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अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी संगीता मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर, मजदूरी कर चला रहीं घर - अंतरराष्ट्रीय स्तर फुटबॉल चैंपियनशिप

धनबाद की रहने वाली अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता सोरेन के घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. वो मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. संगीता ने साल 2018-19 में अंडर 17 में भूटान और थाईलैंड में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर फुटबॉल चैंपियनशिप में खेलकर झारखंड का मान बढ़ाया था.

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अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संगीता
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Published : May 17, 2021, 10:55 PM IST

Updated : May 18, 2021, 10:01 PM IST

धनबाद: अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता सोरेन का परिवार मुफलिसी की जिंदगी जीने को विवश है. संगीता के पिता दुबे सोरेन नेत्रहीन हैं और भाई बाबू चंद सोरेन बिल्डिंग निर्माण में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. भाई को कभी काम मिलता है तो कभी नहीं. नतीजा परिवार की दो जून की रोटी के जुगाड़ के लिए संगीता को ईंट भट्ठा में काम करना पड़ रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी
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बाघमारा प्रखंड के रेंगनी पंचायत के बांसमुड़ी गांव की रहनेवाली संगीता ने साल 2018-19 में अंडर 17 में भूटान और थाईलैंड में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर फुटबॉल चैंपियन में खेलकर झारखंड का मान बढ़ाया. संगीता ने चैंपियनसशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल की थी, लेकिन अब उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. संगीता के पिता की दस साल पहले आंख की रौशनी चली गई. उन्हें आंखों से कुछ भी दिखाई नहीं देता है. भाई भी दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. उन्हें बिल्डिंग निर्माण में लगातार काम नहीं मिल पाता है. लॉकडाउन में तो उनका काम पूरी तरह से बंद है. परिवार के भरण पोषण के लिए संगीता भी जिम्मेदारी उठा रही हैं.

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टीम के साथ संगीता

संगीता आज भी करती हैं फुटबॉल खेलने की प्रैक्टिस

संगीता कहती हैं कि परिवार को देखना भी जरूरी है, इसलिए ईंट भट्ठा में दिहाड़ी मजदूरी करती हूं, किसी तरह घर का गुजर बसर चल रहा है. इन सभी कठिनाइयों के बावजूद संगीता अपनी फुटबॉल की प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़ती हैं. सुबह साढ़े 6 बजे उठकर प्रतिदिन वह मैदान में प्रैक्टिस करती हैं. संगीता का कहना है कि सरकार से हम क्या मांग करें, सरकार को खुद ही मेरे बारे में सोचना चाहिए, जिन आदिवासियों के कल्याण के लिए झारखंड का गठन हुआ है, उस उद्देश्य से ही सरकार भटक चुकी है, पूर्व में सरकार से कई बार मदद मांगी गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. संगीता ने चार महीने पहले सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट कर मदद मांगी थी, जिसपर संज्ञान सीएम संज्ञान लेते हुए मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक संगीता को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है.

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अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में संगीता
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संगीता ने गांव की लड़कियों के साथ बनाई फुटबॉल टीम
संगीता बताती हैं कि गांव में लड़के फुटबॉल खेला करते थे. ग्राउंड के बाहर वह लड़कों का खेल देखती थी. बॉल जब ग्राउंड से बाहर आता था तो उसे किक के साथ वापस ग्राउंड में भेजती थी. वो बताती हैं कि गांव के ही रविंद कुमार और सेथु कुमार दोनों भाइयों से बहुत कुछ सीखा, इसके बाद गांव की कुछ लड़कियों को मिलाकर एक टीम तैयार किया और प्रैक्टिस शुरू हो गया, इसके बाद संजय हेम्ब्रम ने बिरसा मुंडा क्लब धनबाद में मेरी एंट्री कराई, जहां से जिला और राज्य स्तर पर फुटबॉल खेलना शुरू किया.

धनबाद: अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता सोरेन का परिवार मुफलिसी की जिंदगी जीने को विवश है. संगीता के पिता दुबे सोरेन नेत्रहीन हैं और भाई बाबू चंद सोरेन बिल्डिंग निर्माण में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. भाई को कभी काम मिलता है तो कभी नहीं. नतीजा परिवार की दो जून की रोटी के जुगाड़ के लिए संगीता को ईंट भट्ठा में काम करना पड़ रहा है.

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बाघमारा प्रखंड के रेंगनी पंचायत के बांसमुड़ी गांव की रहनेवाली संगीता ने साल 2018-19 में अंडर 17 में भूटान और थाईलैंड में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर फुटबॉल चैंपियन में खेलकर झारखंड का मान बढ़ाया. संगीता ने चैंपियनसशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल की थी, लेकिन अब उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. संगीता के पिता की दस साल पहले आंख की रौशनी चली गई. उन्हें आंखों से कुछ भी दिखाई नहीं देता है. भाई भी दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. उन्हें बिल्डिंग निर्माण में लगातार काम नहीं मिल पाता है. लॉकडाउन में तो उनका काम पूरी तरह से बंद है. परिवार के भरण पोषण के लिए संगीता भी जिम्मेदारी उठा रही हैं.

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टीम के साथ संगीता

संगीता आज भी करती हैं फुटबॉल खेलने की प्रैक्टिस

संगीता कहती हैं कि परिवार को देखना भी जरूरी है, इसलिए ईंट भट्ठा में दिहाड़ी मजदूरी करती हूं, किसी तरह घर का गुजर बसर चल रहा है. इन सभी कठिनाइयों के बावजूद संगीता अपनी फुटबॉल की प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़ती हैं. सुबह साढ़े 6 बजे उठकर प्रतिदिन वह मैदान में प्रैक्टिस करती हैं. संगीता का कहना है कि सरकार से हम क्या मांग करें, सरकार को खुद ही मेरे बारे में सोचना चाहिए, जिन आदिवासियों के कल्याण के लिए झारखंड का गठन हुआ है, उस उद्देश्य से ही सरकार भटक चुकी है, पूर्व में सरकार से कई बार मदद मांगी गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. संगीता ने चार महीने पहले सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट कर मदद मांगी थी, जिसपर संज्ञान सीएम संज्ञान लेते हुए मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक संगीता को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है.

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अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में संगीता
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संगीता ने गांव की लड़कियों के साथ बनाई फुटबॉल टीम
संगीता बताती हैं कि गांव में लड़के फुटबॉल खेला करते थे. ग्राउंड के बाहर वह लड़कों का खेल देखती थी. बॉल जब ग्राउंड से बाहर आता था तो उसे किक के साथ वापस ग्राउंड में भेजती थी. वो बताती हैं कि गांव के ही रविंद कुमार और सेथु कुमार दोनों भाइयों से बहुत कुछ सीखा, इसके बाद गांव की कुछ लड़कियों को मिलाकर एक टीम तैयार किया और प्रैक्टिस शुरू हो गया, इसके बाद संजय हेम्ब्रम ने बिरसा मुंडा क्लब धनबाद में मेरी एंट्री कराई, जहां से जिला और राज्य स्तर पर फुटबॉल खेलना शुरू किया.

Last Updated : May 18, 2021, 10:01 PM IST
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