ETV Bharat / state

दुमका: संथाल विद्रोह के नायकों को विधायक ने दी श्रद्धांजलि, सुनाई वीर शहीदों की गाथा - जामा विधायक ने सिदो-कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया

हूल दिवस के मौके पर राज्यभर में शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इस मौके पर जामा विधायक सीता सोरेन ने दुमका के कई क्षेत्रों में दौरा किया और सिदो-कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

MLA garlanded statue of Sido-Kanhu on occasion of Hul Day in dumka
सीता सोरेन
author img

By

Published : Jul 1, 2020, 3:49 AM IST

दुमका: जिले के रामगढ़ प्रखंड अंतगर्त धोबा पंचायत स्थित कुशमाहा, ढोलपाथर और ढाकोडीह में जामा विधायक सीता सोरेन ने वीर शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

हूल दिवस के मौके पर राज्यभर में शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इस मौके पर जामा विधायक सीता सोरेन ने दुमका के कई क्षेत्रों में दौरा किया और सिदो-कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. अंग्रेजी हुकूमत और अत्याचारी जमीनदारों के खिलाफ संथाली विद्रोह का प्रतीक हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानों सहित सभी वीरों को विधायक सीता सोरेन ने शत-शत नमन किया. उन्होंने कहा कि 30 जून को हूल दिवस यानी संथाल क्रांति के रूप में मनाया जाता है. इस दिन 20 हजार बलिदानियों ने अंग्रेजी हुकूमत का डटकर मुकाबला किया था. खुद अंग्रेजों ने लिखा है कि जब तक ड्रम बजता रहा, तब तक संथाल लड़ता रहा. सीता सोरेन ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में वीर शहीदों ने हार नहीं मानी.

इसे भी पढ़ें- शहीद सिदो-कान्हू के वंशज की हत्या पर बीजेपी कर रही राजनीति: रामेश्वर उरांव

हूल क्रांति की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन से काफी पहले 30 जून 1855 में हुई थी. 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने जमीन हड़पने के लिए क्रूर क्रांति अपनाई और अंग्रेजों ने इस पर मालगुजारी भत्ता लगा दिया. इसके विरोध में आदिवासियों ने सिदो-कान्हू के नेतृत्व में आंदोलन छेड़ दिया. इसे दबाने के लिए अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लगा दिया था. इसका नतीजा यह हुआ कि 20 हजार आदिवासियों ने जान गवा दिए. हूल का शाब्दिक अर्थ होता है विद्रोह. इस लिए हर साल 30 जून को हूल दिवस के रूप मनाते हैं. दुमका में इस मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां मुख्य रूप से शिवलाल मरांडी, नंदलाल राउत, छोटेलाल मंडल, नंदकिशोर साह, आप्त सचिव राकेश चौधरी, झुन्नू सिंह, राजेश गुप्ता, सुशील मुर्मू, नेपाली मंडल, ललन कुमार, चंद्रशेखर सोरेन, योगेंद्र प्रसाद साह, परमानंद पंडित, सुलेमान बास्की, रोबिन मंडल, मुकेंदर मंडल, अजीत दास, पल्टू दास, रिंकू मंडल, दीपू मंडल अंसारी, पिंकू मंडल, मदन मंडल, सुभाष मिर्धा, शिवजतन मरांडी, रामा मंडल, प्रेमचंद मंडल, संजय राय, नीरज, गीरधारी, सुमेश सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे.

दुमका: जिले के रामगढ़ प्रखंड अंतगर्त धोबा पंचायत स्थित कुशमाहा, ढोलपाथर और ढाकोडीह में जामा विधायक सीता सोरेन ने वीर शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

हूल दिवस के मौके पर राज्यभर में शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इस मौके पर जामा विधायक सीता सोरेन ने दुमका के कई क्षेत्रों में दौरा किया और सिदो-कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. अंग्रेजी हुकूमत और अत्याचारी जमीनदारों के खिलाफ संथाली विद्रोह का प्रतीक हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानों सहित सभी वीरों को विधायक सीता सोरेन ने शत-शत नमन किया. उन्होंने कहा कि 30 जून को हूल दिवस यानी संथाल क्रांति के रूप में मनाया जाता है. इस दिन 20 हजार बलिदानियों ने अंग्रेजी हुकूमत का डटकर मुकाबला किया था. खुद अंग्रेजों ने लिखा है कि जब तक ड्रम बजता रहा, तब तक संथाल लड़ता रहा. सीता सोरेन ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में वीर शहीदों ने हार नहीं मानी.

इसे भी पढ़ें- शहीद सिदो-कान्हू के वंशज की हत्या पर बीजेपी कर रही राजनीति: रामेश्वर उरांव

हूल क्रांति की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन से काफी पहले 30 जून 1855 में हुई थी. 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने जमीन हड़पने के लिए क्रूर क्रांति अपनाई और अंग्रेजों ने इस पर मालगुजारी भत्ता लगा दिया. इसके विरोध में आदिवासियों ने सिदो-कान्हू के नेतृत्व में आंदोलन छेड़ दिया. इसे दबाने के लिए अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लगा दिया था. इसका नतीजा यह हुआ कि 20 हजार आदिवासियों ने जान गवा दिए. हूल का शाब्दिक अर्थ होता है विद्रोह. इस लिए हर साल 30 जून को हूल दिवस के रूप मनाते हैं. दुमका में इस मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां मुख्य रूप से शिवलाल मरांडी, नंदलाल राउत, छोटेलाल मंडल, नंदकिशोर साह, आप्त सचिव राकेश चौधरी, झुन्नू सिंह, राजेश गुप्ता, सुशील मुर्मू, नेपाली मंडल, ललन कुमार, चंद्रशेखर सोरेन, योगेंद्र प्रसाद साह, परमानंद पंडित, सुलेमान बास्की, रोबिन मंडल, मुकेंदर मंडल, अजीत दास, पल्टू दास, रिंकू मंडल, दीपू मंडल अंसारी, पिंकू मंडल, मदन मंडल, सुभाष मिर्धा, शिवजतन मरांडी, रामा मंडल, प्रेमचंद मंडल, संजय राय, नीरज, गीरधारी, सुमेश सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे.

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.