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दुमका के हॉस्टल और लॉज में फंसे विद्यार्थियों की मदद कर रहा प्रशासन, खाने-पीने की उठाई जिम्मेदारी

दुमका जिले में लगभग एक दर्जन छात्रावास या लॉज में रहकर पढ़ाई करने वाले सैकड़ों छात्र-छात्राएं लॉकडाउन के दौरान अपने घर नहीं जा सके. इनमें से अधिकांश छात्र-छात्राओं के पास अब न तो रुपये हैं और न ही राशन.

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Published : Apr 13, 2020, 10:10 PM IST

Administration helping students trapped in Dumka hostels and lodges
हॉस्टल और लॉज में फंसे विद्यार्थियों की मदद कर रहा प्रशासन

दुमका: छात्र-छात्राओं के पास सब कुछ समाप्त होने के बाद उनके समक्ष भोजन की विकराल समस्या सामने आ गई. ऐसे में जिला प्रशासन ने छात्र-छात्राओं को तैयार भोजन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. हॉस्टल या लॉज तक भोजन पहुंचाने की जिम्मेदारी सामाजिक संस्थानों ने ली है. वह निःशुल्क सेवा दे रहे हैं.

देखें पूरी खबर

इस बारे में छात्राओं से बात की तो उन्होंने कहा कि अचानक सब कुछ बंद हो जाने की वजह से उन्हें यहां रहना पड़ा है. लेकिन प्रशासन के द्वारा भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. उनका कहना है कि वह इसी भोजन की वजह से वे यहां रह पा रही हैं. जिला प्रशासन एक जगह में भोजन बनाकर पैकिंग कर दे रहा है, लेकिन उस भोजन को घूम-घूम कर छात्रावास तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सामाजिक संस्थाओं ने ली है.

ऐसे ही एक सामाजिक संस्था के सदस्य ने बताया कि हमें काफी खुशी हो रही है कि यह नेक काम हम कर रहे हैं. सारा काम निशुल्क है. छात्रावास तक भोजन पहुंचाने में जिला प्रशासन ने काफी संवेदनशीलता दिखाई है. दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी कहती हैं कि बहुत सारे स्टूडेंट ऐसे हैं जिनके पास पैसे नहीं हैं. हमारा उद्देश्य एक ही है कि कोई भूखा नहीं रहे.

दुमका: छात्र-छात्राओं के पास सब कुछ समाप्त होने के बाद उनके समक्ष भोजन की विकराल समस्या सामने आ गई. ऐसे में जिला प्रशासन ने छात्र-छात्राओं को तैयार भोजन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. हॉस्टल या लॉज तक भोजन पहुंचाने की जिम्मेदारी सामाजिक संस्थानों ने ली है. वह निःशुल्क सेवा दे रहे हैं.

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इस बारे में छात्राओं से बात की तो उन्होंने कहा कि अचानक सब कुछ बंद हो जाने की वजह से उन्हें यहां रहना पड़ा है. लेकिन प्रशासन के द्वारा भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. उनका कहना है कि वह इसी भोजन की वजह से वे यहां रह पा रही हैं. जिला प्रशासन एक जगह में भोजन बनाकर पैकिंग कर दे रहा है, लेकिन उस भोजन को घूम-घूम कर छात्रावास तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सामाजिक संस्थाओं ने ली है.

ऐसे ही एक सामाजिक संस्था के सदस्य ने बताया कि हमें काफी खुशी हो रही है कि यह नेक काम हम कर रहे हैं. सारा काम निशुल्क है. छात्रावास तक भोजन पहुंचाने में जिला प्रशासन ने काफी संवेदनशीलता दिखाई है. दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी कहती हैं कि बहुत सारे स्टूडेंट ऐसे हैं जिनके पास पैसे नहीं हैं. हमारा उद्देश्य एक ही है कि कोई भूखा नहीं रहे.

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