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सिर्फ दो रसोइयों के हवाले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मरीज परेशान

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Published : Jan 29, 2020, 8:42 PM IST

दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब 300 बेड है और अस्पताल कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल के किचन में जहां मरीजों का भोजन तैयार होता है, वहां सिर्फ दो स्टाफ कार्यरत है. जिससे मरीजों के लिए भोजन तैयार करने में परेशानी होती है.

dumka medical college kitchen
दो रसोइयों के हवाले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल

दुमका: दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल के किचन में जहां मरीजों का भोजन तैयार होता है, वहां सिर्फ दो स्टाफ कार्यरत है. दोनों रसोइयों को भोजन तैयार करने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. इस वजह से मरीजों को भी काफी परेशानी हो रही है.

दो रसोइयों के हवाले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल


क्या कहते हैं मरीज और उनके परिजन
हमने दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मरीजों और उनके परिजनों की भोजन व्यवस्था पर गौर की तो देखा कि कुछ मरीज अपने घरों से लाए भोजन खा रहे हैं. उन लोगों ने बताया कि भोजन समय पर नहीं मिल पाता है. लेकिन भूख लग जाती है तो घर से खाना मंगाना पड़ता है. मरीज के परिजनों का कहना है कि समय पर भोजन मिलना चाहिए.

भोजन बनाने वाले कर्मियों को भी है परेशानी
इधर खाना बनाने वाले कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उनका कहना है कि हम मेहनत कर समय पर मरीजों को भोजन उपलब्ध कराते हैं. लेकिन आदमी कम रहने से काफी परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि हमारे सहयोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए.

क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट
इस संबंध में जब हमने डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ रविंद्र कुमार से बात की तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि दो रसोईया रहने से इतने बड़े अस्पताल में काफी परेशानी है. उनका कहना है कि कर्मियों की जल्द भरपाई की जाएगी.

सरकारी अस्पताल में अधिकांश जरूरतमंद और गरीब मरीज पहुंचते हैं. ऐसे में अस्पताल के भोजन पर ही निर्भर होते हैं. स्वास्थय विभाग का दायित्व है कि इस बड़ी कमी को जल्द से जल्द पूरा करें.

दुमका: दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल के किचन में जहां मरीजों का भोजन तैयार होता है, वहां सिर्फ दो स्टाफ कार्यरत है. दोनों रसोइयों को भोजन तैयार करने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. इस वजह से मरीजों को भी काफी परेशानी हो रही है.

दो रसोइयों के हवाले दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल


क्या कहते हैं मरीज और उनके परिजन
हमने दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मरीजों और उनके परिजनों की भोजन व्यवस्था पर गौर की तो देखा कि कुछ मरीज अपने घरों से लाए भोजन खा रहे हैं. उन लोगों ने बताया कि भोजन समय पर नहीं मिल पाता है. लेकिन भूख लग जाती है तो घर से खाना मंगाना पड़ता है. मरीज के परिजनों का कहना है कि समय पर भोजन मिलना चाहिए.

भोजन बनाने वाले कर्मियों को भी है परेशानी
इधर खाना बनाने वाले कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उनका कहना है कि हम मेहनत कर समय पर मरीजों को भोजन उपलब्ध कराते हैं. लेकिन आदमी कम रहने से काफी परेशानी हो रही है. उनका कहना है कि हमारे सहयोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए.

क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट
इस संबंध में जब हमने डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ रविंद्र कुमार से बात की तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि दो रसोईया रहने से इतने बड़े अस्पताल में काफी परेशानी है. उनका कहना है कि कर्मियों की जल्द भरपाई की जाएगी.

सरकारी अस्पताल में अधिकांश जरूरतमंद और गरीब मरीज पहुंचते हैं. ऐसे में अस्पताल के भोजन पर ही निर्भर होते हैं. स्वास्थय विभाग का दायित्व है कि इस बड़ी कमी को जल्द से जल्द पूरा करें.

Intro:दुमका -
दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल कर्मियों की कमी से जूझ रहा है । अस्पताल के किचन में जहां मरीजों का भोजन तैयार होता है वहां सिर्फ दो स्टाफ कार्यरत है । दोनों रसोइयों को भोजन तैयार करने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है । इस वजह से मरीजों को भी काफी परेशानी हो रही है ।

क्या कहते हैं मरीज और उनके परिजन ।
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हमने दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मरीजों और उनके परिजनों की भोजन व्यवस्था पर गौर की तो देखा कि कुछ मरीज अपने घरों से लाये भोजन खा रहे हैं । उन लोगों ने बताया कि भोजन समय पर नहीं मिल पाता है लेकिन भूख लग जाती है तो घर से खाना मंगाना पड़ता है मरीज के परिजनों का कहना है कि समय पर भोजन मिलना चाहिए ।

बाईट - उषा देवी , मरीज के परिजन
बाईट - अजय कुमार , मरीज के परिजन
बाईंट - किरण कुमारी , मरीज के परिजन


Body:भोजन बनाने वाले कर्मियों को भी है परेशानी ।
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इधर खाना बनाने वाले कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है । उनका कहना है कि हम मेहनत कर समय पर मरीजों को भोजन उपलब्ध कराते हैं लेकिन आदमी कम रहने से काफी परेशानी हो रही है । उनका कहना है कि हमारे सहयोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए ।

बाईट - आशा देवी , रसोईया


Conclusion:क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट ।
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इस संबंध में जब हमने डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ रविंद्र कुमार से बात की तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि दो रसोईया रहने से इतने बड़े अस्पताल में काफी परेशानी है । उनका कहना है कि कर्मियों की जल्द भरपाई की जाएगी ।

बाईट - डॉ रविंद्र कुमार , सुपरिटेंडेंट , डीएमसीएच

फाईनल वीओ -
सरकारी अस्पताल में अधिकांश जरूरतमंद और गरीब मरीज पहुंचते हैं । ऐसे में अस्पताल के भोजन पर ही निर्भर होते हैं । स्वास्थय विभाग का दायित्व है कि इस बड़ी कमी को जल्द से जल्द पूरा करें ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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