दुमकाः झारखंड की उपराजधानी में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को बाल अधिकारों से उल्लंघन मामलों के निबटारे के लिए एक शिविर का आयोजन किया. इसमें भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्वयं मामलों की सुनवाई की. इसमें कुल 209 शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें 87 शिकायतों को त्वरित निराकरण का निर्देश दिया गया.
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दी जानकारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि नीति आयोग ने देश के 115 जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया है. ये वैसे जिले हैं जो विकास के मामले में पिछड़ गए. इस सूची में दुमका जिला का भी नाम शामिल है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ऐसे जिलों में बच्चों के अधिकारों के हनन मामले में खंडपीठ या शिविर के माध्यम से सुनवाई कर रहा है.
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बच्चों और उनके अभिभावकों ने रखी शिकायत
इस शिविर में बच्चों और उनके अभिभावकों ने बाल अधिकार के उल्लंघन से संबंधित शिकायतें आयोग के समक्ष रखी. इसमें कई तरह के मामले शामिल थे, जैसे बच्चों के दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिलना या प्रमाण पत्र है तो किसी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. कुछ बच्चों ने यह शिकायत की कि स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है और नामांकन का मामला भी सामने आया. कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जिसमें बच्चों के माता-पिता नहीं होने की वजह से उनके लालन-पालन की समस्या सामने थी. उन्हें बाल गृह भेजने का निर्देश हुआ.
पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामला आए जिसमें तत्काल आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया. दिव्यांगता मामले में आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि सिविल सर्जन को आदेश किया गया कि वे 15 सितम्बर को एक विशेष शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों का प्रमाण पत्र बनाए. इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग को कहा गया कि जिन बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनता उसे तुरंत पेंशन फॉर्म भरवाकर स्वीकृति दी जाए.
ऑब्जर्वेशन होम में रहने वालों की होगी उम्र जांच
अध्यक्ष ने बताया कि दुमका ऑब्जर्वेशन होम में 18 वर्ष तक लड़कों को रहना है. वहां अभी रह रहे लड़कों के उम्र की जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा और जिसकी उम्र अधिक होगी उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में प्रस्तुत किया जाएगा और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया होगी.