धनबाद: कोयलांचल के पंचेत डैम के बगल में नेहरू पार्क में लोग नए साल की मस्ती के लिए जुटते हैं. इस पार्क को नेहरू पार्क के साथ-साथ स्थानीय लोग बुधनी पार्क भी कहते हैं, क्योंकि इसी पार्क से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बुधनी मंझिआइन के हाथों डैम का उद्घाटन करवाया था. इसी पार्क के ऊपर छतरीनुमा आकार के नीचे नेहरू जी के साथ बुधनी ने डैम के उद्घाटन का बटन दबाया था.
नेहरू ने एक आदिवासी महिला से करवाया था उद्घाटन
25 दिसंबर से लेकर 25 जनवरी तक यहां पर लगभग 1 महीने मेला चलता है. झारखंड के धनबाद के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के बॉर्डर इलाके में होने के कारण इस पार्क में पश्चिम बंगाल से भी काफी संख्या में लोग पिकनिक का आनंद उठाने के लिए आते हैं. इस नेहरू पार्क की कहानी भी अजीबोगरीब है. इसी पार्क से 6 दिसंबर 1959 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु डैम का उद्घाटन किया था.
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समाज से बेदखल
यहां पर उन्होंने एक स्थानीय आदिवासी युवती बुधनी मंझिआइन से डैम का उद्घाटन करवाया था. इस दौरान बुधनी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को फूलों की माला पहना दी थी. उस माला पहना देने के कारण आदिवासी समाज ने बुधनी को समाज से बेदखल कर दिया था. आदिवासी समुदाय का मानना था कि माला पहना देने से बुधनी की शादी पंडित जवाहरलाल नेहरू से हो गई थी. काफी दिनों तक बुधनी गायब रही. बात जब दिल्ली तक पहुंची तो बुधनी को खोजकर डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) में नौकरी दी गई. आज बुधनी रिटायर भी हो चुकी है और पंचेत इलाके में अपने परिवार के लोगों के साथ गुजर बसर कर रही है. उम्र अधिक हो जाने के कारण वह उन चीजों को काफी हद तक भूल चुकी है और मीडिया के सामने भी आना पसंद नहीं करती है.
गौरतलब है कि बुधनी को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते रहते हैं. नेहरू पार्क में जितने लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं. उसमें से अधिकांश लोग ठीक बगल में बुधनी के घर भी बुधनी को देखने के लिए चले जाते हैं, जिससे बुधनी परेशान रहती है. प्रत्येक दिन इस तरह लोगों से परेशान रहने के कारण बुधनी अब मीडिया के सामने आना पसंद नहीं करती है.