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लॉकडाउन में गरीब मरीज परेशान, दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं

दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काजल नाम की एक महिला भर्ती हुई. अस्पताल प्रबंधन ने काजल को देखते हुए कह दिया कि उसकी सिजेरियन डिलीवरी होगी, लेकिन उनके पास इसकी व्यवस्था नहीं है. दूसरे जगह जाना होगा.

लॉकडाउन में गरीब मरीज परेशान, दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ईलाज की समुचित व्यवस्था नहीं
दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल
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Published : Mar 30, 2020, 8:09 PM IST

Updated : Mar 30, 2020, 10:06 PM IST

दुमकाः उपराजधानी का सदर अस्पताल जब कुछ महीने पहले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तब्दील हुआ तो स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली से जूझ रहे लोगों को लगा कि अब उन्हें यहां इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी, लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं. आज भी साधारण मरीजों को भी यहां से यह कहकर रेफर कर दिया जाता है कि उनके यहां संसाधनों का अभाव है.

देखें पूरी खबर

प्रसव पीड़ा से तड़प रही काजल का नहीं हुआ ट्रीटमेंट

सोमवार को दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काजल नाम की एक महिला भर्ती हुई. वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी. काजल की एक संतान पहले से है, जिसकी डिलीवरी सिजेरियन तरीके से हुई थी. अस्पताल प्रबंधन ने काजल को देखते हुए कह दिया कि उसकी सिजेरियन डिलीवरी होगी, लेकिन उनके पास इसकी व्यवस्था नहीं है. दूसरे जगह जाना होगा.

लॉकडाउन में गरीब मरीज परेशान, दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ईलाज की समुचित व्यवस्था नहीं
अस्पताल में मरीज
काजल के माता पिता ने लगाई गुहार

काजल के पिता मोहम्मद तारीफ जो मजदूर हैं, उन्होंने बिलखते हुए कहा कि वे काफी गरीब हैं. लॉकडाउन में काम नहीं मिल रहा है. डॉक्टर उनकी बेटी का इलाज नहीं करना चाहते. उनके पास तो खाने के पैसे नहीं है. काजल की मां अफसाना बीबी ने डीएमसीएच के अधीक्षक से जाकर गुहार लगाई कि किसी तरह बेटी की डिलीवरी इसी सरकारी अस्पताल में कर दे लेकिन हुआ कुछ नहीं.

लॉकडाउन में गरीब मरीज परेशान, दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ईलाज की समुचित व्यवस्था नहीं
डॉक्टर के पास मरीज

क्या कहती है सहिया

काजल को अस्पताल तक लाने वाली स्वास्थ्य सहिया आबेदा खातून ने बताया कि प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. आबेदा ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि काजल के नॉर्मल डिलीवरी में काफी खतरा हो सकता है और जान भी जा सकती है.

क्या कहते हैं डीएमसीएच के अधीक्षक

डीएमसीएच के अधीक्षक रवींद्र कुमार ने कहा कि काजल के इलाज में जो संसाधन होने चाहिए, वह उनके पास नहीं है. सबसे बड़ी बात ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट होना चाहिए वह भी उनके पास नहीं है. साथ ही साथ कई अन्य संसाधन नहीं हैं तो मरीज को अपने यहां कैसे रोके.

दुमकाः उपराजधानी का सदर अस्पताल जब कुछ महीने पहले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तब्दील हुआ तो स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली से जूझ रहे लोगों को लगा कि अब उन्हें यहां इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी, लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं. आज भी साधारण मरीजों को भी यहां से यह कहकर रेफर कर दिया जाता है कि उनके यहां संसाधनों का अभाव है.

देखें पूरी खबर

प्रसव पीड़ा से तड़प रही काजल का नहीं हुआ ट्रीटमेंट

सोमवार को दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काजल नाम की एक महिला भर्ती हुई. वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी. काजल की एक संतान पहले से है, जिसकी डिलीवरी सिजेरियन तरीके से हुई थी. अस्पताल प्रबंधन ने काजल को देखते हुए कह दिया कि उसकी सिजेरियन डिलीवरी होगी, लेकिन उनके पास इसकी व्यवस्था नहीं है. दूसरे जगह जाना होगा.

लॉकडाउन में गरीब मरीज परेशान, दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ईलाज की समुचित व्यवस्था नहीं
अस्पताल में मरीज
काजल के माता पिता ने लगाई गुहार

काजल के पिता मोहम्मद तारीफ जो मजदूर हैं, उन्होंने बिलखते हुए कहा कि वे काफी गरीब हैं. लॉकडाउन में काम नहीं मिल रहा है. डॉक्टर उनकी बेटी का इलाज नहीं करना चाहते. उनके पास तो खाने के पैसे नहीं है. काजल की मां अफसाना बीबी ने डीएमसीएच के अधीक्षक से जाकर गुहार लगाई कि किसी तरह बेटी की डिलीवरी इसी सरकारी अस्पताल में कर दे लेकिन हुआ कुछ नहीं.

लॉकडाउन में गरीब मरीज परेशान, दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ईलाज की समुचित व्यवस्था नहीं
डॉक्टर के पास मरीज

क्या कहती है सहिया

काजल को अस्पताल तक लाने वाली स्वास्थ्य सहिया आबेदा खातून ने बताया कि प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. आबेदा ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि काजल के नॉर्मल डिलीवरी में काफी खतरा हो सकता है और जान भी जा सकती है.

क्या कहते हैं डीएमसीएच के अधीक्षक

डीएमसीएच के अधीक्षक रवींद्र कुमार ने कहा कि काजल के इलाज में जो संसाधन होने चाहिए, वह उनके पास नहीं है. सबसे बड़ी बात ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट होना चाहिए वह भी उनके पास नहीं है. साथ ही साथ कई अन्य संसाधन नहीं हैं तो मरीज को अपने यहां कैसे रोके.

Last Updated : Mar 30, 2020, 10:06 PM IST
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