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पहाड़िया बटालियन की महिला आरक्षी ने मृत बच्चे को दिया जन्म, कहा- बच्चे के मौत की वजह मेरे विभागीय अधिकारी

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Published : Apr 22, 2022, 2:31 PM IST

दुमका में एक बिरहोर महिला आरक्षी की प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई. जिसमें उसने मृत बच्चे को जन्म दिया. अपनी इस दशा की जिम्मेदार वो अपने उच्च अधिकारियों को मानती है और न्याय की गुहार लगा रही है.

female constable of Pahariya Battalion
female constable of Pahariya Battalion

दुमकाः आदिम जनजाति बिरहोर के संरक्षण और उत्थान के लिए सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन सरकार के अधिकारी बिरहोर जनजाति के प्रति कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाजा आप दुमका के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती सरोज बिरहोर के आंखों के आंसूओं को देख कर लगा सकते हैं.

क्या है पूरा मामलाः दुमका के एक निजी नर्सिंग होम में सरोज बिरहोर नामक एक महिला अपने मृत बच्चे की तस्वीर को लेकर रो रही है. सरोज दुमका स्थित एसआईआरबी जिसे पहाड़िया बटालियन भी कहते हैं उसमें आरक्षी के पद पर कार्यरत हैं. प्रीमेच्योर डिलीवरी में उसके गर्भ से मृत बच्चे को डॉक्टर ने ऑपरेशन कर निकाला.

देखें पूरी खबर
सरोज़ का है कहना - मेरे बच्चे के मौत की वजह मेरे विभागीय अधिकारीः सरोज बताती हैं कि मेरे बच्चे के मौत की वजह मेरे विभाग के अधिकारी हैं. वह अपनी आपबीती सुनाते हुए कहती है कि पिछले वर्ष मेरी शादी हुई. उसके बाद मेरा गर्भ ठहरा जो कुछ कुछ ही सप्ताह में हुआ खराब हो गया. फिर कुछ ही दिन बाद दोबारा गर्भ ठहरा तो चिकित्सकों ने सावधानी से रहने की सलाह दी. इसके बाद मुझे दुमका से रांची ड्यूटी भेज दिया गया था. रांची में मेरा घर भी है और वहां मैं ड्यूटी करने के साथ-साथ लेडी डॉक्टर से इलाज भी करवा रही थी. पिछले माह एक मार्च को अधिकारियों ने मेरा रांची से दुमका के लिए कमान काट दिया. मैंने उनसे कहा कि मेरा पहले भी एक बच्चा खराब हो गया है, मैं दोबारा मां बनने वाली हूं. मेरी स्थिति काफी खराब है. मेरा सातवें माह का गर्भ है. चिकित्सक लम्बी दूरी की यात्रा करने से मना किए हुए हैं. मैंने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी उन्हें दिखाई और कहा कि कृपया मुझे 2 महीना यही रहने दे लेकिन उन्होंने एक न सुनी और कहा कि अगर आप नहीं जाइएगा तो नौकरी में खतरा हो जाएगा. नौकरी के खतरे की बात सुनकर मैं लंबी दूरी तय कर 5 मार्च को रांची से दुमका पहुंची. उसके बाद से ही मेरी स्थिति खराब रहने लगी. छह दिन पूर्व बिगड़ी सरोज की स्थितिः सरोज बताती है छह दिन पूर्व 14 मार्च को मेरी तबीयत जब बिगड़ गई तो मैं अस्पताल में भर्ती हुई. जहां डॉक्टर ने मेरे बच्चे को मृत घोषित कर दिया. ऑपरेशन कर मृत बच्चे को बाहर निकाला गया. वह कहती है कि अगर मुझे रांची से दुमका नहीं भेजा गया होता तो शायद मेरी यह स्थिति नहीं होती, मेरा बच्चा जीवित रहता. क्या कहते हैं सरोज बिरहोर के पतिः सरोज बिरहोर के पति सूरज देवगम जो राउरकेला में काम करते हैं उनका कहना है कि बच्चे आने की काफी खुशी थी लेकिन यह गम में बदल चुका है. वह कहते हैं हमें न्याय चाहिए. क्या कहते हैं चिकित्सकः सरोज का इलाज करने वाले डॉक्टर सुमन कुमार का कहना है कि सरोज की स्थिति काफी गंभीर थी. उन्होंने कहा कि केस हिस्ट्री के अनुसार पहले भी सरोज का गर्भपात हो चुका था तो उन्हें सावधानियां बरतनी थी लंबी दूरी की यात्रा करने से इन्हें बचना था.क्या कहते हैं जिले के एसपीः दुमका एसपी अंबर लकड़ा एसआईआरबी दुमका के समादेष्टा के प्रभार में हैं. हमने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि सरोज जब दुमका आई थी उसके बाद वह ठीक थी. कुछ दिन पूर्व जब इन्हें तकलीफ हुई तो एसआईआरबी के द्वारा उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. हमारे तरफ से कोताही नहीं बरती गई है.

