्रखंड के कोलाजोड़ा गांव(Kolajoda Village) के लोग इन दिनों पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. गांव के सारे चापाकल खराब हैं, इससे लोग डोभा का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में पानी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोग गांव के बाहर पहाड़ के किनारे डोभा से पानी लाते हैं. गांव से इसकी दूरी लगभग आधा किलोमीटर दूर है और रास्ते उबड़ खाबड़ हैं. इस डोभा में पहाड़ से जो पानी निकलता है, वह जमा रहता है. लोग यहीं से पानी भरकर अपने घर ले जाते हैं.

water scarcity in dumka's kolajoda village
पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण

इसे भी पढ़ें- रांची से मुंबई जाने वाली फ्लाइट से टकराया चील, बाल-बाल बचे 164 यात्री

क्या है पूरा मामला
दुमका जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पाकुड़ जिला की सीमा पर स्थित गोपीकांदर प्रखंड के कोलाजोड़ा गांव में पानी का काफी समस्या है. इस गांव में दो टोला हैं- मांझी टोला और परानिक टोला. आदिवासी बाहुल्य इस गांव में लगभग 50 घर हैं. दोनों टोला को मिलाकर चार चापाकल हैं, लेकिन महीनों से सभी खराब पड़े हुए हैं. सभी चापाकल खराब पड़े हुए हैं. एक बार पेयजल विभाग के कर्मचारी पहुंचे थे, लेकिन गांव के दो-दो चापाकल का हेड खोल कर रख दिया है. आजतक इन चापाकलों की मरम्मति नहीं की गई है.

देखें पूरी खबर


पहाड़ से उतरा डोभा में जमा पानी पीते हैं लोग
गांव में पानी की व्यवस्था(water system) नहीं होने की वज़ह से लोग गांव के बाहर पहाड़ के किनारे डोभा से पानी लाते हैं. गांव से इसकी दूरी लगभग आधा किलोमीटर दूर है और रास्ते उबड़ खाबड़ हैं. इस डोभा में पहाड़ से जो पानी निकलता है, वो जमा रहता है. लोग यहीं से पानी भर कर अपने घर ले जाते हैं.

water scarcity in dumka's kolajoda village
दुमका के इस गांव में डोभा का पानी पीने को मजबूर हैं लोग


क्या कहते हैं ग्रामीण
जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण काफी पारे परेशान हैं. वो अपने जनप्रतिनिधि(public representatives) और प्रशासन के प्रति काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि हमारे गांव के चार चापाकल महीनों से खराब है, लेकिन न कोई जनप्रतिनिधि देखने आता है और ना ही प्रशासन के कोई अधिकारी या कर्मचारी. वो कहते हैं कि गड्ढे का पानी हम लोग पी रहे हैं. इससे हमेशा बीमार होने का खतरा बना रहता है. ग्रामीणों की मांग है कि हमारे गांव के सभी चापाकल को दुरुस्त किया जाए. साथ ही साथ सोलर वाटर प्लांट स्थापित किया जाए ताकि हम आसानी से पानी प्राप्त कर सकें.

दुमका: गोपीकांदर प्रखंड के कोलाजोड़ा गांव(Kolajoda Village) के लोग इन दिनों पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. गांव के सारे चापाकल खराब हैं, इससे लोग डोभा का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में पानी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोग गांव के बाहर पहाड़ के किनारे डोभा से पानी लाते हैं. गांव से इसकी दूरी लगभग आधा किलोमीटर दूर है और रास्ते उबड़ खाबड़ हैं. इस डोभा में पहाड़ से जो पानी निकलता है, वह जमा रहता है. लोग यहीं से पानी भरकर अपने घर ले जाते हैं.

water scarcity in dumka's kolajoda village
पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण

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क्या है पूरा मामला
दुमका जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पाकुड़ जिला की सीमा पर स्थित गोपीकांदर प्रखंड के कोलाजोड़ा गांव में पानी का काफी समस्या है. इस गांव में दो टोला हैं- मांझी टोला और परानिक टोला. आदिवासी बाहुल्य इस गांव में लगभग 50 घर हैं. दोनों टोला को मिलाकर चार चापाकल हैं, लेकिन महीनों से सभी खराब पड़े हुए हैं. सभी चापाकल खराब पड़े हुए हैं. एक बार पेयजल विभाग के कर्मचारी पहुंचे थे, लेकिन गांव के दो-दो चापाकल का हेड खोल कर रख दिया है. आजतक इन चापाकलों की मरम्मति नहीं की गई है.

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पहाड़ से उतरा डोभा में जमा पानी पीते हैं लोग
गांव में पानी की व्यवस्था(water system) नहीं होने की वज़ह से लोग गांव के बाहर पहाड़ के किनारे डोभा से पानी लाते हैं. गांव से इसकी दूरी लगभग आधा किलोमीटर दूर है और रास्ते उबड़ खाबड़ हैं. इस डोभा में पहाड़ से जो पानी निकलता है, वो जमा रहता है. लोग यहीं से पानी भर कर अपने घर ले जाते हैं.

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दुमका के इस गांव में डोभा का पानी पीने को मजबूर हैं लोग


क्या कहते हैं ग्रामीण
जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण काफी पारे परेशान हैं. वो अपने जनप्रतिनिधि(public representatives) और प्रशासन के प्रति काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि हमारे गांव के चार चापाकल महीनों से खराब है, लेकिन न कोई जनप्रतिनिधि देखने आता है और ना ही प्रशासन के कोई अधिकारी या कर्मचारी. वो कहते हैं कि गड्ढे का पानी हम लोग पी रहे हैं. इससे हमेशा बीमार होने का खतरा बना रहता है. ग्रामीणों की मांग है कि हमारे गांव के सभी चापाकल को दुरुस्त किया जाए. साथ ही साथ सोलर वाटर प्लांट स्थापित किया जाए ताकि हम आसानी से पानी प्राप्त कर सकें.

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