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धनबाद में लगातार हो रहा बालू का अवैध खनन, प्रशासन पर लग रहा मिली भगत का आरोप

धनबाद में अवैध बालू का खनन और तस्करी लागातार जारी है (Illegal mining of sand). प्रशासन ने इस पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की है. हालांकि जिले के डीसी ने जांच की बात जरूर कही है.

Illegal mining of sand is happening continuously in Dhanbad
Illegal mining of sand is happening continuously in Dhanbad
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Published : Nov 29, 2022, 8:18 PM IST

धनबाद: कोयलांचल को कोयले के अवैध कारोबार के लिए भी जाना जाता है. झरिया की उन्नत कोयले की किस्म के कारण कोयलांचल धनबाद की पहचान होती है. इस कारण आए दिन यहां पर अवैध उत्खनन होती रहती है. इसके कारण भू-धसान जैसी घटनाएं भी सामने आती रही हैं. अवैध व्यापारियों का धंधा बदल जाता है लोगों की जान जाती रहती है, सब कुछ जस का तस चलता रहता है. धनबाद में अब बालू की चोरी भी आम होती जा रही है. बालू का अवैध खनन (Illegal mining of sand) बढ़ता जा रहा है और प्रशासन आंखे मूंद कर बैठा है.

ये भी पढ़ें: रामगढ़ में 80 ट्रैक्टर अवैध बालू जब्त, माइनिंग टास्क फोर्स की कार्रवाई

धनबाद में कोयला चोरी की बात आम है, अब अवैध कोयला कारोबारी बालू के कारोबार में लिप्त हो गए हैं. अब अवैध कोयला व्यापारियों ने अपना व्यापार बदल दिया है. वे अब नए धंधे में अपना हाथ आजमा रहे हैं, वे है पीला सोना यानी नदियों से निकलने वाली रेत, जिसे हम बालू भी कहते हैं. वैसे तो बालू का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में होता है, लेकिन इसी बालू के अवैध कारोबार से धनबाद में कई लोग धन कुबेर बन बैठे हैं. इन लोगों में माफिया और ठेकेदारों की एक लंबी कतार है. हैरानी की बात यह है कि रोजाना करोड़ों रुपये के होने वाले बालू के इस अवैध कारोबार में जिले के खनन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है.



पर्यावरण के लिहाज से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी (एनजीटी) ने जून से अक्टूबर तक बालू के खनन पर रोक लगा रखी थी, लेकिन फिर भी बालू माफियाआ लगातार बालू का खनन कर रहे हैं. धनबाद विधायक राज सिन्हा की मानें तो धनबाद में हीं नहीं बल्कि पूरे राज्य में लूट मची है. खनन विभाग कठपुतली की तरह काम कर रहा है. बालू माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ गया है कि खनन पदाधिकारी हो या प्रखंड के सीओ, छापेमारी के दौरान सभी को फजीहत झेलनी पड़ती है. इसके बावजूद इसके अभी तक न तो सरकार रोक लगा रही है और ना ही जिला प्रशासन. जबकि खनन विभाग की जिम्मेदारी खुद राज्य के मुख्यमंत्री के हाथों में है.


सच तो यह है कि सिर्फ धनबाद के बराकर और दामोदर नदी से हर दिन सैकड़ों ट्रक बालू निकाला जा रहा है. मामले ने जब तूल पकड़ लिया है तब जिले के उपायुक्त ने भी जांच की बात कही है. बालू के काले कारोबार का सच तो यह भी है कि हर दौर में चोरी छिपे बालू का अवैध कारोबार थोड़ा बहुत होता ही रहा है और छापेमारी भी होती है. अब आलम यह भी है कि खनन पदाधिकारी हो या सीओ सभी को छापेमारी में फजीहत झेलनी पड़ चुकी है. मौजूदा खनन पदाधिकारी के धनबाद आने के बाद जिस तरह बालू की तस्करी दिन दहाड़े डंके की चोट पर हो रही है उससे खनन विभाग की संलिप्तता सबसे ज्यादा जांच के दायरे में है.

धनबाद: कोयलांचल को कोयले के अवैध कारोबार के लिए भी जाना जाता है. झरिया की उन्नत कोयले की किस्म के कारण कोयलांचल धनबाद की पहचान होती है. इस कारण आए दिन यहां पर अवैध उत्खनन होती रहती है. इसके कारण भू-धसान जैसी घटनाएं भी सामने आती रही हैं. अवैध व्यापारियों का धंधा बदल जाता है लोगों की जान जाती रहती है, सब कुछ जस का तस चलता रहता है. धनबाद में अब बालू की चोरी भी आम होती जा रही है. बालू का अवैध खनन (Illegal mining of sand) बढ़ता जा रहा है और प्रशासन आंखे मूंद कर बैठा है.

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धनबाद में कोयला चोरी की बात आम है, अब अवैध कोयला कारोबारी बालू के कारोबार में लिप्त हो गए हैं. अब अवैध कोयला व्यापारियों ने अपना व्यापार बदल दिया है. वे अब नए धंधे में अपना हाथ आजमा रहे हैं, वे है पीला सोना यानी नदियों से निकलने वाली रेत, जिसे हम बालू भी कहते हैं. वैसे तो बालू का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में होता है, लेकिन इसी बालू के अवैध कारोबार से धनबाद में कई लोग धन कुबेर बन बैठे हैं. इन लोगों में माफिया और ठेकेदारों की एक लंबी कतार है. हैरानी की बात यह है कि रोजाना करोड़ों रुपये के होने वाले बालू के इस अवैध कारोबार में जिले के खनन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है.



पर्यावरण के लिहाज से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी (एनजीटी) ने जून से अक्टूबर तक बालू के खनन पर रोक लगा रखी थी, लेकिन फिर भी बालू माफियाआ लगातार बालू का खनन कर रहे हैं. धनबाद विधायक राज सिन्हा की मानें तो धनबाद में हीं नहीं बल्कि पूरे राज्य में लूट मची है. खनन विभाग कठपुतली की तरह काम कर रहा है. बालू माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ गया है कि खनन पदाधिकारी हो या प्रखंड के सीओ, छापेमारी के दौरान सभी को फजीहत झेलनी पड़ती है. इसके बावजूद इसके अभी तक न तो सरकार रोक लगा रही है और ना ही जिला प्रशासन. जबकि खनन विभाग की जिम्मेदारी खुद राज्य के मुख्यमंत्री के हाथों में है.


सच तो यह है कि सिर्फ धनबाद के बराकर और दामोदर नदी से हर दिन सैकड़ों ट्रक बालू निकाला जा रहा है. मामले ने जब तूल पकड़ लिया है तब जिले के उपायुक्त ने भी जांच की बात कही है. बालू के काले कारोबार का सच तो यह भी है कि हर दौर में चोरी छिपे बालू का अवैध कारोबार थोड़ा बहुत होता ही रहा है और छापेमारी भी होती है. अब आलम यह भी है कि खनन पदाधिकारी हो या सीओ सभी को छापेमारी में फजीहत झेलनी पड़ चुकी है. मौजूदा खनन पदाधिकारी के धनबाद आने के बाद जिस तरह बालू की तस्करी दिन दहाड़े डंके की चोट पर हो रही है उससे खनन विभाग की संलिप्तता सबसे ज्यादा जांच के दायरे में है.

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