दुमकाः एक तरफ चढ़ता पारा और दूसरी ओर धरती की सतह से गायब होता पानी. गर्मी में सूखते कंठ की प्यास बुझाने के लिए इस गांव में पेयजल की माकूल व्यवस्था नहीं है. यहां के लोग कुएं का दूषित पानी पीने को मजबूर है. गांव का चापानल और जल मीनार काफी दिनों से खराब है. लेकिन अब किसी ने इन गांव वालों की फरियाद नहीं सुनी. ये हाल है दुमका के जरमुंडी प्रखंड के जामाबहियार गांव का, जहां पेयजल का घोर अभाव है.
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जरमुंडी प्रखंड के सिंहनी पंचायत के जामाबहियार गांव में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण आदिवासी बाहुल्य इस गांव के लोगों को कुआं का दूषित जल इस्तेमाल करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के चापानल खराब पड़े हुए हैं. कुछ वर्ष पूर्व शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा गांव में एक जल मीनार का निर्माण कराया गया. लेकिन यह जल मीनार मात्र कुछ ही घरों तक पानी पहुंचाने में सक्षम है बाकी लोग इस भीषण गर्मी में कुआं या अन्य जल स्रोतों का उपयोग कर रहे हैं.
जल मीनार से सभी घरों तक पानी पहुंचाने को लेकर ग्रामीणों ने कई बार ठेकेदार एवं विभाग से गुहार लगायी लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और समस्या जस की तस बनी हुई है. अभी के समय में भीषण गर्मी पड़ रही है और ऐसे में ग्रामीण महिलाएं गांव से दूर स्थित कुएं के जल को पीने के पानी के रूप में उपयोग कर रही है जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. लोगों ने जल्द से जल्द शुद्ध पेयजल की समुचित व्यवस्था कराने की मांग की है.
ग्राम प्रधान जयनाथ दास ने बताया कि उनके गांव में ठेकेदार द्वारा पेयजल के लिए जल मीनार तो बना दिया लेकिन जल मीनार में जल का कोई व्यवस्था नहीं किया. जल मीनार सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. गांव में 1-2 चापानल है, वह भी खराब है जिससे उनके गांव में पेयजल की समस्या काफी है. वहीं ग्रामीण महिला ने बताया कि मजबूरी में वो लोग कुएं का दूषित जल पीने के लिए उपयोग करते हैं. क्या करें चापानल खराब है और जल मीनार में पानी आता ही नहीं है, इसलिए हम लोग कुएं का दूषित जल पीते हैं.
लेकिन दूषित पानी पीने से बीमारी का खतरा बना रहता है. आलम ऐसा है कि दूषित जल पीकर कई बच्चे बीमार भी हो चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यहां लाखों की लागत से जल मीनार तो बना लेकिन विभाग द्वारा इसका रखरखाव समुचित ढंग से नहीं की गयी, जिसके कारण आज जल मीनार सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुई है. पानी को लेकर ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के प्रति काफी रोष देखा जा रहा है.