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बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो गए सरकारी अस्पताल, सरकार बना कर भूल गई चलाना!

दुमका में लाखों की लागत से अस्पताल भवन तो बना दिया गया है लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी लोगों का इलाज मय्यसर नहीं है. छह साल पहले गुहियाजोरी गांव में 15 लाख और धावडीह गांव में 25 लाख की लागत से स्वास्थ्य केन्द्र बना. लेकिन इनमें इलाज शुरू तो नहीं हुआ पर ये अब जर्जर होने लगा है.

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Published : Apr 7, 2019, 1:09 PM IST

दुमका: जिले में छह साल पहले गुहियाजोरी गांव में 15 लाख और धावडीह गांव में 25 लाख की लागत से स्वास्थ्य केन्द्र बना. लेकिन इससे लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ. गुहियाजोरी गांव का अस्पताल जो निर्माण के कुछ दिन तो चला, पर फिर बंद हो गया. दूसरी तरफ धावडीह गांव का अस्पताल तो आज तक शुरू ही नहीं हुआ. ये नया अस्पताल बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो गया.

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ये भी पढ़ें-लालू यादव से मिलने पहुंचे तेजस्वी यादव, सुरक्षाकर्मियों ने मिलने से किया मना

ग्रामीणों ने बताया कि जब गांव में अस्पताल बना, तो उन्हें उम्मीद जगी कि अब इलाज की सुविधा मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उनका ये इंतजार खत्म नहीं हुआ और अब ये चाहते है कि बस किसी तरह अस्पताल शुरू हो जाए.

इस संबंध में दुमका के सिविल सर्जन डॉ अनन्त कुमार झा ने मैनपावर की कमी बताई. उन्होंने कहा कि वो पता करके अस्पताल शुरू करवाएंगे.

बहरहाल भले ही सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के तमाम दावे करे लेकिन उनके दावों की जमीनी हकीकत इन तस्वीरों से साफ हो जाती है. ऐसा लगता है सरकार भवनों का निर्माण तो करा देती है मगर भूल जाती है कि इन्हें जनता के उपयोग के लिए चलाना भी है.

दुमका: जिले में छह साल पहले गुहियाजोरी गांव में 15 लाख और धावडीह गांव में 25 लाख की लागत से स्वास्थ्य केन्द्र बना. लेकिन इससे लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ. गुहियाजोरी गांव का अस्पताल जो निर्माण के कुछ दिन तो चला, पर फिर बंद हो गया. दूसरी तरफ धावडीह गांव का अस्पताल तो आज तक शुरू ही नहीं हुआ. ये नया अस्पताल बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो गया.

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ग्रामीणों ने बताया कि जब गांव में अस्पताल बना, तो उन्हें उम्मीद जगी कि अब इलाज की सुविधा मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उनका ये इंतजार खत्म नहीं हुआ और अब ये चाहते है कि बस किसी तरह अस्पताल शुरू हो जाए.

इस संबंध में दुमका के सिविल सर्जन डॉ अनन्त कुमार झा ने मैनपावर की कमी बताई. उन्होंने कहा कि वो पता करके अस्पताल शुरू करवाएंगे.

बहरहाल भले ही सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के तमाम दावे करे लेकिन उनके दावों की जमीनी हकीकत इन तस्वीरों से साफ हो जाती है. ऐसा लगता है सरकार भवनों का निर्माण तो करा देती है मगर भूल जाती है कि इन्हें जनता के उपयोग के लिए चलाना भी है.

Intro:दुमका -
स्वास्थ्य विभाग सरकारी राशि का किस तरह दुरुपयोग कर रहा है इसे देखना है तो आप दुमका आइये । यहाँ लाखों की लागत अस्पताल भवन तो बना दिया गया है लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी लोगों का ईलाज मय्यसर नहीं है । आज हम आपको दुमका के दो ग्रामीण अस्पताल को दिखाते हैं । जिसका निर्माण छह वर्ष पहले हुआ लेकिन इनमें ईलाज तो शुरू नहीं हुआ पर अब जर्जर होने लगा है । दुमका से मनोज की खास रिपोर्ट ।


Body:सदर प्रखंड के गुहियाजोरी और धावाडीह गांव में है अस्पताल ।
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दुमका जिला के छह वर्ष पहले सदर प्रखंड के गुहियाजोरी गांव में 15 लाख और धावडीह गांव में 25 लाख की लागत से स्वास्थ्य केन्द्र बना । धावडीह गांव का अस्पताल तो आज तक चालू ही नहीं हुआ । जबकि असामाजिक तत्वों ने उसका खिड़की किवाड़ तक तोड़ डाला है । नया अस्पताल बिना इस्तेमाल के जर्जर हो गया । दूसरा गुहियाजोरी गांव का अस्पताल जो निर्माण के कुछ दिन चला । लेकिन उसके बाद बन्द हो गया ।

ग्रामीणों का है कहना - उम्मीदे हुई चकनाचूर।
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हमने दोनों गांव के ग्रामीणों से बात की । उन्होंने बताया जब गांव में अस्पताल बना तो उम्मीद थी अब ईलाज की सुविधा मिलेगी । लेकिन ऐसा हुआ नहीं । ग्रामीण चाहते हैं यह चालू हो जाये ।


Conclusion:क्या कहते हैं सिविल सर्जन ।
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इस संबंध में जब हमने दुमका के सिविल सर्जन डॉ अनन्त कुमार झा से बात की तो उन्होंने बताया कि मेनपावर की कमी रहती है । हम पता करके अस्पताल कैसे चालू हो इसकी व्यवस्था करते हैं ।

डॉ अनन्त कुमार झा , सीएस , दुमका

फाईनल वीओ - आखिरकार क्या वजह है कि जिस उद्देश्य से लाखों के भवन बनते हैं वह काम क्यों नहीं करता । अगर उपयोग में नहीं लेना था तो निर्माण क्यों हुआ उसमे जनता की गाढ़ी कमाई क्यों खर्च हुई ।

पीटीसी मनोज दुमका
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