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गंभीर जलसंकट से गुजर रहा झारखंड का ये शहर, गर्मी में सूख कई नदियां

पिछले साल बारिश नहीं होने की वजह से दुमका में जल संकट उत्पन्न हो गया है. इलाके की कई नदियां सूख गईं हैं. माना जा रहा है कि इसके लिए प्रकृति की अनदेखी बड़ी वजह है.

दुमका में जल संकट
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Published : May 29, 2019, 7:56 PM IST

Updated : May 29, 2019, 9:45 PM IST

दुमका: जिले में इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ रही है और इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव प्राकृतिक जल स्रोतों पर पड़ रहा है. मयूराक्षी समेत सभी नदियां जैसे ब्राह्मणी, द्वारिका और पुसारो पुरी तरह से सूख चुकी है. इन नदियों में पानी की जगह सिर्फ बालू नजर आ रहा है और अन्य जल स्रोतों का भी बुरा हाल है.

देखे पूरा वीडियो

इस संबंध में पेयजल विभाग के अभियंता महेंद्र बैठा का कहना है कि इस जल संकट का सबसे मुख्य कारण पिछले साल पर्याप्त मात्रा में बारिश का न होना है. वे सुझाव देते हैं कि लोगों को वाटर लेवल बरकरार रखने के लिए घर में इस्तेमाल हुए पानी को गड्ढे खोदकर जमीन के नीचे जाने दे. ताकि, पानी की समस्या से बचा जा सके.

लोगों को हो रही है परेशानी

प्राकृतिक जल स्रोतों के सूख जाने से लोग काफी परेशान हैं. दुमका के गोपीकंदर प्रखंड के जिला परिषद सदस्य निर्मला टुडू का कहना है कि पानी की समस्या विकराल है मनुष्य के साथ-साथ मवेशी भी इस संकट से गुजर रहे हैं.

पर्यावरण के प्रति लापरवाही का नतीजा
इस संबंध में संयुक्त बिहार के वन पर्यावरण मंत्री रह चुके कमलाकांत सिन्हा का कहना है कि इस स्थिति के लिए लोग जिम्मेदार हैं. वे पर्यावरण के प्रति काफी गैरजिम्मेदार हो गए है.

दुमका: जिले में इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ रही है और इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव प्राकृतिक जल स्रोतों पर पड़ रहा है. मयूराक्षी समेत सभी नदियां जैसे ब्राह्मणी, द्वारिका और पुसारो पुरी तरह से सूख चुकी है. इन नदियों में पानी की जगह सिर्फ बालू नजर आ रहा है और अन्य जल स्रोतों का भी बुरा हाल है.

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इस संबंध में पेयजल विभाग के अभियंता महेंद्र बैठा का कहना है कि इस जल संकट का सबसे मुख्य कारण पिछले साल पर्याप्त मात्रा में बारिश का न होना है. वे सुझाव देते हैं कि लोगों को वाटर लेवल बरकरार रखने के लिए घर में इस्तेमाल हुए पानी को गड्ढे खोदकर जमीन के नीचे जाने दे. ताकि, पानी की समस्या से बचा जा सके.

लोगों को हो रही है परेशानी

प्राकृतिक जल स्रोतों के सूख जाने से लोग काफी परेशान हैं. दुमका के गोपीकंदर प्रखंड के जिला परिषद सदस्य निर्मला टुडू का कहना है कि पानी की समस्या विकराल है मनुष्य के साथ-साथ मवेशी भी इस संकट से गुजर रहे हैं.

पर्यावरण के प्रति लापरवाही का नतीजा
इस संबंध में संयुक्त बिहार के वन पर्यावरण मंत्री रह चुके कमलाकांत सिन्हा का कहना है कि इस स्थिति के लिए लोग जिम्मेदार हैं. वे पर्यावरण के प्रति काफी गैरजिम्मेदार हो गए है.

Intro:दुमका -- दुमका में इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ रही है । इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव प्राकृतिक जल स्रोतों पर पड़ रहा है । मयूराक्षी समेत सभी नदियां जैसे ब्राह्मणी , द्वारिका , पुसारो पुरी तरह से सूख चुकी है इन नदियों में पानी की जगह सिर्फ बालू नजर आ रहा है , अन्य जल स्रोतों का भी बुरा हाल है । इस संबंध में पेयजल विभाग के अभियंता का कहना है कि इस जल संकट का सबसे बड़ा कारण पिछले वर्ष पर्याप्त बारिश न होना है । वे सुझाव देते हैं कि लोगों को वाटर लेवल बरकरार रखने के लिए तमाम प्रयास करने होंगे ।

बाईट - महेंद्र बैठा , अभियन्ता , पेयजल विभाग, दुमका


Body:लोगों को हो रही है परेशानी ।
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प्राकृतिक जल स्रोतों के सूख जाने से लोग काफी परेशान हैं । दुमका के गोपीकंदर प्रखंड से जिला परिषद सदस्य निर्मला टुडू का कहना है कि पानी की समस्या विकराल है मनुष्य के साथ साथ मवेशी भी इस संकट से गुजर रहे हैं ।
बाईट - निर्मला टूडू , जिला परिषद सदस्य , दुमका

लोगों का है मानना - पर्यावरण के प्रति लापरवाही का नतीजा ।
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इस संबंध में संयुक्त बिहार के वन पर्यावरण मंत्री रह चुके कमलाकांत सिन्हा का कहना है कि इस स्थिति के लिए लोग जिम्मेदार हैं । वे पर्यावरण के प्रति काफी गैरजिम्मेदार हो गए है।

बाईट - कमलाकांत सिन्हा , पुर्व मंत्री , बिहार सरकार


Conclusion:फाईनल वीओ -
वैसे तो यह परेशानी पिछले साल बारिश नहीं होने की वजह से उत्पन्न हुई है लेकिन मनुष्यों को अब पर्यावरण के प्रति ज्यादा सचेत होना होगा , अन्यथा आने वाले दिनों में भी इस तरह की गंभीर जल संकट का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए ।

नोट - सर यह कदर रेडी पैकेज फॉर्मेट में भेजे हैं ।
Last Updated : May 29, 2019, 9:45 PM IST
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