दुमका: जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के सरसडंगाल गांव में लगभग 24 वर्ष पहले एकीकृत बिहार के समय आदर्श मध्य विद्यालय सरसडंगाल सरकारी विद्यालय का निर्माण कार्य शुरू हुआ. तात्कालीन उपायुक्त आभाष कुमार झा ने इसमें काफी रूचि ली थी और इसमें अधिकारियों से लेकर शिक्षकों और स्थानीय लोगों ने श्रमदान भी किया था. स्कूल का निर्माण कार्य लगभग 80% तक पूरा हो गया. सिर्फ जमीन का प्लास्टर और रंग रोगन का काम बाकी रह गया, जो आज तक अधूरा है. कुछ ग्रामीण स्कूल भवन का इस्तेमाल किराए के गोदाम के रूप में कर रहे हैं.
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ईटीवी भारत की टीम पहुंची स्कूल
ईटीवी भारत की टीम जब दुमका जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर शिकारीपाड़ा प्रखंड के सरसडंगाल गांव के अधूरे विद्यालय में पहुंची, तो वहां पत्थर खदान में काम करने वाला एक मजदूर नसीम अंसारी मिला. उसका कई सामान विद्यालय के क्लासरूम में रखा था. उस क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड भी लगा था. जब उसके स्कूल भवन में रहने को लेकर सवाल पूछा गया तो उसने बताया कि मैंने गांव के एक व्यक्ति से दो सौ रुपये प्रति सप्ताह में क्लासरूम को किराए पर लिया हूं.
ईटीवी भारत ने शुरू की पड़ताल
यह मामला भले ही बिहार - झारखंड के अलग होने से पहले का था, लेकिन काफी रोचक है. एक सरकारी स्कूल का निर्माण होना शुरू होता है, लेकिन वह ढाई दशक में पूरा भी नहीं हो सका है. फिलहाल सरसडंगाल गांव में आबादी वाले जगह पर जो पुराना सरकारी स्कूल है, बच्चे वर्तमान में उसी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. नया स्कूल भवन का निर्माण का निर्माण दुमका - रामपुरहाट मुख्य मार्ग पर हुआ है. यह इलाका काफी व्यस्त है और आसपास कई स्टोन क्रशर भी हैं. ईटीवी भारत की टीम ने उस महिला से भी संपर्क करने की कोशिश की, जिसके बारे में यह कहा जा रहा था कि वह विद्यालय के जमीन मालिक के परिवार से हैं और उन्होंने स्कूल भवन को किराए पर लगाया है, लेकिन वो कैमरे के सामने नहीं आई.
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क्या कहते हैं मुखिया
ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव के मुखिया हुदू मरांडी से बात की, तो उन्होंने बताया कि गांव के ही एक महिला जो जमीन मालिक के परिवार से हैं, वही स्कूल भवन में मजदूरों को रखती हैं. उन्होंने कहा कि अगर नया स्कूल शुरू हो जाता तो बच्चे लाभान्वित होते, लेकिन अब चालू ही नहीं हुआ तो क्या कहा जा सकता है.
क्या कहते हैं अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम किशोर सिंह गांधी सरसडंगाल के आदर्श मध्य विद्यालय के निर्माण के समय शिकारीपाड़ा प्रखंड में ही कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि साल 1997 में तत्कालीन उपायुक्त आभास कुमार झा ने विद्यालय के निर्माण में काफी रूचि ली थी, अधिकारियों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने अपना श्रमदान भी किया था, विद्यालय के निर्माण में शिक्षा विभाग का पैसा लगा है, लेकिन आज तक चालू क्यों नहीं हुआ इसकी जानकारी नहीं मिल सकी. उनका कहना है कि हो सकता है विद्यालय दुमका - रामपुरहाट मार्ग पर है, जो अति व्यस्त है और गांव के बाहर होने की वजह से शायद अभिभावकों ने भी अपने बच्चों को स्कूल में भेजने की रुचि नहीं दिखाई और विद्यालय भवन यूं ही आज तक पड़ा रह गया है.
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स्कूल भवन के आस-पास कई स्टोन क्रशर
सरसडंगाल गांव के आदर्श मध्य विद्यालय के वर्तमान स्थिति पर ईटीवी भारत की टीम ने शिकारीपाड़ा के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी राजीव रंजन से बात की. उन्होंने बताया कि काफी पुरानी बात है, झारखंड निर्माण के पहले का यह स्कूल है, लेकिन इसके निर्माण में कितनी राशि खर्च हुई , किस विभाग के ओर से स्कूल बन रहा था, यह नहीं पता चल पा रहा है, इसकी खोजबीन की जाएगी. उन्होंने कहा की स्कूल बच्चों के लिए चालू नहीं होने की एक बड़ी वजह यह हो सकती है कि इसके चारों ओर स्टोन क्रशर हैं, जिसका धूल उड़ते रहता है और वह बच्चों के लिए नुकसानदेह होगा, इसलिए शायद ग्रामीणों ने अपने बच्चों को वहां भेजने में रुचि नहीं दिखाई.
क्या कहती हैं उपायुक्त
अधूरे आदर्श मध्य विद्यालय के संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि शिक्षा विभाग से इसकी जांच करवाई जाएगी, तभी इस मामले पर कुछ कहा जा सकता है.
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शिक्षा विभाग करे जांच
पूरे मामले में यह स्पष्ट है कि इस सरकारी विद्यालय का निर्माण कार्य ढाई दशक पहले शुरू हुआ था. मामला काफी पुराना हो चुका है. दो राज्यों के बंटवारे के बाद प्रशासनिक गतिविधियां भी काफी परिवर्तित हुई, लेकिन अब इसकी जांच करवाकर शिक्षा विभाग को विद्यालय भवन को अपने कब्जे में लेना चाहिए, ताकि आए दिन बच्चों को एक बेहतर स्कूल मिल सके.