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मानदेय मांगा तो नौकरी से हटा दिया, फफक कर दिव्यांग ने सुनाई आपबीती - राज्यपाल रमेश बैस

कैमरे पर मुस्कुराते चेहरे की सेल्फी तो बहुत देखी होगी. हम आपको दिखा रहे हैं कैमरे पर फफकते दिव्यांग शिक्षक की तस्वीर, जिसकी पुकार बहरे सिस्टम तक नहीं पहुंच पा रही है. जहां मानदेय मांगने पर सिदो कान्हू विश्वविद्यालय में घंटी आधारित शिक्षक के पद से ही हटा दिया गया. राजभवन के पास ही शिक्षक धरना दे रहा है लेकिन राज्य के प्रथम नागरिक का दिल भी नहीं पसीज रहा है. पढ़ें रिपोर्ट

Demonstration of dismiss bell based teacher of Sido Kanhu Murmu University near Ranchi Raj Bhavan
सिदो कान्हू विश्वविद्यालय में घंटी आधारित शिक्षक
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Published : May 4, 2022, 5:05 PM IST

रांचीः झारखंड में यूजीसी नेट क्वालीफाई दिव्यांग कैमरा देखते ही रो पड़ा. इसकी पीड़ा जानने की कोशिश की गई तो मर्माहत करने वाली कहानी सामने आई. यह वाकया रांची राजभवन के समीप का है. जहां युवक बैठकर न्याय की गुहार लगा रहा है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

ये भी पढ़ें-झारखंड की स्मिता ने अपने चट्टानी इरादों से बदली Maid और Mad की पहचान

दरअसल, 70 प्रतिशत दिव्यांग राजभवन के पास न्याय की गुहार लेकर बैठा है. वह हाथ में तख्तियां लिए धूप-बारिश की चिंता किए बगैर अकेले धरना दे रहे है. संभवतः उसकी पीड़ा से मौसम तक द्रवित है और रांची में मौसम का मिजाज बिगड़ गया है. लेकिन हुक्मरानों की संवेदना नहीं जग रही है. झारखंड के इस दिव्यांग को रोजगार देकर कुछ समय बाद उसे छीन लिया गया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है.

क्या यही है परंपरा? अब इंसाफ की आस में युवक राजभवन पहुंचा है. लेकिन राज्य के प्रथम नागरिक की दहलीज भी वह पार नहीं कर रहा है. शायद यह वह युग नहीं है, जिसमें आर्त पुकार सुनकर श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़कर सुदामा से मिलने चले आते हैं और दो मूठी तंदूल के बदले मित्र को दो लोक दे देते हैं. अब नाम बदल गया है, आर्त पुकार सुदामा नहीं राजेश की है, तो क्या हुआ पुकार तो वही है जो राज्य के प्रथम नागरिक तक नहीं पहुंच रही है. लेकिन यह परंपरा राज्यपाल भी तो जानते ही होंगे. अब 'सुदामा' जैसे अनाथ हैं तभी तो राजेश की पुकार हाकिमों की दर से टकराकर उस तक ही लौट आती है. न्याय की गुहार लगा रहे दिव्यांग की आवाज व्याकुल है लेकिन तंत्र बेपरवाह.

सुनिए राजेश की कहानी

शिकायत नहीं आई रासः दरअसल, मामला सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका से जुड़ा है. राजेश कुमार इसी विश्वविद्यालय में घंटी आधारित शिक्षक के रूप में नियुक्त थे. वे पीजी के विद्यार्थियों को अर्थशास्त्र विषय पढ़ाते थे. विश्वविद्यालय में उन्हें मौखिक रूप से ही नियुक्त किया गया था. लेकिन कई माह बाद भी मानदेय नहीं मिला. इस पर राजेश ने राजभवन में पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई. शिकायत दर्ज हुई तो प्रतिक्रिया भी होनी थी, क्योंकि शिक्षा के मंदिरों में अब पहले जैसे लोग नहीं हैं. जिनका न्याय और नैतिक मूल्यों पर भरोसा है. नतीजा यह रहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन्हें पद से हटा दिया. अब न्याय के लिए वे राजभवन से इंसाफ की आस लिए बैठे हैं. लेकिन राजभवन के दरवाजे और खिड़कियां भी इतनी मजबूत हैं कि सामने बिलख रहे लोगों की कराह राजभवन में रहने वालों तक नहीं पहुंच रही है.

मानदेय मांगने पर नौकरी से हटायाः बताते चलें कि राजेश कुमार ने अर्थशास्त्र में पीजी और यूजीसी नेट क्वालीफाई करने के बाद जनवरी 2020 से लेकर अप्रैल महीने तक घंटी आधारित शिक्षक के तौर पर पीजी के विद्यार्थियों को पढ़ाया था. 70 फीसदी दिव्यांग राजेश कुमार को मानदेय मांगने पर नौकरी से ही हटा दिया गया. अपनी समस्या को लेकर राजेश ने हाल ही में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करने की भी कोशिश की थी. लेकिन उस दौरान उन्हें पुलिस की ओर से दीक्षांत समारोह स्थल से हटा दिया गया था और राज्यपाल के जाने के बाद उसे मुक्त किया गया था और उसके बाद से ही राजेश की परेशानियां और बढ़ गईं हैं .सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के समीप उन्होंने आमरण अनशन भी किया .लेकिन प्रबंधन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

बिलखते दिव्यांग की पुकार उठा रही हुक्मरानों पर सवालः अंततः वो रांची पहुंचे और राजभवन के समक्ष अकेले ही धरने पर बैठ गए. मामले को लेकर वह राजभवन में ज्ञापन देना चाहते हैं. लेकिन वह मजबूर हैं उनको राजभवन में दाखिल होने की इजाजत नहीं है. ईटीवी भारत के टीम के साथ बातचीत के दौरान वह बिलखते हुए नजर आए .बिलखते हुए ही उन्होंने पूरी घटना की जानकारी हमारी टीम को दी है.

