दुमका: जिले में छह साल पहले गुहियाजोरी गांव में 15 लाख और धावडीह गांव में 25 लाख की लागत से स्वास्थ्य केन्द्र बना. लेकिन इससे लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ. गुहियाजोरी गांव का अस्पताल जो निर्माण के कुछ दिन तो चला, पर फिर बंद हो गया. दूसरी तरफ धावडीह गांव का अस्पताल तो आज तक शुरू ही नहीं हुआ. ये नया अस्पताल बिना इस्तेमाल के ही जर्जर हो गया.
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ग्रामीणों ने बताया कि जब गांव में अस्पताल बना, तो उन्हें उम्मीद जगी कि अब इलाज की सुविधा मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उनका ये इंतजार खत्म नहीं हुआ और अब ये चाहते है कि बस किसी तरह अस्पताल शुरू हो जाए.
इस संबंध में दुमका के सिविल सर्जन डॉ अनन्त कुमार झा ने मैनपावर की कमी बताई. उन्होंने कहा कि वो पता करके अस्पताल शुरू करवाएंगे.
बहरहाल भले ही सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के तमाम दावे करे लेकिन उनके दावों की जमीनी हकीकत इन तस्वीरों से साफ हो जाती है. ऐसा लगता है सरकार भवनों का निर्माण तो करा देती है मगर भूल जाती है कि इन्हें जनता के उपयोग के लिए चलाना भी है.