दुमका: देवघर मुख्य पथ की जर्जर और भयावह स्थिति और दुमका-भागलपुर मुख्य पथ पर मयूराक्षी नदी पर स्थित भूरभूरी पुल क्षतिग्रस्त होने से आम जनता त्रस्त है. हर दिन आम आदमी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. जिससे दुमका आने-जाने में डर लगने लगा है. इस संबंध में दुमका सांसद सुनील सोरेन ने बयान जारी कर कहा कि झारखंड सरकार विकास के प्रति संवेदनशील नहीं है. पुल के क्षतिग्रस्त होने से छह माह बीत जाने के बाद भी आवगामन बंद है.
वैकल्पिक मार्ग पर रोज रोज जाम लगा रहता है. उन्होंने कहा कि दुमका जिले की पहचान बेहतर सड़कें से हुआ करती थी और बिहार-बंगाल से आने-जाने वालों को यहां की बेहतर सड़क व्यवस्था की सुखद अनुभूति होती थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों में राज्य सरकार और पथ निर्माण विभाग की अदूरदर्शिता के कारण एक के बाद एक सड़कें खराब होती जा रही हैं. दुमका-भागलपुर रोड पर भुरभुरी नदी पर क्षतिग्रस्त हुए पुल पर अब तक डायवर्सन न बनना और क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मति या नवनिर्माण की अब तक किसी तरह की पहल नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है.
जनता है त्रस्त
भुरभुरी पुल को बंद किये जाने से गुहियाजोरी-रामगढ़ रोड बदहाल हो चुकी है. सड़कों की मरम्मति कराने के लिए किसी तरह की पहल करने की बजाय बैरियर लगाकर वाहनों का परिचालन बंद कराकर शासन-प्रशासन अपनी विफलता को छिपाने में लगी है. भुरभुरी पुल न बनने से वाहनों का दवाब बढ़ने से नेशनल हाइवे 114 ए पर भी बुरा असर पड़ रहा है.
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उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दुमका को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बताने वाले हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनकर इस सीट को छोड़कर यह दर्शा दिया है कि दुमका इलाके को वे केवल चुनाव के लिए कर्मभूमि मानते हैं. जन सेवा-राजनीतिक सेवा के लिए नहीं है. अगर उनको जनता के दुख-दर्द और तकलीफ का अहसास हुआ होता, तो सड़कों की आज इतनी भयावह स्थिति नहीं होती. सांसद ने बताया कि वे मुख्यमंत्री और पथ निर्माण विभाग के आप्त सचिव को पत्र लिखकर जल्द क्षतिग्रस्त भुरभुरी पुल और सड़क निर्माण कार्य शुरू करने का मांग कर चुके हैं लेकिन अब तक काम शुरू नहीं किया जा सका है.