रांचीः झारखंड में यूजीसी नेट क्वालीफाई दिव्यांग कैमरा देखते ही रो पड़ा. इसकी पीड़ा जानने की कोशिश की गई तो मर्माहत करने वाली कहानी सामने आई. यह वाकया रांची राजभवन के समीप का है. जहां युवक बैठकर न्याय की गुहार लगा रहा है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

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दरअसल, 70 प्रतिशत दिव्यांग राजभवन के पास न्याय की गुहार लेकर बैठा है. वह हाथ में तख्तियां लिए धूप-बारिश की चिंता किए बगैर अकेले धरना दे रहे है. संभवतः उसकी पीड़ा से मौसम तक द्रवित है और रांची में मौसम का मिजाज बिगड़ गया है. लेकिन हुक्मरानों की संवेदना नहीं जग रही है. झारखंड के इस दिव्यांग को रोजगार देकर कुछ समय बाद उसे छीन लिया गया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है.

क्या यही है परंपरा? अब इंसाफ की आस में युवक राजभवन पहुंचा है. लेकिन राज्य के प्रथम नागरिक की दहलीज भी वह पार नहीं कर रहा है. शायद यह वह युग नहीं है, जिसमें आर्त पुकार सुनकर श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़कर सुदामा से मिलने चले आते हैं और दो मूठी तंदूल के बदले मित्र को दो लोक दे देते हैं. अब नाम बदल गया है, आर्त पुकार सुदामा नहीं राजेश की है, तो क्या हुआ पुकार तो वही है जो राज्य के प्रथम नागरिक तक नहीं पहुंच रही है. लेकिन यह परंपरा राज्यपाल भी तो जानते ही होंगे. अब 'सुदामा' जैसे अनाथ हैं तभी तो राजेश की पुकार हाकिमों की दर से टकराकर उस तक ही लौट आती है. न्याय की गुहार लगा रहे दिव्यांग की आवाज व्याकुल है लेकिन तंत्र बेपरवाह.

सुनिए राजेश की कहानी

शिकायत नहीं आई रासः दरअसल, मामला सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका से जुड़ा है. राजेश कुमार इसी विश्वविद्यालय में घंटी आधारित शिक्षक के रूप में नियुक्त थे. वे पीजी के विद्यार्थियों को अर्थशास्त्र विषय पढ़ाते थे. विश्वविद्यालय में उन्हें मौखिक रूप से ही नियुक्त किया गया था. लेकिन कई माह बाद भी मानदेय नहीं मिला. इस पर राजेश ने राजभवन में पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई. शिकायत दर्ज हुई तो प्रतिक्रिया भी होनी थी, क्योंकि शिक्षा के मंदिरों में अब पहले जैसे लोग नहीं हैं. जिनका न्याय और नैतिक मूल्यों पर भरोसा है. नतीजा यह रहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन्हें पद से हटा दिया. अब न्याय के लिए वे राजभवन से इंसाफ की आस लिए बैठे हैं. लेकिन राजभवन के दरवाजे और खिड़कियां भी इतनी मजबूत हैं कि सामने बिलख रहे लोगों की कराह राजभवन में रहने वालों तक नहीं पहुंच रही है.

मानदेय मांगने पर नौकरी से हटायाः बताते चलें कि राजेश कुमार ने अर्थशास्त्र में पीजी और यूजीसी नेट क्वालीफाई करने के बाद जनवरी 2020 से लेकर अप्रैल महीने तक घंटी आधारित शिक्षक के तौर पर पीजी के विद्यार्थियों को पढ़ाया था. 70 फीसदी दिव्यांग राजेश कुमार को मानदेय मांगने पर नौकरी से ही हटा दिया गया. अपनी समस्या को लेकर राजेश ने हाल ही में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करने की भी कोशिश की थी. लेकिन उस दौरान उन्हें पुलिस की ओर से दीक्षांत समारोह स्थल से हटा दिया गया था और राज्यपाल के जाने के बाद उसे मुक्त किया गया था और उसके बाद से ही राजेश की परेशानियां और बढ़ गईं हैं .सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के समीप उन्होंने आमरण अनशन भी किया .लेकिन प्रबंधन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

बिलखते दिव्यांग की पुकार उठा रही हुक्मरानों पर सवालः अंततः वो रांची पहुंचे और राजभवन के समक्ष अकेले ही धरने पर बैठ गए. मामले को लेकर वह राजभवन में ज्ञापन देना चाहते हैं. लेकिन वह मजबूर हैं उनको राजभवन में दाखिल होने की इजाजत नहीं है. ईटीवी भारत के टीम के साथ बातचीत के दौरान वह बिलखते हुए नजर आए .बिलखते हुए ही उन्होंने पूरी घटना की जानकारी हमारी टीम को दी है.

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