दुमका: जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहरी परिसर में गुरुवार को सलाइन और सिरप की बोतलों में आग लग गई. बोतल काफी तेज आवाज के साथ फट रहे थे. इससे अफरा तफरी का माहौल हो गया. सलाइन और सिरप के बोतलों के साथ ही वहां भारी मात्रा में टैबलेट और कैप्सूल भी जल रहे थे. इससे चारों तरफ का वातावरण काफी प्रदूषित हो गया. लोग दुर्गंध और हादसे के भय से वहां जाने से कतरा रहे हैं. इन दवाओं के जलने का सिलसिला काफी देर तक चला.
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मौके पर पहुंचे प्रखंड चिकित्सा प्रभारी: अस्पताल परिसर में दवाओं में आग लगने की जानकारी पाकर शिकारीपाड़ा के प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवानंद मिश्रा मौके पर पहुंचे. उन्होंने जानकारी दी कि यह सभी दवा वर्षों पहले एक्सपायर हो चुके हैं. इसे नष्ट करने के लिए एक निष्प्रयोजन कमिटी बनाई गई थी. उसमें यह निर्णय लिया गया था कि सभी एक्सपायरी दवाओं को एक गड्ढा खोदकर उसमें डाल दिया जाएगा और ऊपर से मिट्टी ढक दी जाएगी. इसी को लेकर काफी मात्रा में दवा को एक गड्ढे में डाला गया था, लेकिन मिट्टी डालने के पहले ही किसी असामाजिक तत्व ने उसमें आग लगा दी. उन्होंने कहा कि दवा को तो नष्ट करना ही था, पर उसे गड्ढे में डालना था. हमलोग यह पता लगा रहे हैं कि आग लगाने की करतूत किसने की है. इधर घटना की जानकारी पाकर शिकारीपाड़ा पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और छानबीन शुरू कर दी है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन: इस पूरे मामले पर दुमका के सिविल सर्जन डॉ बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो चुकी है. वह सारी दवाएं 2015-16 की हैं, जो एक्सपायर है. इस पर एक नीतिगत निर्णय लिया गया था कि इसे नष्ट करना है. उन्होंने कहा कि दवाओं में आग लगाना गलत है और यह किसी असामाजिक तत्व की करतूत है. इसके दोषियों का पता लगाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि उस अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर देवानंद मिश्रा को इस मामले में एफआईआर करने का निर्देश दिया गया है.