दुमकाः आदिम जनजाति बिरहोर के संरक्षण और उत्थान के लिए सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन सरकार के अधिकारी बिरहोर जनजाति के प्रति कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाजा आप दुमका के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती सरोज बिरहोर के आंखों के आंसूओं को देख कर लगा सकते हैं.

क्या है पूरा मामलाः दुमका के एक निजी नर्सिंग होम में सरोज बिरहोर नामक एक महिला अपने मृत बच्चे की तस्वीर को लेकर रो रही है. सरोज दुमका स्थित एसआईआरबी जिसे पहाड़िया बटालियन भी कहते हैं उसमें आरक्षी के पद पर कार्यरत हैं. प्रीमेच्योर डिलीवरी में उसके गर्भ से मृत बच्चे को डॉक्टर ने ऑपरेशन कर निकाला.

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सरोज़ का है कहना - मेरे बच्चे के मौत की वजह मेरे विभागीय अधिकारीः सरोज बताती हैं कि मेरे बच्चे के मौत की वजह मेरे विभाग के अधिकारी हैं. वह अपनी आपबीती सुनाते हुए कहती है कि पिछले वर्ष मेरी शादी हुई. उसके बाद मेरा गर्भ ठहरा जो कुछ कुछ ही सप्ताह में हुआ खराब हो गया. फिर कुछ ही दिन बाद दोबारा गर्भ ठहरा तो चिकित्सकों ने सावधानी से रहने की सलाह दी. इसके बाद मुझे दुमका से रांची ड्यूटी भेज दिया गया था. रांची में मेरा घर भी है और वहां मैं ड्यूटी करने के साथ-साथ लेडी डॉक्टर से इलाज भी करवा रही थी. पिछले माह एक मार्च को अधिकारियों ने मेरा रांची से दुमका के लिए कमान काट दिया. मैंने उनसे कहा कि मेरा पहले भी एक बच्चा खराब हो गया है, मैं दोबारा मां बनने वाली हूं. मेरी स्थिति काफी खराब है. मेरा सातवें माह का गर्भ है. चिकित्सक लम्बी दूरी की यात्रा करने से मना किए हुए हैं. मैंने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी उन्हें दिखाई और कहा कि कृपया मुझे 2 महीना यही रहने दे लेकिन उन्होंने एक न सुनी और कहा कि अगर आप नहीं जाइएगा तो नौकरी में खतरा हो जाएगा. नौकरी के खतरे की बात सुनकर मैं लंबी दूरी तय कर 5 मार्च को रांची से दुमका पहुंची. उसके बाद से ही मेरी स्थिति खराब रहने लगी. छह दिन पूर्व बिगड़ी सरोज की स्थितिः सरोज बताती है छह दिन पूर्व 14 मार्च को मेरी तबीयत जब बिगड़ गई तो मैं अस्पताल में भर्ती हुई. जहां डॉक्टर ने मेरे बच्चे को मृत घोषित कर दिया. ऑपरेशन कर मृत बच्चे को बाहर निकाला गया. वह कहती है कि अगर मुझे रांची से दुमका नहीं भेजा गया होता तो शायद मेरी यह स्थिति नहीं होती, मेरा बच्चा जीवित रहता. क्या कहते हैं सरोज बिरहोर के पतिः सरोज बिरहोर के पति सूरज देवगम जो राउरकेला में काम करते हैं उनका कहना है कि बच्चे आने की काफी खुशी थी लेकिन यह गम में बदल चुका है. वह कहते हैं हमें न्याय चाहिए. क्या कहते हैं चिकित्सकः सरोज का इलाज करने वाले डॉक्टर सुमन कुमार का कहना है कि सरोज की स्थिति काफी गंभीर थी. उन्होंने कहा कि केस हिस्ट्री के अनुसार पहले भी सरोज का गर्भपात हो चुका था तो उन्हें सावधानियां बरतनी थी लंबी दूरी की यात्रा करने से इन्हें बचना था.क्या कहते हैं जिले के एसपीः दुमका एसपी अंबर लकड़ा एसआईआरबी दुमका के समादेष्टा के प्रभार में हैं. हमने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि सरोज जब दुमका आई थी उसके बाद वह ठीक थी. कुछ दिन पूर्व जब इन्हें तकलीफ हुई तो एसआईआरबी के द्वारा उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. हमारे तरफ से कोताही नहीं बरती गई है.
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