दुमका: जिले में इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ रही है और इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव प्राकृतिक जल स्रोतों पर पड़ रहा है. मयूराक्षी समेत सभी नदियां जैसे ब्राह्मणी, द्वारिका और पुसारो पुरी तरह से सूख चुकी है. इन नदियों में पानी की जगह सिर्फ बालू नजर आ रहा है और अन्य जल स्रोतों का भी बुरा हाल है.
इस संबंध में पेयजल विभाग के अभियंता महेंद्र बैठा का कहना है कि इस जल संकट का सबसे मुख्य कारण पिछले साल पर्याप्त मात्रा में बारिश का न होना है. वे सुझाव देते हैं कि लोगों को वाटर लेवल बरकरार रखने के लिए घर में इस्तेमाल हुए पानी को गड्ढे खोदकर जमीन के नीचे जाने दे. ताकि, पानी की समस्या से बचा जा सके.
लोगों को हो रही है परेशानी
प्राकृतिक जल स्रोतों के सूख जाने से लोग काफी परेशान हैं. दुमका के गोपीकंदर प्रखंड के जिला परिषद सदस्य निर्मला टुडू का कहना है कि पानी की समस्या विकराल है मनुष्य के साथ-साथ मवेशी भी इस संकट से गुजर रहे हैं.
पर्यावरण के प्रति लापरवाही का नतीजा
इस संबंध में संयुक्त बिहार के वन पर्यावरण मंत्री रह चुके कमलाकांत सिन्हा का कहना है कि इस स्थिति के लिए लोग जिम्मेदार हैं. वे पर्यावरण के प्रति काफी गैरजिम्मेदार हो गए है.