दुमका: जिले में आदिवासी समाज के लोगों ने बस पड़ाव को लगभग दो घंटे तक जाम कर दिया. सभी आदिवासी युवक आनंद हांसदा की पिटाई का विरोध कर रहे थे. युवक के साथ बसकर्मियों ने मारपीट की थी. आक्रोशित लोगों ने बस पड़ाव के आसपास की दुकानों को भी बंद करा दिया. इतना ही नहीं उन्होंने टिकट काउंटर में भी तोड़फोड़ की.
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लोगों का कहना था कि एक तो उस युवक को जमकर पीटा गया और जब वह नगर थाना में मामला दर्ज कराने पहुंचा तो वहां से पुलिस वालों ने उसे भगा दिया. लोगों की इस जाम को हटाने में प्रशासन और पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
क्या है पूरा मामला: दरअसल, यह पूरा मामला 15 अगस्त की रात दस बजे के आसपास की है. मुफस्सिल थाना क्षेत्र के हथियापाथर गांव का आनंद हांसदा अपने जीजा के साथ बस पड़ाव होटल से खाना लेने आया था. वहीं बस स्टैंड के सामने ओम ट्रेवल्स नाम की एक बस बीच सड़क पर खड़ी थी. आनंद बाइक पर था. उसने बस चालक को बस किनारे लगाने को कहा. इस पर बस से कुछ कर्मी उतरे और आनंद को बेरहमी से पीटने लगे. किसी तरह बचकर वे दोनों वहां से थोड़ी दूर स्थित नगर थाना पहुंचे. पर वहां मौजूद पुलिस अधिकारी ने उनकी कोई सुध नहीं ली.
पुलिस ने नहीं दर्ज की आफआईआर: दूसरे दिन 16 अगस्त को जब वे थाना पहुंचे तो उनसे कहा गया की एफआईआर के लिए पिटाई करने वालों का नाम और पता लेकर आएं. एक तो पिटाई और उसके बाद थाना के इस व्यवहार के कारण गुरुवार को आदिवासी समाज आक्रोशित हो गया. काफी संख्या में आदिवासी लोग बस पड़ाव पहुंचे. पहले उन्होंने बस स्टैंड से वाहनों का आवागमन बाधित कर दिया. फिर बस पड़ाव के अंदर और आसपास के सभी दुकानों को बंद करा दिया. इतना ही नहीं टिकट काउंटर में भी तोड़फोड़ की. इस दौरान बस पड़ाव में जितने भी पैसेंजर थे, उन सभी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
मौके पर पहुंचे प्रशासन और पुलिस के अधिकारी: सूचना मिलते ही दुमका के एसडीपीओ नूर मुस्तफा और अंचलाधिकारी जामुन रविदास काफी संख्या में पुलिस बल के साथ बस स्टैंड पहुंचे. उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की. युवाओं को समझाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. मौके पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने यह आश्वासन दिया कि तत्काल मारपीट करने वाले बस कर्मियों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी. साथ ही साथ जिस पुलिस अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी की, उस पर भी कार्रवाई होगी. इस आश्वासन के बाद लोगों ने जाम हटाया.