दुमकाः जिले के सदर अस्पताल पर लगभग 15 लाख लोगों की स्वास्थ्य व्यवस्था टिकी है. इस अस्पताल में आधारभूत संरचना की काफी कमी है. न विशेषज्ञ चिकित्सक हैं और न ही आधुनिक उपकरण. इससे मरीजों का उचित इलाज नहीं हो पाता. सदर अस्पताल में कुल 28 चिकित्सक के पद स्वीकृत हैं. जिसमें 16 डॉक्टर ही पदास्थापित हैं.
बता दें की पदस्थापित विशेषक डॉक्टरों में आर्थोपेडिक्स सर्जन, आई सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक नहीं है. वहीं, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन की मशीनें भी नहीं है. जाहिर है कामचलाऊ इलाज ही यहां हो पाता है. जो गंभीर अवस्था में मरीज आते हैं, उन्हें सीधा रेफर का पुर्जा थमा दिया जाता है.
क्या कहते हैं मरीज के परिजन
अधिकांश गरीब मरीज सदर अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन जब उन्हें यहां बेहतर इलाज नहीं मिलता और रेफर कर दिया जाता है. तब मरीजों को समझ में नहीं आता कि कहां जाएं. मरीज के परिजनों का कहना है कि हम तो आए थे यहां इलाज कराने लेकिन वापस जाना पड़ रहा है. वे कहते हैं उपराजधानी का सदर अस्पताल है, व्यवस्था तो होनी ही चाहिए.
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क्या कहते हैं सदर अस्पताल के प्रबंधक
इस संबंध में दुमका सदर अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर सुदीप किस्कू ने इस बात को स्वीकारते हुए कहा कि विशेषज्ञ चिकित्सक और अन्य आधारभूत संरचना नहीं होने से काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को सारी व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पत्र लिखा गया है. जिले में निजी अस्पताल गिने-चुने हैं. जिससे सारी जिम्मेदारी सदर अस्पताल पर आ जाती है. सदर अस्पताल इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने में असफल साबित हो रहा है.