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दुमकाः राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने की शिकायतों की सुनवाई

दुमका में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बाल अधिकारों से उल्लंघन मामलों के निबटारे के लिए शिविर का आयोजन किया. एनसीपीसीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मामलों की सुनवाई की.

शिविर का उद्घाटन करते प्रियंक कानूनगो
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Published : Aug 30, 2019, 8:09 PM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को बाल अधिकारों से उल्लंघन मामलों के निबटारे के लिए एक शिविर का आयोजन किया. इसमें भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्वयं मामलों की सुनवाई की. इसमें कुल 209 शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें 87 शिकायतों को त्वरित निराकरण का निर्देश दिया गया.

देखें पूरी खबर

आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दी जानकारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि नीति आयोग ने देश के 115 जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया है. ये वैसे जिले हैं जो विकास के मामले में पिछड़ गए. इस सूची में दुमका जिला का भी नाम शामिल है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ऐसे जिलों में बच्चों के अधिकारों के हनन मामले में खंडपीठ या शिविर के माध्यम से सुनवाई कर रहा है.

यह भी पढ़ें- 40 घंटे से पहले ही बह गई 40 साल की कोनार परियोजना! सीएम रघुवर दास ने किया था उद्घाटन

बच्चों और उनके अभिभावकों ने रखी शिकायत
इस शिविर में बच्चों और उनके अभिभावकों ने बाल अधिकार के उल्लंघन से संबंधित शिकायतें आयोग के समक्ष रखी. इसमें कई तरह के मामले शामिल थे, जैसे बच्चों के दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिलना या प्रमाण पत्र है तो किसी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. कुछ बच्चों ने यह शिकायत की कि स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है और नामांकन का मामला भी सामने आया. कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जिसमें बच्चों के माता-पिता नहीं होने की वजह से उनके लालन-पालन की समस्या सामने थी. उन्हें बाल गृह भेजने का निर्देश हुआ.

पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामला आए जिसमें तत्काल आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया. दिव्यांगता मामले में आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि सिविल सर्जन को आदेश किया गया कि वे 15 सितम्बर को एक विशेष शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों का प्रमाण पत्र बनाए. इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग को कहा गया कि जिन बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनता उसे तुरंत पेंशन फॉर्म भरवाकर स्वीकृति दी जाए.

ऑब्जर्वेशन होम में रहने वालों की होगी उम्र जांच
अध्यक्ष ने बताया कि दुमका ऑब्जर्वेशन होम में 18 वर्ष तक लड़कों को रहना है. वहां अभी रह रहे लड़कों के उम्र की जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा और जिसकी उम्र अधिक होगी उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में प्रस्तुत किया जाएगा और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया होगी.

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को बाल अधिकारों से उल्लंघन मामलों के निबटारे के लिए एक शिविर का आयोजन किया. इसमें भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्वयं मामलों की सुनवाई की. इसमें कुल 209 शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें 87 शिकायतों को त्वरित निराकरण का निर्देश दिया गया.

देखें पूरी खबर

आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दी जानकारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि नीति आयोग ने देश के 115 जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया है. ये वैसे जिले हैं जो विकास के मामले में पिछड़ गए. इस सूची में दुमका जिला का भी नाम शामिल है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ऐसे जिलों में बच्चों के अधिकारों के हनन मामले में खंडपीठ या शिविर के माध्यम से सुनवाई कर रहा है.

यह भी पढ़ें- 40 घंटे से पहले ही बह गई 40 साल की कोनार परियोजना! सीएम रघुवर दास ने किया था उद्घाटन

बच्चों और उनके अभिभावकों ने रखी शिकायत
इस शिविर में बच्चों और उनके अभिभावकों ने बाल अधिकार के उल्लंघन से संबंधित शिकायतें आयोग के समक्ष रखी. इसमें कई तरह के मामले शामिल थे, जैसे बच्चों के दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिलना या प्रमाण पत्र है तो किसी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. कुछ बच्चों ने यह शिकायत की कि स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है और नामांकन का मामला भी सामने आया. कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जिसमें बच्चों के माता-पिता नहीं होने की वजह से उनके लालन-पालन की समस्या सामने थी. उन्हें बाल गृह भेजने का निर्देश हुआ.

पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामला आए जिसमें तत्काल आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया. दिव्यांगता मामले में आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि सिविल सर्जन को आदेश किया गया कि वे 15 सितम्बर को एक विशेष शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों का प्रमाण पत्र बनाए. इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग को कहा गया कि जिन बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनता उसे तुरंत पेंशन फॉर्म भरवाकर स्वीकृति दी जाए.

ऑब्जर्वेशन होम में रहने वालों की होगी उम्र जांच
अध्यक्ष ने बताया कि दुमका ऑब्जर्वेशन होम में 18 वर्ष तक लड़कों को रहना है. वहां अभी रह रहे लड़कों के उम्र की जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा और जिसकी उम्र अधिक होगी उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में प्रस्तुत किया जाएगा और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया होगी.

Intro:दुमका - राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा आज दुमका में बाल अधिकारों से उल्लंघन मामलों के निपटारे के लिए एक शिविर का आयोजन किया गया । इसमें भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्वयं मामलों की सुनवाई की । इसमें कुल 209 शिकायतें प्राप्त हुई । जिसमें 87 शिकायतों को त्वरित निराकरण का निर्देश दिया गया ।


Body:आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दी जानकारी ।
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगोने बताया कि नीति आयोग ने देश के 115 जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया है । यह वैसे जिले हैं जो विकास के मामले में पिछड़ गए । इस सूची में दुमका जिला का भी नाम शामिल है । राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ऐसे जिलों में बच्चों के अधिकारों के हनन मामले में खंडपीठ या शिविर के माध्यम से सुनवाई कर रहा है ।

बच्चों और उनके अभिभावकों ने रखी शिकायत ।
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अपनी बात इस शिविर में बच्चों और उनके अभिभावकों ने बाल अधिकार के उल्लंघन से संबंधित शिकायतें आयोग के समक्ष रखी । इसमें कई तरह के मामले शामिल थे । जैसे बच्चों के दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिला या प्रमाण पत्र है तो किसी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है । कुछ बच्चों ने यह शिकायत की कि स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है और नामांकन का मामला भी सामने आया । कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जिसमें बच्चों के माता-पिता नहीं होने की वजह से उनके लालन-पालन की समस्या सामने थी । उन्हें बाल गृह भेजने का निर्देश हुआ । पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामला आया इसमें तत्काल आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया । विकलांगता मामले में आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि सिविल सर्जन को आदेश किया गया कि वे 15 सितम्बर को एक विशेष शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों का प्रमाणपत्र बनाये । साथ समाज कल्याण विभाग को कहा गया कि जिन बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनता उसे फौरन पेंशन फॉर्म भरवाकर स्वीकृति दे ।

ऑब्जर्वेशन होम में रहने वालों की होगी उम्र जांच ।
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अध्यक्ष ने बताया कि दुमका ऑब्जर्वेशन होम में 18 वर्ष तक लड़कों को रहना है । वहाँ अभी रह रहे लड़कों के उम्र की जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा और जिसकी उम्र अधिक होगी उसे जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड में प्रस्तुत किया जाएगा और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया होगी ।


Conclusion:आयोग ने टाइम प्रेम किया निर्धारित ।
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आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि जो भी शिकायतें मिली है । उसे संबंधित विभाग को टाईम फ्रेम में निपटारे का आदेश देते हुए या कहा गया है कि कार्रवाई की सूचना आप आयोग को दें । अगर ऐसा नहीं होता है तो आयोग अपने अधिकारों का प्रयोग करेगी

बाईंट - प्रियंक , कानूनगो , अध्यक्ष , राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग , भारत सरकार ।
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