दुमका: जिले के रामगढ़ प्रखंड में 11 वर्ष पूर्व गरीबों को मिलने वाले इंदिरा आवास के कागजात को गायब कर उसकी राशि को हड़पने के आरोपी लिपिक मो. अशरफ अली को दुमका सिविल कोर्ट ने तीन साल की सज़ा के साथ सरकारी खजाने में दस लाख रुपये जमा करने का आदेश दिया है. पैसे की राशि जमा नहीं करने पर आरोपी को छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.
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क्या है पूरा मामला: दुमका सिविल कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी विजय कुमार यादव की अदालत ने इंदिरा आवास योजना का अभिलेख गायब करने और बिचौलियों से मिलकर लाभुकों की राशि का बंदरबांट करने से संबंधित 11 साल पुराने मामले में दोषी सिद्ध एक लिपिक मो अशरफ अली को दस लाख रुपये सरकारी कोष में जमा करने के साथ तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनायी है.
पूर्व बीडीओ ने की थी प्राथमिकी: अदालत में मंगलवार को रामगढ़ थाना कांड संख्या 87/2012 से संबंधित मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की ओर से बहस बाद भादवि की धारा 409 के तहत दोषी सिद्ध आरोपी रामगढ़ प्रखंड के लिपिक मो. अशरफ अली को तीन साल के कारावास की सजा सुनायी. साथ ही मुआवजा के तौर पर 10 लाख रुपये सरकारी कोष में जमा करने का आदेश दिया है.
अशरफ के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी: सरकार की ओर से मामले में सहायक लोक अभियोजक खुशबुद्दीन अली ने बहस में हिस्सा लिया और छह गवाह पेश किये. मिली जानकारी के अनुसार रामगढ़ के पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी ज्ञान शंकर जायसवाल के लिखित शिकायत पर रामगढ़ थाना में 11 जुलाई 2012 को भादवि की धारा 409, 467, 468, 471 और 420 के तहत रामगढ़ प्रखंड के लिपिक, बिहार के पूर्वी चम्पारण निवासी मो. अशरफ अली के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
दर्ज प्राथमिकी में सूचक तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा समीक्षा के दौरान उक्त नामजद सरकारी कर्मी पर इंदिरा आवास योजना से संबंधित 380 अभिलेखों को गायब करने तथा बिचौलियों की मिलीभगत से योजना का भुगतान दिखाकर सरकारी राशि का बंदरबांट करने का आरोप लगाया गया था.