दुमका: जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के मलूटी गांव स्थित जिला परिषद के सर्किट हाउस में आज पश्चिम बंगाल और झारखंड के पुलिस पदाधिकारियों की बैठक हुई. इस बैठक में दुमका एसडीपीओ नुर मुस्तफा, पाकुड़ के महेशपुर एसडोपीओ नवनीत एंथोनी हेम्ब्रम और बीरभूम जिला के रामपुरहाट के एसडीपीओ सयान अहमद शामिल हुए. इसके साथ ही महेशपुर, मुरारोई, नलहटी, रामपुरहाट, शिकारीपाड़ा के थाना प्रभारी भी मौजूद रहे.
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कौशिकी अमावस्या मेला में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक
इस बैठक का मुद्दा यह था कि आगामी 3 से 8 सितंबर तक भादो माह में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कौशिकी अमावस्या मेला जिसका आयोजन प्रसिद्ध तीर्थ स्थल तारापीठ में होता है, उसमें श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है. प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं से अपील की जाएगी कि आप न आएं. कोरोना काल की वजह से भीड़ न लगाएं. दरअसल, तारापीठ में आयोजित होने वाले इस मेले में पश्चिम बंगाल और झारखंड के सीमावर्ती पाकुड़ और दुमका जिले से काफी संख्या में श्रद्धालु तारापीठ पहुंचते हैं. दुमका की सीमा से तारापीठ मन्दिर की दूरी महज 18 किलोमीटर है. इसलिए इस क्षेत्र के लोगों की काफी आस्था इस मंदिर के प्रति है. श्रद्धालु तारापीठ न जाएं इसके लिए पश्चिम बंगाल के साथ-साथ झारखंड पुलिस भी नजर रखेगी. जानकारी के मुताबिक 3 से 8 सितंबर तक तारापीठ के होटल और लॉज भी बंद रहेंगे.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए दुमका एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने कहा कि जिस तरह से देवघर-बासुकीनाथ में श्रावणी मेला का आयोजन नहीं किया गया, उसी तरह कौशिकी अमावस्या मेला का आयोजन नहीं होगा. श्रद्धालु नहीं पहुंचें, हम लोग यह उनसे अपील कर रहे हैं. जब स्थिति सामान्य होगी तब वह आराम से आएं. इस बैठक में तारापीठ में आयोजित होने वाले मेले के अतिरिक्त सुरक्षा संबंधित कई मामलों पर गहन विचार विमर्श किया गया. इस बात पर सहमति बनी थी कई अपराधी जो अपराध करके राज्य की सीमा पार कर जाते हैं, उन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और दोनों राज्यों की पुलिस एक दूसरे का परस्पर सहयोग कर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए काम करेंगे.